Kirmach
Kirmach (किरमच) is a medium-sized village, 5 kms from Kurukshetra town, near Kurukshetra University in Thanesar tahsil of Kurukshetra district Haryana.
Location
History
Jat Gotras
History of Deshwal gotra in Kirmach
कप्तान सिंह देशवाल लिखते हैं -
इन लोगों की कहानी दिल दहलाने वाली है। अंग्रेजों के खिलाफ आवाज काफी समय से उठ रही थी। लेकिन 1857 की क्रान्ति ने अंग्रेजी साम्राज्य की जड़ों को हिला दिया। 1857 में भारत में एक भयंकर क्रान्ति फूट पड़ी। इसी क्रान्ति में गाँव मतलोडा भी पीछे नहीं रहा। इस गाँव में देशवालों ने मुगलों की टक्कर ली, फिर अंग्रेजों से क्रान्ति का हाथ मिल गया। यह गाँव बहादुरों का गाँव है। जब मुगल बलपूर्वक धर्मपरिवर्तन करवा रहे थे, इन्होंने अपना सब कुछ छोड़ कर अपने धर्म को बचाया। मतलोडा से पलायन के बाद इन्होंने गाँव सनौली खेड़ा को बसाया जो कि उत्तर प्रदेश, मेरठ में है।
1857 की क्रान्ति में इन लोगों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। इस क्रान्ति के दौरान चौ. उदय सिंह देशवाल ने चार अंग्रेज अधिकारियों को मौत के घाट उतारा था। लेकिन जैसे ही 1857 की क्रान्ति के बाद दिल्ली पर अंग्रेजों का शासन शुरु हुआ, उस समय अंग्रेजी सरकार ने उन गांवों की लिस्ट बनाई जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की थी। जैसे ही इस बात की भनक इस परिवार को लगी, उसी समय उन्होंने अपना 20 बीघे जमीन में लगा हुआ बाग देशवाल खाप के भाट को दान में दे दिया, बाकी सारी सम्पत्ति छोड़कर अंधेरे में गांव से निकल पड़े।
गाँव मतलोडा में क्रान्तिकारियों की तलाश शुरू हो गई। चौ. लेखराम, बनवारी, उदेराम, साधुराम और मेघराज की तलाशी शुरू हुई। ये आदमी गाँव को छोड़कर लुकते-छिपते कहीं जंगलों में तो कहीं गाँव में नाम बदलकर भी रहे लेकिन अंग्रेजों के पिट्ठू भी कम नहीं थे। यह परिवार उत्तर प्रदेश में चला गया। वहाँ पर भी इनकी दाल नहीं गली। पता लगने पर ये लोग वापिस पिपली में जमीन लेकर यहां रहने लगे। अंग्रेजों को इनका खौफ रात को सपने में भी दिखता था। अंग्रेजों ने इनको देशद्रोही घोषित कर दिया, पीपली को छोड़कर यहाँ से फिर पलायन करना पड़ा। दयालपुर और समसीपुर के बीच रहे। पीछे यह पूरा परिवार अंग्रेजों ने खत्म कर दिया था। यह परिवार अपनी पहचान छिपाने के लिए लगभग 15 साल समसीपुर गाँव में रहा। 1862 में गाँव समसीपुर में बसे और 1882 में ये लोग सनोली गाँव से आकर किरमच में आबाद हुए। आज यह परिवार गाँव में आपसी भाईचारा बनाये हुए है। पूरा गाँव इस परिवार को सम्मान की दृष्टि से देखता था।
विशेषताएं -
- इस परिवार में सभी क्रान्तिकारी थे। लेकिन चौ. लेखराम, उदेराम तो बारूद का ढेर बने हुए थे। ये निडर व्यक्ति थे। चौ. उदेसिंह ने चार अंग्रेजों को काट डाला था। ये स्वतन्त्रता सेनानी थे।
- यह गाँव कुरुक्षेत्र से 8 किलोमीटर दक्षिण दिशा में और देशवाल गौत्र के परिवार भी गाँव की दक्षिण दिशा में आबाद हैं।
- इनके पास 200 पक्का बीघा जमीन है।
- चौ. उदेसिंह (उदमी) पहलवान और वीर योद्धा भी था। अंग्रेजों ने इस परिवार के इश्तिहार निकलवा दिए थे कि जो आदमी इस परिवार का पता बताएगा या चौ. उदेसिंह और लेखराम को जिन्दा या मुर्दा अंग्रेजों को सौंप देगा, उसे भारी इनाम दिया जायेगा। इन दोनों का परिवार अन्य भाईयों समेत अंग्रेजों ने देशद्रोही घोषित कर दिया था।
- इसी परिवार में चौ. मेवा राम देशवाल किरमच पहलवान नाम के व्यक्ति हुए जिसने पूरे इलाके में इस गाँव का नाम रोशन किया। आज भी यह परिवार गाँव में आपसी भाईचारा बनाये हुए है व पूरा गाँव इस परिवार को सम्मान की दृष्टि से देखता है।
- वजीर राम व लेखराज देशवाल ने आपस में पगड़ियां बदल कर दोस्ती को आगे बढ़ाया।[1]
Population
(Data as per Census-2011 figures)
Total Population | Male Population | Female Population |
---|---|---|
7344 | 3869 | 3475 |
Notable persons
Ranbir Boora boora khap president in haryana
External Links
References
- ↑ कप्तान सिंह देशवाल : देशवाल गोत्र का इतिहास (भाग 2) (पृष्ठ 130-131)
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