Ghanerao

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Location of Ghanerao in Pali District

Ghanerao (घाणेराव) is a village in Desuri Tahsil of Pali district in Rajasthan.

Location

The village is located on the Mada - Desuri road State Highway 16. Due to its proximity to Kumbhalgarh fort, Ranakpur Jain temple and Kumbhalgarh Wildlife Sanctuary, it is an important place in tourism. There are many Hindu and Jain temples in and around Ghanerao. There are about 11 Jain temples some of them are quite old, Muchhal Mahavir Temple being the most notable one. In the village are also Hindu temples of Laxmi Narayanji, Murlidhar and Charbhujaji. On the outskirts of the village is situated a ‘math’ known as Giriji Ki Dhani. A temple of Gajanand here is worth seeing.

History

Ghanerao Inscription of 1156 AD

घाणेराव का लेख ११५६ ई.[1]

इस लेख से बारहवीं शताब्दी के राजस्थान की स्थिति का पता लगता है. किस तरह उस समय के शासक अपने राज्य में दण्डनायक जैसे पदाधिकारी रखते थे और सामंत किस प्रकार भुक्ति कहलाते थे और उनके भाग को वाट कहा जाता था. इस लेख से यह भी प्रमाणित होता है कि अनुदानिक कार्यों में स्थानिय नागरिकों का भी सहयोग रहता था. इस लेख का मूल भाग इस प्रकार है:

"संवत १२१३ भा.सु. ४ मंगल दिने श्री दंडनायक वैजल्यदेव राज्ये श्री वंसगतीय राउल महणसिंह भुक्ति बंसहउवाट मध्यात श्री महावीरदेव वर्ष प्रति द्राम ४ खाज सूणो दत्ता सेठ रायपाल सुतराव राजभत्र महाजन रक्षपाल निसाणि यस्सदिवहिं"

मुछाला महावीर

घाणेराव गांव से ६ किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में एक प्राचीन और चमत्कारी तीर्थ है जिसको सदियों से मुछाला महावीर के नाम से पुकारा जाता है, जहां कभी भगवान महावीर की पाषाण प्रतिमा के मुख पर मूछें निकल आई थी।

कहा जाता है कि सोमनाथ जाते हुए मोहम्मद गजनवी इसी मार्ग से गुजरा था जिसने इस मंदिर को क्षतिग्रस्त किया, लेकिन उसकी सेना रोगग्रस्त हो जाने से गजनवी घाणेराव को लुटता हुआ गुजरात की ओर बढ़ गया। इस अवसर पर उसने मुख्य प्रतिमा को खण्डित कर दिया था जिसे बादमे जीर्णोद्धार के समय लेप चढ़ाकर पूर्व की भांति बना दिया गया। इस मंदिर की प्रतिष्ठा और जीर्णोद्धार कब कब और किस किस ने करवाया इसका पूरा विवरण कहीं उपलब्ध नहीं है लेकिन अन्तिम जीर्णोद्धार वि.सं. २०१७ में होकर सं. २०२२ में पुनः प्रतिष्ठा होने की जानकारी मिली है। मंदिर की देरियों के साथ एक स्थान पर अधिष्ठायक देव की प्रतिमा स्थापित है जो काफी चमत्कारी बताये जाते है। देरीयों में अन्य देवीदेवताओं की मूर्तियां है इन्ही देरियों के बीच एक बड़ा देरासर बना हुआ है जिसमें भी महावीर स्वामी की श्वेतवर्णी प्रतिमा है जिसपर सं. १९०३ का लेख उत्कीर्ण है। एक ओर देवकुलिकाओं में श्री मुनिसुव्रत स्वामी की प्रतिमा है जिसपर सं. १८९३ में प्रतिष्ठित होने का उल्लेख है।

Notable persons

External links

References

  1. डॉ गोपीनाथ शर्मा: 'राजस्थान के इतिहास के स्त्रोत', 1983, पृ.89

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