Hanumanpura

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For other village of same name see Hanumanpura Barmer (Sheo), Barmer, Rajasthan
Location of Hanumanpura is in southeast of Mandawa in Jhunjhunu district

Hanumanpura (हनुमानपुरा) , also called Dularon Ka Bas, is a Jat village (near Mandawa town), Jaisinghpura and Hetamsar in Jhunjhunu tehsil and district in Rajasthan.

Location

Location of village Biram Ka Bas in west of Jhunjhunu

Jat Gotras

History

राजस्थान की जाट जागृति में योगदान

ठाकुर देशराज[1] ने लिखा है ....उत्तर और मध्य भारत की रियासतों में जो भी जागृति दिखाई देती है और जाट कौम पर से जितने भी संकट के बादल हट गए हैं, इसका श्रेय समूहिक रूप से अखिल भारतीय जाट महासभा और व्यक्तिगत रूप से मास्टर भजन लाल अजमेर, ठाकुर देशराज और कुँवर रत्न सिंह भरतपुर को जाता है।


[पृ.4]: अगस्त का महिना था। झूंझुनू में एक मीटिंग जलसे की तारीख तय करने के लिए बुलाई थी। रात के 11 बजे मीटिंग चल रही थी तब पुलिसवाले आ गए। और मीटिंग भंग करना चाहा। देखते ही देखते लोग इधर-उधर हो गए। कुछ ने बहाना बनाया – ईंधन लेकर आए थे, रात को यहीं रुक गए। ठाकुर देशराज को यह बर्दाश्त नहीं हुआ। उन्होने कहा – जनाब यह मीटिंग है। हम 2-4 महीने में जाट महासभा का जलसा करने वाले हैं। उसके लिए विचार-विमर्श हेतु यह बैठक बुलाई गई है। आपको हमारी कार्यवाही लिखनी हो तो लिखलो, हमें पकड़ना है तो पकड़लो, मीटिंग नहीं होने देना चाहते तो ऐसा लिख कर देदो। पुलिसवाले चले गए और मीटिंग हो गई।

इसके दो महीने बाद बगड़ में मीटिंग बुलाई गई। बगड़ में कुछ जाटों ने पुलिस के बहकावे में आकार कुछ गड़बड़ करने की कोशिश की। किन्तु ठाकुर देशराज ने बड़ी बुद्धिमानी और हिम्मत से इसे पूरा किया। इसी मीटिंग में जलसे के लिए धनसंग्रह करने वाली कमिटियाँ बनाई।

जलसे के लिए एक अच्छी जागृति उस डेपुटेशन के दौरे से हुई जो शेखावाटी के विभिन्न भागों में घूमा। इस डेपुटेशन में राय साहब चौधरी हरीराम सिंह रईस कुरमाली जिला मुजफ्फरनगर, ठाकुर झुममन सिंह मंत्री महासभा अलीगढ़, ठाकुर देशराज, हुक्म सिंह जी थे। देवरोड़ से आरंभ करके यह डेपुटेशन नरहड़, ककड़ेऊ, बख्तावरपुरा, झुंझुनू, हनुमानपुरा, सांगासी, कूदन, गोठड़ा


[पृ.5]: आदि पचासों गांवों में प्रचार करता गया। इससे लोगों में बड़ा जीवन पैदा हुआ। धनसंग्रह करने वाली कमिटियों ने तत्परता से कार्य किया और 11,12, 13 फरवरी 1932 को झुंझुनू में जाट महासभा का इतना शानदार जलसा हुआ जैसा सिवाय पुष्कर के कहीं भी नहीं हुआ। इस जलसे में लगभग 60000 जाटों ने हिस्सा लिया। इसे सफल बनाने के लिए ठाकुर देशराज ने 15 दिन पहले ही झुंझुनू में डेरा डाल दिया था। भारत के हर हिस्से के लोग इस जलसे में शामिल हुये। दिल्ली पहाड़ी धीरज के स्वनामधन्य रावसाहिब चौधरी रिशाल सिंह रईस आजम इसके प्रधान हुये। जिंका स्टेशन से ही ऊंटों की लंबी कतार के साथ हाथी पर जुलूस निकाला गया।

