Rudrol: Difference between revisions
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[[Jind|जींद रियासत]] में दादरी के गाँव रुदडौल में घर पर कचहरी लगाकर न्याय प्रियता का परिचय देकर '''चौधरी श्योलाल बिजारणियां आनरेरी मजिस्ट्रेट''' ने जाट समाज में अपना यश कमाया है। जिला दादरी में सबसे बड़ा भूपति और बाहुबली | [[Jind|जींद रियासत]] में दादरी के गाँव रुदडौल में बिजारणिया गोत्र धारियों ने अपनी अलग पहचान बनाई है , बलिष्ठता और कद काठी में इनका मुकाबला नहीँ । इन्हीं में से एक महापुरुष चौधरी श्योलाल बिजारणियां ने घर पर कचहरी लगाकर न्याय प्रियता का परिचय देकर '''चौधरी श्योलाल बिजारणियां आनरेरी मजिस्ट्रेट''' ने जाट समाज में अपना यश कमाया है। उनको छह महीना जेल की सजा तजवीज करने का इख्तियार जींद महाराज ने दिया हुआ था लेकिन इसका उन्होने कभी दुरुपयोग नहीं किया । जींद महाराजा का इनके साथ घनिष्ठ सम्बन्ध था , एक दफा जींद महाराजा शिकार हेतु इनके गावँ रुदरोल पधारे , बैठने के लिए पेश करि गई चारपाइयों की बुनाई भराई महाराज को इतनी पसन्द आईं की वे चौधरी श्योलाल बिजारणियां ने महाराज को इन्हें उपहार स्वरूप दे दिया । राजा जींद खुश हुए और उन्होंने बदले में जीव हत्या न करने का वायदा किया । जींद महाराज ने ही | ||
चौधरी श्योलाल बिजारणियां को जिला दादरी में अठारह हज़ार बीघा भूमि को संभालने वाला सबसे बड़ा भूपति और बाहुबली ओहदा बक्शा, चौधरी श्योलाल बिजारणिया ने मृतक भोज (काज) का बहिष्कार और मूर्तिपूजा को त्यागने का आह्वान किया । वे पहले [[Gogamedi|गोगामेड़ी]] अक्सर जाते रहते लेकिन अपने पुत्र हरपत सिंह के निमंत्रित प्रसिद्ध आर्य समाजी व सुधारक और पंडित बस्तीराम के आर्य भजनों और प्रवचनों के प्रभाव के कारण मूर्तिपूजा और मरतकभोज काज पर उनके विचार बदल गए और उन्होंने जीवनपर्यंत इन बुराइयों से दूर रहने की सलाह सभी गांव वालों को दी । उन्होंने अपने परिजनों को गंगा जी मे अस्थियाँ प्रवाहित करने से भी मना किया हुआ था| श्योलाल जी ने हमेशां गरीबों और पिछड़ों की मदद में अपना जीवन बिताया । उनके 13 पुत्र थे। सभी बलशाली, सुंदर, स्वस्थ और रूपवान थे और घुड़सवारी के माहिर सवार थे। चौधरी श्योलाल की बनाई हवेली अपनी राजस्थानी किलेनुमा बनावट के लिए इलाके में मशहूर है । श्योलाल बिजारणिया आनरेरी मजिस्ट्रेट के पिता एक राजस्व मंत्री और सेना नायक थे। उनका नाम जंग-ए-शेर पीरदान बिजारणिया था जिसने [[Chhuchhakwas|छुछकवास]] ([[Jhajjar|झझर]]) के पास अंग्रेजी सेना को शिकस्त दी थी। रुदडौल गाँव दादरी जिले का एतिहासिक गाँव है। इस गाँव में चौधरी हरपतसिंह चार वेदों का विद्वान था। जो नित सन्ध्या हवन और रामायण की चौपाइयों से अपने दिन की शुरुआत करते थे और उनके आर्य समाज के बड़े नाम [[Swamy Omanand|स्वामी ओमानन्द जी]] से घनिष्ठ संबंध थे । चौधरी दलपतसिंह साढ़े 6 फूट का जवान था। जिसने नरभक्षी बाघ को एक लाठी से मार दिया। इनका बेटा भौम सिंह भी 6.5 फूट का है। चौधरी मनसाराम तेज धावक और प्रसिद्ध पहलवान था। उसका पुत्र महिपाल सिंह आर्य एक राष्ट्रवादी चिंतक है। राजकपूर, जोगिंद्र, दीपक, कार्तिक, वैभव, वेदप्रकाश, प्रदीप, कर्मवीर जागरूक नौजवान हैं। | |||
लेखक - महिपाल सिंह आर्य, सुपुत्र श्री मनसाराम आर्य, गाँव रुदडौल, चरखी दादरी, भिवानी। [[Jat Gatha|जाट गाथा]], मई-2016,पृ.17 | लेखक - महिपाल सिंह आर्य, सुपुत्र श्री मनसाराम आर्य, गाँव रुदडौल, चरखी दादरी, भिवानी। [[Jat Gatha|जाट गाथा]], मई-2016,पृ.17 |
Latest revision as of 16:46, 17 May 2023
Rudrol (रुडरौळ/ रुदडौल) is a medium-size village in Charkhi Dadri Tehsil and district, Haryana.
