Dhasan River

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Map showing the Dhasan river basin in a simplified geological map of central India

Dhasan River (धसान नदी) is a right bank tributary of the Betwa River. Total basin area in Madhya Pradesh is 8291 km².

Variants

  • Dhasan River धसान नदी, दे. दशार्ण, (AS, p.465)
  • Dasharna (दशार्ण) (AS, p.430) - Dhasan River (धसान नदी) का प्राचीन नाम.

Origin

The river originates in Begumganj tehsil of Raisen district in Madhya Pradesh state in central India. And than flows in Sagar District .

Course

The river forms the southeastern boundary of the Lalitpur District of Uttar Pradesh state. Total length of the river is 365 km, out of which 240 km lies in Madhya Pradesh, 54 km common boundary between Madhya Pradesh and Uttar Pradesh and 71 km in Uttar Pradesh. The river was known as the Dasharna in ancient period. The Lehchura Dam is built on this river at 2 km from Harpalpur railway station. Residents of nearby villages regard this river as a holy river.

Tributaries

Kathan, Mangrar, Bachneri and Rohni are among its tributaries.

Dams

Two dams have been built on Dhasan: one at Pahari and one further down at Lahchura. A three-branched irrigational canal was opened in 1910, diverting some of the river's flow and providing water for the Bundelkhand region.[1][6]

Jat clans

धसान नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है.... धसान नदी, दे. दशार्ण, (AS, p.465) - धसान नदी बुंदेलखंड की नदी है। 'धसान' शब्द 'दशार्ण' का ही अपभ्रंश है। यह नदी भोपाल की निकटवर्ती पर्वतमाला से निकलती है। रायसेन ज़िले के जसरथ पर्वत से निकलकर धसान नदी सागर ज़िले में बहती हुई जिला झांसी (उ.प्र.) में पहुँच कर बेतवा में मिल जाती है। (दे. दशार्ण)

धसान नदी का परिचय

धसान नदी बुंदेलखंड की नदी है। इस नदी की पहचान दशार्ण नदी से की जाती है। इसका उल्लेख कई पौराणिक ग्रन्थों में भी हुआ है। धसान नदी अपने बहाव के साथ कभी मुड़ती है, कभी बल खाकर चलती है, कभी नये मार्गों को तलाश कर लेती है, कभी आस-पास के कगारों को तोड़कर चलती है। इस प्रकार वह परिवर्तनशील होती हुई सागर की ओर निरंतर चलती चली जाती है।

उद्गम तथा प्रवाह क्षेत्र: 'धसान' शब्द 'दशार्ण' का ही अपभ्रंश है। धसान नदी की पहचान दशार्ण नदी से की जाती है। यह नदी भोपाल की निकटवर्ती पर्वतमाला से निकलती है। रायसेन ज़िले के जसरथ पर्वत से निकलकर धसान नदी सिलवानी तहसील की सिरमऊ, बेगमगंज तहसील की पिपलिया जागीर, बील खेड़ा, रतनहारी, सुल्तानागंज, उदका, टेकापार कलो, बिछुआ, सनेही, पडरया, राजधर, सोदतपुर ग्रामों के समीप से प्रवाहित होकर सागर ज़िले के नारियावली के उस पार तक बहती है। सागर ज़िले में यह सिहौरा, नरियावली, उल्दन, धामौनी, मैंहर, ललितपुर की वनगुवा के तीन किलोमीटर पूर्व प्रवेश करती हुई टीकमगढ़ के दतना और छतरपुर की 70 किलोमीटर की सीमा बनाती हुई झांसी, हमीरपुर और जालौन के संधि स्थल के नीचे बेतवा में मिल जाती है।

पौराणिक उल्लेख: धसान नदी को हिन्दुओं के साथ-साथ जैन भी अपने तीर्थ स्थलों में स्थान देते हैं- महाबोधिः पाटलाश्च नामतीर्थमवन्तिका महारूद्रौ महालिंगा दशार्णाः च नदी शुभा। (वामन पुराण)