कहना नहीं होगा कि यह जलसा जयपुर दरबार की स्वीकृति लेकर किया गया था और जो डेपुटेशन स्वीकृति लेने गया था उससे उस समय के आईजी एफ़.एस. यंग ने यह वादा करा लिया था कि ठाकुर देशराज की स्पीच पर पाबंदी रहेगी। वे कुछ भी नहीं बोल सकेंगे।

यह जलसा शेखावाटी की जागृति का प्रथम सुनहरा प्रभात था। इस जलसे ने ठिकानेदारों की आँखों के सामने चकाचौंध पैदा कर दिया और उन ब्राह्मण बनियों के अंदर कशिश पैदा करदी जो अबतक जाटों को अवहेलना की दृष्टि से देखा करते थे। शेखावाटी में सबसे अधिक परिश्रम और ज़िम्मेदारी का बौझ कुँवर पन्ने सिंह ने उठाया। इस दिन से शेखावाटी के लोगों ने मन ही मन अपना नेता मान लिया। हरलाल सिंह अबतक उनके लेफ्टिनेंट समझे जाते थे। चौधरी घासी राम, कुँवर नेतराम भी


[पृ.6]: उस समय तक इतने प्रसिद्ध नहीं थे। जनता की निगाह उनकी तरफ थी। इस जलसे की समाप्ती पर सीकर के जाटों का एक डेपुटेशन कुँवर पृथ्वी सिंह के नेतृत्व में ठाकुर देशराज से मिला और उनसे ऐसा ही चमत्कार सीकर में करने की प्रार्थना की।

हनुमानपुरा अग्नि काण्ड

शेखावाटी में शेखावतों के विभिन्न ठिकाने अथवा पाने थे. सीकर में 'जाट प्रजापति महायज्ञ' की सफलता देखकर शेखावाटी के ठिकानेदार भयभीत हुए. सीकर ठिकाने ने जाटों की इस जागृति का दमन करने की पहल की थी. पंचपाना शेखावाटी के ठिकानेदार भी पीछे क्यों रहते ? वे अब बल प्रदर्शन और आतंक पर उतर आये ताकि जाटों में आई जागृति को नष्ट किया जा सके. सर्वप्रथम इसकी शुरुआत पंचपाना शेखावाटी में हनुमानपुरा में की गयी. यहाँ के सबसे प्रमुख नेता चौधरी गोविन्द राम और सरदार हरलाल सिंह थे. 16 मई 1934 (अक्षय तृतीया) को बलरिया (हीरवा) के ठाकुर कल्याण सिंह ने हनुमानपुरा (दूलाड़ों का बास) को जला दिया. आग चौधरी गोविन्द राम के नोहरे में लगाई. और फिर फैलती गयी. चौधरी गोविन्दराम के मकान नोहरे सहित 23 घर जलकर रख हो गए जिसमें हजारों रुपये का नुकशान हुआ. दो गायें मरी, कई भेड़ें और बकरियां भी जल गयी. (नवयुग 29 मई 1934), (डॉ पेमाराम, पृ. 127)

किसान आन्दोलन का दमन

किसान आन्दोलन के दमन का सबसे भयंकर दृश्य शेखावाटी में था. जहाँ किसानों पर घोड़े दौडाए गए और जगह-जगह लाठी चार्ज हुआ. झुंझुनूं में 1 से 4 फ़रवरी 1939 तक एकदम अराजकता थी. पहली फ़रवरी को पंचायत के 6 जत्थे निकले, जिसमें तीस आदमी थे. इनको बुरी तरह पीटा गया. दो सौ करीब मीणे और करीब एक सौ पुलिस सिपाहियों ने जो कि देवी सिंह की कमांड में घूम रहे थे, लोगों को लाठियों और जूतों से बेरहमी से पीटा. जत्थे के नायक राम सिंह बडवासीइन्द्राज को तो इतना पीटा कि वे लहूलुहान हो गए. रेख सिंह (सरदार हरलाल सिंह के भाई) को तो नंगा सर करके जूतों से इतना पीटा कि वह बेहोश हो गए. उनकी तो गर्दन ही तोड़ दी. चौधरी घासी राम, थाना राम भोजासर, ओंकार सिंह हनुमानपुरा, मास्टर लक्ष्मी चंद आर्य और गुमान सिंह मांडासी की निर्मम पिटाई की. इन दिनों जो भी किसान झुंझुनू आया उसको सिपाहियों ने पीटा. यहाँ तक कि घी, दूध बेचने आने वाले लोगों को भी पीटा गया. [2]

