Baroda Dungarpur

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Location of Baroda on District Map of Dungarpur

Baroda (बड़ोदा) is an ancient village in Aspur tahsil in Dungarpur district in Rajasthan. Its ancient name was Vatapadraka (वटपद्रक).

History

Vaijawa Mata temple Inscription of 1234 AD

Sanskrit Text
संवत 1291 वर्षे पौष शुदी 3 रवौ ।।
बागड़ वटपद्र के महाराजाधिराज श्री सीहड़देव (वो) विजयोदायी ।
सर्व्वमुद्रा.... महाप्रधान.... वीहड़ ।
विंझलपुरे निवासितादेव्या: भोपा महिलण सुत....
वयजाकेन देव्या: प्रासादो.... नवकारापित:
Vaijawa Mata temple Inscription of 1234 AD[1]

डॉ. गोपीनाथ [2] लिखते हैं कि यह लेख भैकरोड़ा गाँव के पास वैजावा (विंध्यवासिनी) माता का एक लेख वि.स. १२९१ का है. इसका आशय यह है कि बागड़ के वटपद्रक (बडौदा) के महाराजाधिराज श्री सीहड़देव का महा-प्रधान वीहड़ था. उस समय उक्त देवी के भोपा मेल्हण के पुत्र वैजक ने उस मंदिर का पुनरुद्धार करवाया. इसमें प्रयुक्त महाप्रधान तथा भोपा शब्द का प्रयोग विशेष महत्व का है. इसका अक्षांतर इस प्रकार है -

Vatapadraka Inscription of year 1235 AD

डॉ. गोपीनाथ [3] लिखते हैं कि यह लेख डूंगरपुर राज्य के वटपद्रक अर्थात बड़ौदा से प्राप्त हुआ है जो सामन्तसिंह के वंशधर सीहड़देव के समय का है. इसका समय वि.स. 1291 है. इससे ज्ञात होता है कि भीमदेव (भोला भीम) के समय के समय में सामंतसिंह के वंशधरों ने वि.स. 1277 (1221 ई.) से पूर्व सोलंकियों का बागड़ से अधिकार समाप्त कर दिया था.

Bamasa Inscription of 1302 AD

Sanskrit Text
"संवत १३५९ वर्षे आषाढ सुदि १५ वागडपद्र के महाराजकुल श्री वीरसिंह्देव कल्याण विजयराज्ये.... महमो[ढ] ज्योतिषी महावसुत ज्योतिवाधादित्यस्य (न्याय) मंगहड ग्रामं उदकेन प्रदत्त "
Bamasa Inscription of 1302 AD[4]

बमासा गांव का लेख १३०२ ई.

वागड़ के अन्तर्गत बमासा गांव [5]का वि.सं १३५९ आषाढ सुदि १५ (ई. १३०२ ता. ११ जून) का यह लेख बागड़ वटपद्रक के महाराजकुल श्री वीरसिंह देव के ज्योतिषी महाप के पुत्र वधादित्य को उक्त महारावल द्वारा मंगहडक (मूंगेड़) गांव देने की सूचना देता है. इससे बड़ोदे की सम्पन्न अवस्था तथा वीरसिंह देव की धर्म-परायणता, वैभव, दानशीलता व उदारता का बोध होता है. इसका मूल पाठ यहाँ दिया गया है.

Notable persons

External links

References

  1. शर्मा डॉ. गोपीनाथ शर्मा: राजस्थान के इतिहास के स्त्रोत, 1983, पृ. 104
  2. डॉ. गोपीनाथ शर्मा: राजस्थान के इतिहास के स्तोत्र, 1983, पृ. 104
  3. डॉ. गोपीनाथ शर्मा: राजस्थान के इतिहास के स्तोत्र, 1983, पृ. 104
  4. शर्मा डॉ. गोपीनाथ शर्मा: राजस्थान के इतिहास के स्त्रोत, 1983, पृ. 126
  5. डॉ गोपीनाथ शर्मा: 'राजस्थान के इतिहास के स्त्रोत', 1983, पृ.126

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