Bhoor Singh Kuhad

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Author:Laxman Burdak, IFS (R), Jaipur

Bhur Singh of Deorod

Bhoor Singh Kuhad from village Deorod in Jhunjhunu district was a freedom fighter from Rajasthan. He was elder brother of Panne Singh Deorod. He was born in the family of Chaudhary Jalu Ram Kuhar, at village Deorod in Chirawa tahsil , district Jhunjhunu , Rajasthan. [1]

He was hero of Shekhawati farmers movement.

जीवन परिचय

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है ....कुंवर भूरसिंह - [पृ.391]: चौधरी जालूराम जी का जन्म नरहड़ कस्बे में संवत 1920 में हुआ था। देवरोड़ में उनकी ननसाल थी। पिता 2 साल के बाद मर चुके थे इसलिए उनकी मां देवरोड में आ गई। संवत 1940 में मां तीर्थाटन के चली गई। गरीब बालक जालू राम ने अत्यंत परिश्रम से अपनी आर्थिक दशा को संभाला। कुछ गुंजाइश हुई तो सारी कमाई को लेन-देन में लगाते रहे। वह लेन देन उन्हें इतना फला कि संतान और पैसे का घाटा न रहा। आपने अनेक तीरथों की यात्रा की और भूखे नंगो को मदद दी। काम करते-करते भी आप राम नाम का जप नहीं भूलते थे। संवत 1999 में आप का देहांत हो गया।


[पृ.392]: चौधरी जालूराम जी के चार पुत्र थे: 1. चेतराम, 2. भूर सिंह, 3. पन्ने सिंह और 4. बेगराज। चेतराम जी का देहांत चौधरी जी की तरुणावस्था में ही हो चुका था। उन्होंने हरदेव सिंह नाम के पुत्र को छोडा। पन्ने सिंह जी उनके ही आगे गुजर गए। भूर सिंह जी और बेगराज जी मौजूद हैं।

भूर सिंह जी का जन्म संवत 1950 (1894 ई.) में माघ सुदी 10 को हुआ था। आपके पिता ने अपने पुत्र को शिक्षा के लिए एक पंडित जी को नियुक्त किया था। जिससे आपने कामचलाऊ शिक्षा प्राप्त कर ली।

संवत 1965 से आपको अखबार पढ़ने का शौक लगा। तब से आप बराबर अखबार पढ़ते हैं। श्री वेंकटेश्वर समाचार, विश्वामित्र और प्रताप आपके प्रिय अखबार रहे हैं। भारत वीर, जाट वीर, जाट जगत और गणेश को भी आपने बराबर मंगाया। लोकोपयोगी साहित्य क्या आपके यहां एक छोटा सा संग्रह है।

सन् 1932 से जाट महासभा के संपर्क में आए और ठाकुर देशराज जी को शेखावाटी की दशा सुधारने के लिए आपने हार्दिक सहयोग दिया। आरंभ में दिल खोलकर कमाते थे और खूब खर्च करते। विवाह शादियों की समस्त फिजूलखर्ची आपने जाट सभा के संसर्ग में आते ही कम कर दी। झुंझुनू जाट महोत्सव से लेकर सीकर जाट महायज्ञ तक आपने तन मन धन से शेखावाटी की सेवा की। जब शेखावाटी की जाट किसान पंचायत में तब्दील हुई तब भी आप उसके साथ रहे। किंतु जब पंचायत की जगह प्रजामंडल वेली और झुंझुनू के जाट बोर्डिंग के नाम से जाट शब्द मिटा दिया गया आप अपने इलाके के साथियों से अलग हो गए और इच्छत जीवन बिताने लगे।


[पृ.393]: आप के आठ पुत्र हैं: 1 हमीर सिंह, 2 हनुमान सिंह, 3 जगदेव सिंह, 4 सज्जन कुमार, 5 हुकमा सिंह, 6 शेर सिंह, 7 फतेह सिंह, 8 दलीप सिंह।

हांसलसर के चौधरी हरजीराम जी की सुपुत्री बींज कुमारी आपकी धर्मपत्नी है। कुँवर भूरसिंह जी की बुद्धि तीक्ष्ण, गहरी और विचार सुलझे हुए हैं। यदि आप सही तबीयत के आदमी न होते तो और कष्ट सह लेते तो आज शेखावाटी के सर्वोपरि नेता होते।

Gallery

External links

References

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.391-393
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.391-393

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