शेखावाटी में लगान उगाही के घृणित तरीके

ठाकुर देशराज [3] ने लिखा है...सन् 1934 के जनवरी महीने में सारे शेखावाटी प्रांत में ठिकानेदारों ने अराजकता फैलादी क्योंकि वे सीकर के जाट महायज्ञ की सफलता को देखकर जिसमें 80,000 आदमी 10 दिन तक सीकर में इकट्ठे रहकर अपनी मुक्ति का उपाय सोचते रहे थे, चकित और भयभीत हो गए थे। अब वे बल प्रदर्शन और आतंक पर उतर आए थे।

सबसे पहले बलरिया के ठाकुर कल्याण सिंह ने हनुमानपुरा (दूलडों का बास) पर हमला किया। दो लड़कों के पास पर हमला किया। दिल्ली के दैनिक ‘नवयुग’ ‘अर्जुन’ और कोलकाता के ‘लोकमान्य’ में उस भयंकर कांड का समाचार इस प्रकार छपा था।

शेखावाटी के मौजा हनुमानपुरा में अक्षय तृतीया के दिन शाम के वक्त


[पृ.341]: जबकि हवा बड़े वेग से चल रही थी, अचानक गाय भैंस आग की लपटें निकालने लगी। दो औरतों का कहना है कि ठाकुर कल्याणसिंह इधार पांच सवारों के साथ ऊंट को दौड़ते हुए गए और अपनी धमकी को पूरा किया जो उन्होंने कुछ दिन पहले दी थी।

23 घर जलकर भस्म हो गए। 2 गाएं मरी। कई भेड़ और बकरियां भी जल गई। (नवयुग 29 मई सन 1934)

अग्नि के विस्तृत समाचार 25 मई 1934 को सरदार हरलाल सिंह जी ने ठाकुर देशराज जी को पत्र द्वारा सूचित किए जिनमें बताया –

1. आग सूरज छिपने के समय चौधरी गोविंदराम जी के नोहरे में लगाई।
2. इसे चौधरी गोविंदराम जी के 3000 के लेन-देन के कागजात जल गए।
3. वे रशीदात और दूसरे कागज भी जल गए जो ठिकाने से संबंधित थे।
4. नोहरे में दो गाय जिंदा जल गई।
5. यह आग नोहरे से हवेली में भी दाखिल हो गई और उसी से कागजात और दूसरा कीमती सामान जल गया।
6. मैं उस समय जयपुर में था और दूसरे लोग विवाह शादी में थे। आग बड़ी मुश्किल से स्त्री बच्चों ने बुझाई।
7. और भी 22-23 घर जल गए हैं
8. जयपुर और झुंझुनू में पुकार कर दी गई है। यह घटना 16 मई 1934 की ।

थाना मंडावा में रिपोर्ट की गई किंतु थानेदार जांच को नहीं गया। सुपरिटेंडेंट उस समय तोरावटी के दौरे पर था। इसलिए 21 मई 1934 को सुपरिंटेंडेंट पुलिस झुंझुनू के यहां चौधरी गोविंदराम जी ने निम्न रिपोर्ट पेश की।


[पृ.342]: महकमा सुपरिटेंडेंट पुलिस शेखावाटी

गोविंद राम जाट साकिन हनुमानपुरा मुद्दई बनाम ठाकुर कल्याण सिंह जी हीरवा रामनाथ सिंह मुकुंद सिंह

गरीब परवर सलामत जनाबआली गुजारिश है कि मौजा हनुमानपुरा में:

1. मुसम्मी ठाकुर साहब कल्याण सिंह ने आग लगा दी है जिसके मुतल्लिक थाना मंडावा में रिपोर्ट कर दी गई है मगर थानेदार जी मौके पर तशरीफ न लाए थे। इसलिए जमीदारान हनुमानपुरा हुजूरवाला की खिदमत में आए हैं मगर उनकी बदकिस्मती से हुजूर भी तोरावाटी तशरीफ ले गए थे।
2. यह कि मजबूरा जमीदार हनुमानपुरा जयपुर में जाकर अर्जी और आई. जी. पुलिस के दफ्तर से सुपरिंटेंडेंट शेखावाटी पर तफ्तीश का हुक्म सादिर हो।
3. इस दौरान में थानेदार जी मंडावा मौके पर तशरीफ ले गए मगर उन्होंने पूरी जांच नहीं की और न बयानात कलमबंद किए।
4. यह है कि देर लगाने से मामले का सबूत जाया होने का अंदेशा है। जमीदारन के कई बच्चे जख्मी हो गए, कई हजार रुपए का माल का नुकसान हुआ है और दो गाय जलकर मर गई और दस्तावेज भी सबूत जलकर खाक हो गया। मुल्जिमान फिलहाल आजाद फिर रहे हैं।
5. इश्तदुआ है कि हुजूरवाला खुद मौके पर तशरीफ ले जा कर मौका मुआयना करें या किसी थानेदार या जमीदार अफसर को भेजा जावे।

