Sant Ram Deswal

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Dr. Santram Deswal is an academician, literateur and author of many many books.

व्यक्तिगत परिचय

  • नाम - डॉ. सन्तराम देशवाल 'सौम्य'
  • जन्म - 24 अप्रैल 1955
  • जन्म स्थान' - गांव खेड़का गुज्जर, झज्जर
  • शैक्षिक योग्यता - पी.एच.डी., एम.फिल., एम.ए. (हिन्दी), एम.ए. (अंग्रेजी), एल.एल.बी.।
  • अनुभव - छोटूराम कालेज सोनीपत में हिन्दी के असोशिएट प्रोफेसर के पर अध्यापन किया।

Birth and Education

Awards/Recognitions received

साहित्य के बिना जीवन को समझना असंभव (डॉ. संतराम देशवाल का लेख) -हरिभूमि दैनिक (रोहतक) में 17 मई 2021 को छपा)

हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकार डॉ. संतराम देशवाल 'सौम्य' का मानना है कि जीवन को समझने के किए साहित्य के मार्ग से जाना जरूरी है। यही कारण है कि इस परिवर्तनशील युग में भी साहित्य की महत्ता को कभी कम नहीं किया जा सकता। आज के इस आधुनिक युग में खासकर नई युवा पीढी के बीच साहित्य सृजन की जरूरत को देखते हुए उन्हें प्रेरित किया जाना चाहिए, जो इंटरनेट को ही अपना सबसे बड़ा सहारा मानकर चल रहे हैं। इसी बदली सोच के कारण संवेदनशीलता कम हो रही है। इसी सोच को बदलने के प्रयास में साहित्य की प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए वे खुद सेवानिवृत्ति के बाद से देशभर में भ्रमण कर युवा पीढ़ी को साहित्य के प्रति जागरूक करने का अभियान चला रहे हैं। साहित्यकार डॉ. संतराम देशवाल ने हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई बातचीत के दौरान साहित्य के क्षेत्र के ऐसे पहलुओं को साझा किया।

प्रसिद्ध साहित्यकार एवं लेखक डॉ. संतराम देशवाल ने साहित्य के क्षेत्र में भारतीय संस्कृति के साथ हरियाणवी भाषा को भी सर्वोपरि रखते हुए अपनी लिखी दो दर्जन से ज्यादा पुस्तकों का लेखन करने के अलावा वे लंबे समय से पत्रकारिेता के क्षेत्र में स्वतंत्र लेखन करते रहे। उन्होंने कई पत्रिकाओं का संपादन भी किया है। खासकर साहित्य अकादमी की हरिगंधा नामक प्रतिष्ठित पत्रिका के अतिथि संपादक रह चुके हैं। उन्होंने बताया कि वह इसके अलावा वे कई अन्य पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी कर चुके हैं। दूरदर्शन और आकाशवाणी पर कई वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं, तो वहीं विभिन्न संस्थाओं में शतश. व्याख्यान और संयोजन व संचालन भी करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में संपादन और विभिन्न संस्थाओं में हिन्दी विशेषज्ञ तथा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अधिवक्ता का दायित्व निभा रहे हैं। डॉ. संतराम देशवाल के 80 के दशक से विभिन्न समाचार पत्रों में अलग से कॉलम छपते रहे हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि सोनीपत के जिस छोटूराम सी.आर.ए. कॉलेज में 1987 में उन्होंने हिंदी के सहायक प्रोफेसर के पद पर करीब 30 साल तक अध्यापन किया, सन् 1976 से वे इसी कॉलेज में पढ़े। शिक्षक की भूमिका के साथ-साथ वे लेखन का कार्य भी करते रहे हैं। सन् 2005 में आंगन में मोर नाचा, किसने देखा पुस्तक लिखी। वर्ष 2014 में वह सेवानिवृत हो गए।

पुरस्कार व सम्मान

हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पत्रकारिता व लेखन के क्षेत्र में विशेष स्थान रखने वाले साहित्यकार डॉ. संतराम देशवाल को पांच लाख रुपये के महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना पुरस्कार-2018 से सम्मानित करने का फैसला किया गया। इससे पहले अकादमी ने डॉ. देशवाल को हरियाणवी भाषा में उकेरी गई कविता व गजल पर लिखी पुस्तक अनकहे दर्द को वर्ष 2010 तथा 2004 में लिखी गई उनकी पुस्तक लोक आलोक को सर्वश्रेष्ठ पुस्तक के रूप में पुरस्कृत करते हुए जनकवि मेहर सिंह सम्मान 2014 से नवाजा है। केन्द्रिय साहित्य अकादमी दिल्ली भी डॉ. देशवाल को लोक साहित्य अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है। उन्हें बाल मुकुन्द साहित्य सम्मान, लोक साहित्य शिरोमणि सम्मान, पंचवटी सम्मान, काव्य कलश सम्मान, हिन्दी सहस्राब्दी सम्मान, सर्वोत्तम शिक्षक सम्मान, सर्वोत्तम पत्रकारिता पुरस्कार, हादी-हरियाणा सम्मान, सोनीपत रत्न अवार्ड, शतश: सांस्कृतिक पुरस्कार के साथ कई निबंध और लेखन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें समाज सेवा सम्मान पाने का भी सौभाग्य मिला है, जिसमें एम.डी.यू. द्वारा तीन बार सर्वोत्तम कार्यक्रम अधिकारी सम्मान दिया गया। उन्हें भारत सरकार से भी प्रशंसा पत्र का सम्मान मिला है।

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