Satyun: Difference between revisions

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'''Satyun (सात्यूं )''' ([[Satyu]]) is a village of [[Taranagar]] tahsil in [[Churu]] district in [[Rajasthan]]. This is located 12 kos north-east of [[Churu]] town.
'''Satyun (सात्यूं )''' ([[Satyu]]) is a village of [[Taranagar]] tahsil in [[Churu]] district in [[Rajasthan]].
== Location ==
This is located 12 kos north-east of [[Churu]] town. It is in south east of [[Taranagar]].
== Jat Gotras ==
*[[Sahu]]
== History ==
== History ==



Revision as of 09:33, 19 November 2011

Location of Satyu in Churu district

Satyun (सात्यूं ) (Satyu) is a village of Taranagar tahsil in Churu district in Rajasthan.

Location

This is located 12 kos north-east of Churu town. It is in south east of Taranagar.

Jat Gotras

History

सीधमुख राजगढ़ तहसील में चुरू से 45 मील उत्तर-पूर्व में बेणीवालों की राजधानी रायसलाना से 18 मील दक्षिण-पूर्व में स्थित है. कर्नल टाड ने यद्यपि जाटों की कसवा शाखा का उल्लेख जाटों के प्रमुख ठिकानों में नहीं किया है लेकिन दयालदास, पाऊलेट, मुंशी सोहन लाल आदि ने कसवा जाटों को प्रमुख ठिकानों में गिना है. उनके अनुसार कसवां जाटों का प्रमुख ठिकाना सीधमुख था और राठोडों के आगमन के समय कसवां कंवारपल उनका मुखिया था तथा 400 गाँवों पर उसकी सत्ता थी.[1]

कसवां जाटों के भाटों तथा उनके पुरोहित दाहिमा ब्रह्मण की बही से ज्ञात होता है की कंसुपाल पड़िहार 5000 फौज के साथ मंडोर छोड़कर पहले तालछापर पर आए, जहाँ मोहिलों का राज था. कंसुपाल ने मोहिलों को हराकर छापर पर अधिकार कर लिया. इसके बाद वह आसोज बदी 4 संवत 1125 मंगलवार (19 अगस्त 1068) को सीधमुख आया. वहां रणजीत जोहिया राज करता था जिसके अधिकार में 125 गाँव थे. लड़ाई हुई जिसमें 125 जोहिया तथा कंसुपाल के 70 लोग मारे गए. इस लड़ाई में कंसुपाल विजयी हुए. सीधमुख पर कंसुपाल का अधिकार हो गया और वहां पर भी अपने थाने स्थापित किए. सीधमुख विजय के बाद कंसुपाल सात्यूं (चुरू से 12 कोस उत्तर-पूर्व) आया, जहाँ चौहानों के सात भाई (सातू, सूरजमल, भोमानी, नरसी, तेजसी, कीरतसी और प्रतापसी) राज करते थे. कंसुपाल ने यहाँ उनसे लड़ाई की जिसमें सातों चौहान भाई मरे गए. चौहान भाइयों की सात स्त्रियाँ- भाटियाणी, नौरंगदे, पंवार तथा हीरू आदि सती हुई. सतियों ने कंसुपाल को शाप दिया, जिसके कारण पड़िहार कंसुपाल ने जाटों के यहाँ विवाह किया, जिसमें होने वाली संतान कसवां कहलाई. फाल्गुन सुदी 2 शनिवार, संवत 1150, 18 फरवरी, 1049, के दिन कंसुपाल का सात्यूं पर कब्जा हो गया. फ़िर सात्यूं से कसवां लोग समय-समय पर आस-पास के भिन्न-भिन्न स्थानों पर फ़ैल गए और उनके अपने-अपने ठिकाने स्थापित किए. [2] [3]

Notable persons

  • Jaiprakash Sahu - From Village Satyun (Taranagar), Churu, Student Balaji Uchch Prathmik Satyun. Member State level Volleyball team

References

  1. Dr Pema Ram, The Jats Vol. 3, ed. Dr Vir Singh,Originals, Delhi, 2007 p. 203
  2. गोविन्द अग्रवाल, चुरू मंडल का शोधपूर्ण इतिहास, पेज 115-116
  3. Dr Pema Ram, The Jats Vol. 3, ed. Dr Vir Singh,Originals, Delhi, 2007 p. 203-204

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