गोविंदराम तारीख 21 मई 1934

इसके बाद 2 जून 1934 को झुंझुनू के पुलिस सुपरिंटेंडेंट


[पृ.343]: हनुमानपुरा पहुंचकर इस घटना की जांच की मौके की, गवाहियां ली, जलकर मरी हुई गायों को भी देखा। पुलिस सुपरिन्टेंडेंट ने भी दुख महसूस किया क्योंकि उन्होंने उन बच्चों को देखा जो घरों में नाज और वस्तुओं के जल जाने से भूख से पीड़ित और वस्तुओं से नंगे थे। (नवयुग 10 जून 1934)

हनुमानपुरा का फैसला हो नहीं पाया था कि इससे भी अधिक रोमांचकारी कांड जयसिंहपुरा में इसके कुछ दिन बाद हो गया। उसकी जांच ठाकुर देशराज जी ने खुद जाकर की और प्रेस को निम्न वक्तव्य दिया जो उस घटना पर प्रकाश डालता है।

Notable persons

  • Chaina Ram Hanumanpura - hero of Shekhawati farmers movement
  • Onkar Singh Dular (born:1913) (ओंकारसिंह दुलड़ हनुमानपुरा), from village Hanumanpura, Jhunjhunu, was a leading Freedom fighter who took part in Shekhawati farmers movement in Rajasthan. [5]
  • Jalu Ram Dular - Hanumanpura, Freedom fighter
  • Harphool Singh Dular - Sarpanch Hanumanpura
  • ओंकार सिंह हनुमानपुरा/ कमल सिंह हनुमानपुरा / सूरज मल हनुमानपुरा / सोहन सिंह हनुमानपुरा - 15 जून 1946 को झुंझुनू में किसान कार्यकर्ताओं की एक बैठक चौधरी घासी राम ने बुलाई. शेखावाटी के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इसमें भाग लिया. अध्यक्षता विद्याधर कुलहरी ने की. इसमें यह उभर कर आया कि भविष्य में समाजवादी विचारधारा को अपनाया जाये. जिन व्यक्तियों ने किसान सभा का अनुमादन किया उनमें आप भी सम्मिलित थे. (राजेन्द्र कसवा, p. 201-03).
  • सोहन सिंह दुल्लड़ - भीम सिंह दुल्लड़ के पुत्र मास्टर सोहन सिंह दुल्लड़ ने स्वतन्त्रता आंदोलन में भाग लिया। 15 जून 1946 को झुंझुनू में किसान कार्यकर्ताओं की एक बैठक चौधरी घासी राम ने बुलाई। शेखावाटी के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इसमें भाग लिया। अध्यक्षता विद्याधर कुलहरी ने की। इसमें यह उभर कर आया कि भविष्य में समाजवादी विचारधारा को अपनाया जाये। जिन व्यक्तियों ने किसान सभा का अनुमादन किया उनमें आप भी सम्मिलित थे। (राजेन्द्र कसवा, p. 201-03). सोहन सिंह दुल्लड़ के 4 पुत्र हुये। 1. महिपाल सिंह, 2. प्रेम पाल सिंह 3. चन्द्र पाल सिंह और 4. राजपाल सिंह। प्रेम पाल सिंह (मो: 9983302490) बैंक ऑफ बदोड़ा से चीफ मनेजर पद से जून 2014 में सेवा निवृत हुये।
Unit - 11 Jat Regiment

External Links

Gallery

References

  1. ठाकुर देशराज:Jat Jan Sewak, p.1, 4-6
  2. (डॉ पेमाराम, शेखावाटी किसान आन्दोलन का इतिहास, 1990, p. 167)
  3. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.340-343
  4. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.408-409
  5. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.424-425

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