Bharati Singh Sinsini: Difference between revisions
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[[ठाकुर देशराज]]<ref>[[Thakur Deshraj]]:[[Jat Jan Sewak]], p.53-54</ref> ने लिखा है ....'''पहलवान भरतीसिंह''' - [पृ.53]: [[Sinsini|सिनसिनी]] में हमेशा पहलवान पैदा होते आए हैं। वह वीरों की खान है। उसका छोटा सा सिर्फ पचास हाथ लंबा चौड़ा किला मुगल बादशाहों को डराता रहा है। यहाँ पर '''घंटोली''' नाम के एक पहलवान | [[ठाकुर देशराज]]<ref>[[Thakur Deshraj]]:[[Jat Jan Sewak]], p.53-54</ref> ने लिखा है ....'''पहलवान भरतीसिंह''' - [पृ.53]: [[Sinsini|सिनसिनी]] में हमेशा पहलवान पैदा होते आए हैं। वह वीरों की खान है। उसका छोटा सा सिर्फ पचास हाथ लंबा चौड़ा किला मुगल बादशाहों को डराता रहा है। यहाँ पर '''घंटोली''' नाम के एक पहलवान 1947 ई. | ||
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[पृ.54]: के मेव विद्रोह में दुश्मनों का सामना करते हुये वीरगति को प्राप्त हुये। '''पहलवान घंटोलीसिंह''' [[Dhruv Singh Sinsinwar|ठाकुर ध्रुवसिंह]] की सेना में खास स्थान रखते थे। उन्होने सदा उनकी आज्ञा में रहकर किसान सभा का काम किया। पहलवान भरतीसिंह उन्हीं के साथी हैं। उनमें पहलवान घटोली से समझ कहीं अधिक है। सन् 1948 ई. के किसान सत्याग्रह में [[Sinsini|सिनसिनी]] से करीब 50 आदमी सत्याग्रह के लिए डीग और भरतपुर आए। आखिरी जत्थे के नायक पहलवान भरतीसिंह ही थे। आपकी उम्र इस समय करीब 45 साल है। आप साँवले रंग के हंसमुख और हट्ठे-कट्ठे आदमी हैं। | [पृ.54]: के मेव विद्रोह में दुश्मनों का सामना करते हुये वीरगति को प्राप्त हुये। '''पहलवान घंटोलीसिंह''' [[Dhruv Singh Sinsinwar|ठाकुर ध्रुवसिंह]] की सेना में खास स्थान रखते थे। उन्होने सदा उनकी आज्ञा में रहकर किसान सभा का काम किया। पहलवान भरतीसिंह उन्हीं के साथी हैं। उनमें पहलवान घटोली से समझ कहीं अधिक है। सन् 1948 ई. के किसान सत्याग्रह में [[Sinsini|सिनसिनी]] से करीब 50 आदमी सत्याग्रह के लिए डीग और भरतपुर आए। आखिरी जत्थे के नायक पहलवान भरतीसिंह ही थे। आपकी उम्र इस समय करीब 45 साल है। आप साँवले रंग के हंसमुख और हट्ठे-कट्ठे आदमी हैं। | ||
== जीवन परिचय == | == जीवन परिचय == |
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Bharati Singh Sinsini (पहलवान भरतीसिंह सिनसिनी), Sinsini (सिनसिनी), Bharatpur was a Social worker in Bharatpur, Rajasthan.[1]
जाट जन सेवक
ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....पहलवान भरतीसिंह - [पृ.53]: सिनसिनी में हमेशा पहलवान पैदा होते आए हैं। वह वीरों की खान है। उसका छोटा सा सिर्फ पचास हाथ लंबा चौड़ा किला मुगल बादशाहों को डराता रहा है। यहाँ पर घंटोली नाम के एक पहलवान 1947 ई.
[पृ.54]: के मेव विद्रोह में दुश्मनों का सामना करते हुये वीरगति को प्राप्त हुये। पहलवान घंटोलीसिंह ठाकुर ध्रुवसिंह की सेना में खास स्थान रखते थे। उन्होने सदा उनकी आज्ञा में रहकर किसान सभा का काम किया। पहलवान भरतीसिंह उन्हीं के साथी हैं। उनमें पहलवान घटोली से समझ कहीं अधिक है। सन् 1948 ई. के किसान सत्याग्रह में सिनसिनी से करीब 50 आदमी सत्याग्रह के लिए डीग और भरतपुर आए। आखिरी जत्थे के नायक पहलवान भरतीसिंह ही थे। आपकी उम्र इस समय करीब 45 साल है। आप साँवले रंग के हंसमुख और हट्ठे-कट्ठे आदमी हैं।
जीवन परिचय
गैलरी
-
Jat Jan Sewak, p.53
-
Jat Jan Sewak, p.54
संदर्भ
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, p.53-54
- ↑ Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, p.53-54
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