Note - Before 2017, this village was part of Bhiwani district (Charkhi Dadri district was created on 1 November 2016).
Gotras
History
जींद रियासत में दादरी के गाँव रुदडौल में बिजारणिया गोत्र धारियों ने अपनी अलग पहचान बनाई है , बलिष्ठता और कद काठी में इनका मुकाबला नहीँ । इन्हीं में से एक महापुरुष चौधरी श्योलाल बिजारणियां ने घर पर कचहरी लगाकर न्याय प्रियता का परिचय देकर चौधरी श्योलाल बिजारणियां आनरेरी मजिस्ट्रेट ने जाट समाज में अपना यश कमाया है। उनको छह महीना जेल की सजा तजवीज करने का इख्तियार जींद महाराज ने दिया हुआ था लेकिन इसका उन्होने कभी दुरुपयोग नहीं किया । जींद महाराजा का इनके साथ घनिष्ठ सम्बन्ध था , एक दफा जींद महाराजा शिकार हेतु इनके गावँ रुदरोल पधारे , बैठने के लिए पेश करि गई चारपाइयों की बुनाई भराई महाराज को इतनी पसन्द आईं की वे चौधरी श्योलाल बिजारणियां ने महाराज को इन्हें उपहार स्वरूप दे दिया । राजा जींद खुश हुए और उन्होंने बदले में जीव हत्या न करने का वायदा किया । जींद महाराज ने ही
चौधरी श्योलाल बिजारणियां को जिला दादरी में अठारह हज़ार बीघा भूमि को संभालने वाला सबसे बड़ा भूपति और बाहुबली ओहदा बक्शा, चौधरी श्योलाल बिजारणिया ने मृतक भोज (काज) का बहिष्कार और मूर्तिपूजा को त्यागने का आह्वान किया । वे पहले गोगामेड़ी अक्सर जाते रहते लेकिन अपने पुत्र हरपत सिंह के निमंत्रित प्रसिद्ध आर्य समाजी व सुधारक और पंडित बस्तीराम के आर्य भजनों और प्रवचनों के प्रभाव के कारण मूर्तिपूजा और मरतकभोज काज पर उनके विचार बदल गए और उन्होंने जीवनपर्यंत इन बुराइयों से दूर रहने की सलाह सभी गांव वालों को दी । उन्होंने अपने परिजनों को गंगा जी मे अस्थियाँ प्रवाहित करने से भी मना किया हुआ था| श्योलाल जी ने हमेशां गरीबों और पिछड़ों की मदद में अपना जीवन बिताया । उनके 13 पुत्र थे। सभी बलशाली, सुंदर, स्वस्थ और रूपवान थे और घुड़सवारी के माहिर सवार थे। चौधरी श्योलाल की बनाई हवेली अपनी राजस्थानी किलेनुमा बनावट के लिए इलाके में मशहूर है । श्योलाल बिजारणिया आनरेरी मजिस्ट्रेट के पिता एक राजस्व मंत्री और सेना नायक थे। उनका नाम जंग-ए-शेर पीरदान बिजारणिया था जिसने छुछकवास (झझर) के पास अंग्रेजी सेना को शिकस्त दी थी। रुदडौल गाँव दादरी जिले का एतिहासिक गाँव है। इस गाँव में चौधरी हरपतसिंह चार वेदों का विद्वान था। जो नित सन्ध्या हवन और रामायण की चौपाइयों से अपने दिन की शुरुआत करते थे और उनके आर्य समाज के बड़े नाम स्वामी ओमानन्द जी से घनिष्ठ संबंध थे । चौधरी दलपतसिंह साढ़े 6 फूट का जवान था। जिसने नरभक्षी बाघ को एक लाठी से मार दिया। इनका बेटा भौम सिंह भी 6.5 फूट का है। चौधरी मनसाराम तेज धावक और प्रसिद्ध पहलवान था। उसका पुत्र महिपाल सिंह आर्य एक राष्ट्रवादी चिंतक है। राजकपूर, जोगिंद्र, दीपक, कार्तिक, वैभव, वेदप्रकाश, प्रदीप, कर्मवीर जागरूक नौजवान हैं।
लेखक - महिपाल सिंह आर्य, सुपुत्र श्री मनसाराम आर्य, गाँव रुदडौल, चरखी दादरी, भिवानी। जाट गाथा, मई-2016,पृ.17
Population
1992 persons (2011 Census)[1]
Notable persons
External Links
References
- ↑ http://www.census2011.co.in/data/subdistrict/402-dadri-bhiwani-haryana.html
- ↑ Ganesh Berwal: 'Jan Jagaran Ke Jan Nayak Kamred Mohar Singh', 2016, ISBN 978.81.926510.7.1, p.139
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