महाभारत के विराट पर्व में नकुल की विजय के संदर्भ में दशार्ण नदी का भी उल्लेख है- शान्ति रम्याः जनपदा बहन्नाः पारितः कुरून। पांचालश्चेदिमत्स्याश्च शूरसेनाः पटचराः। दशार्ण नवराष्ट्रं च मल्लाः शाल्वा युगंधरा।

त्वयासन्ने परिणत फल जम्बू बनान्ताः, संपन्स्यन्ते कतिपय दिनं स्थायि हंसा दशार्णाः। - कालिदास (मेघदूत)


शोणो महानदश्चात्र नर्मदा सुरसरि क्रिया, मंदाकिनी दशार्णा च चित्रकूटस्त थैव च। - मार्कण्डेय पुराण 57/20

अपभ्रंश: दशार्ण नदी का अपभ्रंश आगे चलकर बुन्देली बोली में धसान हो गया है। यह शब्द बुन्देलखण्ड के जनमानस में इतना समा गया है कि अब दशार्ण को यहां का जन-जन धसान के नाम से ही उच्चारण करता है।

तटवर्ती स्थान: सिरमऊ पहला स्थान है, जो धसान नदी के किनारे बसा हुआ है। धसान नदी उत्तर में बहुत दूर तक सागर और ललितपुर ज़िलों के मध्य की सीमा की विभाजन रेखा है। टीकमगढ़ ज़िले में धसान नदी के किनारे पर स्थित या आस-पास स्थित लगभग ग्यारह ग्राम हैं, जिनके नाम हैं- ककरवाहा, भैंसवारी, बड़ागाँव, धसान, मौखरा, सुजारा, पटौरी, चंदपुरा, पचेर, कोटरा और आलमपुर। छतरपुर से टीकमगढ़ या प्राचीन बिजावर राज्य से ओरछा राज्य तक धसान 70 किलोमीटर की सीमा बनाती है। धसान का पूर्वी किनारा नैसर्गिक रूप से छतरपुर ज़िले की बिजावर तहसील की सीमा रेखांकित करता है। इसके तटवर्ती ग्राम सोरखी, खरदूती और देवरान हैं। देवरान में इसकी सहायक नदी 'बीला' दशार्ण में विसर्जित हो जाती है।

संदर्भ: भारतकोश-धसान नदी

दशार्ण

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है.... दशार्ण बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश का धसान नदी से सिंचित प्रदेश है। धसान नदी भोपाल क्षेत्र की पर्वतमाला से निकल कर सागर ज़िले में बहती हुई झांसी के निकट बेतवा नदी में मिल जाती है। दशार्ण का अर्थ है- 'दस' (या अनेक) नदियों वाला क्षेत्र। 'धसान', दशार्ण का ही अपभ्रंश है। महाभारत में दशार्ण को भीमसेन द्वारा विजित किये जाने का उल्लेख है-'तत: स गंडकाञ्छूरो विदेहान् भग्तर्षभ:, विजित्याल्पेन कालेन दशार्णनजयत प्रभु:। तत्र दशार्ण को राजा सुधर्मालोमहर्षणम्, कृतवान् भीमसेनेन महद् युद्धं निरायुधम्' (महाभारत, सभापर्व 29, 4-5.) महाभारत काल में इस क्षेत्र पर उस समय सुधर्मा का शासन था। महाभारत में सुधर्मा के पूर्वगामी दशार्ण नरेश हिरण्यवर्मा का उल्लेख है। हिरण्यवर्मा की कन्या का विवाह द्रुपद के पुत्र शिखंडी के साथ हुआ था। (हिरण्यवर्मेति नृपोऽसौ दाशार्णिक: स्मृत:, स च प्रादान्महीपाल: कन्यां तस्मै शिखंडिने- महाभारत, उद्योगपर्व 199, 10.) महाभारत के पश्चात् दशार्ण का उल्लेख बौद्ध जातकों तथा कौटिल्य के 'अर्थशास्त्र' में मिलता है। उस समय विदिशा दशार्ण की राजधानी हुआ करती थी।

