Phulkian

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Map of Misls of Sikhs

Phulkian Dynasty was of Sidhu-Brar Jat clan.

Origin

The misl derive their name from ancestor Phul.

Organization

According to their history, their ancestors, having been ousted from Ghazni, had come to India in Yudhishthiri Samvat 3008. The leader was either Bhattrak, the founder of Bhati gotra, or his father. Bhatinda and Bhatner( Bhatnair) were named after him. Among the successors of Sidhu, Phool was a lucky man and his decendants founded various states like Nabha, Patiala, Jind, Bhadaur, Bhalaur, Nodhgarh, Faridkot, Malodh etc.

Sons of Phul

Genealogy of Phul

Phul left six sons, of whom Tiloka was the eldest, and from him are descended the families of Jind and Nabha.[1]

From Rama, the second son, sprang the greatest of the Phulkian houses, that of Patiala besides Bhadaur, Kot Duna and Malaudh .[2]

In 1627 Phul founded and gave his name to a village which was an important town in the State of Nabha. His two eldest sons founded Bhai Rupa while Rama also built Rampura Phul.

The last named successfully raided the Bhattis and other enemies of his line. He then obtained from the Muhammadan governor of Sirhind the intendancy of the Jangal tract.

The other four sons succeeded to only a small share of their father's possessions.

Bir Singh laid foundation stone of Village Bangi Rughu near Talwandi Sabo in district Bathinda in memory of his grandfather Raghu of Jiundan.

Eleven of the descendants of Phul of the Phulkian family in the Cis-Sutlej States who had rank, position and were entitled seats to attend the durbars of the Viceroy 1864-1885 were:

  1. Maharaja Mahindar Singh, Patiala;
  2. Raja Raghbir Singh, Jind;
  3. Raja Bhagwan Singh, Nabha;
  4. Sirdar Sir Attar Singh, Bhadaur;
  5. Sirdar Kehr Singh, Bhadaur;
  6. Sirdar Achhal Singh, Bhadaur;
  7. Sirdar Uttam Singh Rampuria, Malaudh;
  8. Sirdar Mit Singh, Malaudh;
  9. Sirdar Hakikat Singh,Ber, Malaudh;
  10. Sirdar Diwan Singh and
  11. Sirdar Hira Singh, Badrukhan.

ठाकुर देशराज लिखते हैं

ठाकुर देशराज लिखते हैं कि फुलकियां मिसल की अब तक पंजाब में पटियाला, नाभा जैसी प्रसिद्ध रियासतें मौजूद हैं। भट्टी जाट फूलसिंह द्वारा संस्थापित होने के कारण यह मिसल फुलकियां मिसल कहलाती है। फूलसिंह (फूल) की ताकत इतनी बढ़ गई कि उसने जगराम के नवाब को कैद कर लिया था। महरान से 5 मील के फासले पर अपने नाम से एक गांव भी बसाया था। फूल बादशाही सूबेदारों से सदैव मुकाबला करता रहता था। उसके सात बेटे हुए। पटियाला, नाभा, झींद, मदोर, मलोद वगैरह खानदान उन्हीं के वंशजों के स्थापित किये हुए हैं। अन्तिम दिनों में सीमा प्रान्त के नाजिम ने फूलसिंह को कैद कर लिया था। सन् 1656 ई० में सेरसाम की बीमारी से फूल की मृत्यु हो गई। उसके स्थान पर उसका बेटा रामचन्द्र सरदार बना जिसने मुसलमानों के साथ बहुत सी लड़ाइयां कीं। 1714 ई० में उसे अपने ही एक सरदार ने कत्ल कर डाला। रामचन्द्र का तीसरा बेटा आलासिंह उसका उत्तराधिकारी बना और बरनाला को आलासिंह ने अपना केन्द्र स्थान बनाया। 1695 ई० में आलासिंह का जन्म हुआ था और 1731 ई० में उसने शाही सेना पर एक बड़ी विजय प्राप्त की थी। उसकी इज्जत बहुत बढ़ गई और उसके पास सिक्खों का जमघट रहने लगा। राजपूत और मुसलमानों से उसकी बहुत सी लड़ाइयां हुईं। 1757 ई० में उसने राजपूत और मुसलमानों को एक बड़ी पराजय दी। महमूदशाह ने उसको एक पत्र इस इरादे से लिखा कि वह नवाब सरहिन्द की सहायता करे। 1762 ई० में अहमदशाह अब्दाली ने बरनाला पर चढ़ाई की, किन्तु उसकी रानी फत्तो ने चार लाख रुपया देकर अब्दाली से संधि कर ली। कुछ ही दिनों बाद अब्दाली ने आलासिंह को ‘राजा’ की पदवी से विभूषित किया। पटियाला राज्य के संस्थापक राजा आलासिंह ही हैं। इसी फूल वंश में सरदार गुरदत्तसिंह हैं जिन्होंने कि नाभा राज्य की नींव डाली है। जींद के राज्य को कायम करने वाले राज गजपतसिंह भी फूल खानदान के चमकते हुए सितारे थे। इन लोगों ने अपने बाहुल्य से जहां हिन्दू धर्म की रक्षा की, वहां अपने लिए भी राज्य


जाट इतिहास:ठाकुर देशराज, पृष्ठान्त-231


कायम कर लिए। लेकिन महाराज रणजीतसिंह फूल खानदान की सभी रियासतों को उसी भांति अपने राज्य में मिला लेना चाहते थे, जैसे कि अन्य मिसलों के राज्य मिला लेना चाहते थे। इन्होंने अंग्रेज सरकार से संधि करके तथा महाराज रणजीतसिंह को बड़ी-बड़ी भेंट देकर अपने अधिकृत प्रदेश की रक्षा कर ली। फुलकियां मिसल का विस्तृत वर्णन आगे के पृष्ठों में दिया जा रहा है। अतः उस पर अधिक प्रभाव डालने की आवश्यकता हम नहीं समझते। (जाट इतिहास:ठाकुर देशराज, पृष्ठ-231)

Notable persons

External links

References

  1. Latif, S.M., History of the Punjab
  2. A collection of treaties, engagements, and sunnuds, relating to India By India Foreign and Political Dept, Charles pp.274