कालिदास ने 'मेघदूत' (पूर्वमेघ 25) में दशार्ण का सुंदर वर्णन करते हुए इस देश के बरसात में फूलने-फलने वाले जामुन के कुंजों तथा इस ऋतु में कुछ दिन यहाँ ठहर जाने वाले यायावर हंसों का वर्णन किया है- 'त्वय्यासन्ने फलपरिणतिश्यामजंबूवनान्तास्संपत्स्यन्ते कतिपयदिन स्थायिहंसा दशार्णा:।'


2. दशार्ण (AS, p.430) - धसान नदी का प्राचीन नाम.

History

In Mahabharata

Dasharna (दशार्ण) is mentioned in Mahabharata (II.26.4),(IV.1.9),(IV.5.3),(VI.10.39),(VI.47.12),(VIII.17.3),

Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 47 describes immeasurable heroes assembled for battle:

"And that mighty bowman, the son of Bharadwaja, endued with great energy, followed him with the Kuntalas, the Dasharnas, and the Magadhas."
तम अन्वयान महेष्वासॊ भारथ्वाजः परतापवान
कुन्तलैशदशार्णैशमागधैशविशां पते Mahabharata (6.47.12)

Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 29 mentions the deeds and triumphs of Nakula and locates Trigartas along with Dasarnas, the Sivis, the Amvashtas, the Malavas, the five tribes of the Karnatas around Rohtak in Haryana as under:

शैरीषकं महेच्छं च वशे चक्रे महाथ्युतिः
शिबींस त्रिगर्तान अम्बष्ठान मालवान पञ्च कर्पटान ।। 6 ।।
Vaisampayana said,--"I shall now recite to you the deeds and triumphs of Nakula, and how that exalted one conquered the direction that had once been subjugated by Vasudeva. The intelligent Nakula, surrounded by a large host, set out from Khandavaprastha for the west, making this earth tremble with the shouts and the leonine roars of the warriors and the deep rattle of chariot wheels. And the hero first assailed the mountainous country called Rohitaka that was dear unto (the celestial generalissimo) Kartikeya and which was delightful and prosperous and full of kine and every kind of wealth and produce. And the encounter the son of Pandu had with the Mattamyurakas of that country was fierce. And the illustrious Nakula after this, subjugated the whole of the desert country and the region known as Sairishaka full of plenty, as also that other one called Mahetta. And the hero had a fierce encounter with the royal sage Akrosa. And the son of Pandu left that part of the country having subjugated the Dasarnas, the Sivis, the Trigartas, the Amvashtas, the Malavas, the five tribes of the Karnatas, and those twice born classes that were called the Madhyamakeyas and Vattadhanas. And making circuitous journey that bull among men then conquered the (Mlechcha) tribes called the Utsava-sanketas."[4]

Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 46 mentions Dasharna in War:

"And king Drupada, surrounded by a large number of troops, became the head (of that array). And the two kings Kuntibhoja and Saivya became its two eyes. And the ruler of the Dasharnas, and the Prayagas, with the Dasherakas, and the Anupakas, and the Kiratas were placed in its neck".
दाशार्णकाः परयागाशदाश्रेरक गणैः सह
अनूपगाः किराताश च गरीवायां भरतर्षभ Mahabharata (6.46.46)

References

  1. Jain, Sharad K.; Agarwal, Pushpendra K.; Singh, Vijay P. (2007). Hydrology and Water Resources of India. Dordrecht, Netherlands: Springer Science & Business Media. pp. 374–375. ISBN 978-1-4020-5180-7.
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.465
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.429-430
  4. Mahabharata Sabha Parva on Jatland Wiki

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