Indrakila

From Jatland Wiki
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Indrakila (इंद्रकील) is a mountain mentioned in Mahabharata located in north of Himalayas. It was ancient name of Sikkim.

Variants

  • Indrakila (इंद्रकील) (AS, p.74)
  • Indra-Kila इंद्र-कील : पुं० [ष० त०] 1. हिमालय पर्वत की वह चोटी जहाँ अर्जुन ने नये शस्त्रास्त्र प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी। 2. कुछ लोगों के मत से मंदर या मंदार पर्वत का दूसरा नाम। [1]
  • Indrakil

Origin

Various definitions

  • Indrakīla (इन्द्रकील) is the name a locality mentioned in Rājaśekhara’s 10th-century Kāvyamīmāṃsā.—It is one of the peaks in the interior of the Himālayas.[2]


  • Indrakīla (इन्द्रकील).—A mountain in front of the Himālaya and Gandhamādana mountains. The presiding deity of this mountain is a devotee of Kubera. (Mahābhārata Vana Parva, Chapter 37).[3]
  • Indrakīla (इन्द्रकील).—A mountain in Bhāratavarṣa.[4]
  • Indrakila (इन्‍द्रकिला): A mountain Arjuna passed on his way to the Himalayas to practise austerities to acquire powerful new weapons from Lord Mahadeva.[5]
  • Indrakīla (इन्द्रकील) is mentioned in the Nīlamatapurāṇa and could correspond to some hill to the west of Kaśmīra.—As the temple of Durgā on the bank of Madhumatī seems to be the same as the shrine of Śāradā described by Stein, it is reasonable to assume that Indrakīla and Gaurī-śikhara which are mentioned in the Nīlamata in connection with the temple of Durgā, may be designations of some hills to the west of Kaśmīra.[6]
  • Indrakīla (इन्द्रकील).—m. (-laḥ) The mountain Mandara, a fabulous mountain with which the ocean was churned. E. indra and kīla a pin or bolt.
  • Indrakīla (इन्द्रकील).—m. the name of a mountain, [Rāmāyaṇa] 2, 80, 18.

Source - https://www.wisdomlib.org/definition/indrakila

History

इंद्रकील

विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है ...इंद्रकील (AS, p.74) हिमालय के उतर में एक छोटा सा पर्वत। इंद्रकील पर अर्जुन ने उग्र तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप अर्जुन को इंद्र के दर्शन हुए थे। हिमवन्तमतिक्रम्य गंधमादनमेव च, अत्यक्रामत् स दुर्गाणि दिवारात्रमतिन्द्रत:। इंद्रकीलं समासाद्यततोऽतिष्ठद् धनंजय:'। (महाभारत, वनपर्व 37, 41-42 ।) इंद्रकील के निकट ही शिव और अर्जुन का युद्ध हुआ था। (महाभारत, वनपर्व 38)

किलकिलेश्वर महादेव, चौरास श्रीनगर

किलकिलेश्वर महादेव, चौरास श्रीनगर

गढ़वाल के पांच महातम्यशाली शिव सिद्धपीठों किलकिलेश्वर, क्यूंकालेश्वर, बिन्देश्वर, एकेश्वर, ताड़केश्वर में किलकिलेश्वर का प्रमुख स्थान है। श्रीनगर के ठीक सामने अलकनन्दा के तट पर विशाल चट्टान पर स्थित यह मन्दिर युगों से अलकनन्दा के गर्जन-तर्जन को सुनता आ रहा है।

श्रीनगर स्थित कमलेश्वर मन्दिर की तरह ही किलकिलेश्वर मन्दिर मठ की प्राचीनता और मान्यता पौराणिक है। केदारखण्ड पुराण से प्राप्त वर्णन के अनुसार महाभारत काल में पाशुपत अस्त्र की प्राप्ति के लिये अर्जुन ने इन्द्रकील पर्वत पर तपस्या की थी। अर्जुन के पराक्रम की परीक्षा लेने के लिये भगवान शिव ने किरात (भील) का रूप धारण कर अर्जुन से युद्ध किया था। युद्ध के समय शिव के किरात रूपी गणों के किलकिलाने का स्वर चारों ओर गूंजने लगा। अत: यह स्थान किलकिलेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुआ।

भागीरथी का एक नाम किराती था उसकी प्रमुख सहायक भिलंगना (भील-गंगा) और अलकनन्दा के मध्यवर्ती क्षेत्र में भील राज्य था और यह पूर्णतया संभव है कि उत्तराखण्ड आगमन में अर्जुन का संघर्ष सुअर का शिकार करते हुये भीलों से हुआ होगा। वर्तमान मन्दिर निश्चित रुप से विशाल मन्दिर है। गर्भगृह के तीन और प्रवेशद्वार है, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर। क्योंकि पश्चिम दिशा के प्रवेशद्वार के शीर्ष पर निर्माण शिलालेख लगा है अत: इसे ही मुख्य द्वार कहेंगें। मन्दिर में भैरवलिंग स्थापित हैं। मुख्य मन्दिर के अन्दर आठ इन्च ऊचें शिवलिंग के चारों तरफ़ लकड़ी के आठ खंभों पर काष्ठ का एक बहुत ही सुन्दर मन्दिर बना है। मन्दिर के अन्दर गणेश श्री की ढाई फीट ऊंची चतुर्भुजी मूर्ति अति सुन्दर है। मन्दिर परिसर में ही पूर्व दिशा की ओर मुंह किये पूंछ को अग्रीव उठाये हुये एक उन्नत सिहं लगभग एक हजार वर्ष की प्राचीनता का स्मारक है।[8]

External links

References

  1. भारतीय साहित्य संग्रह - इंद्र-कील
  2. Source: Shodhganga: The Kavyamimamsa of Rajasekhara
  3. Source: archive.org: Puranic Encyclopedia
  4. Source: Cologne Digital Sanskrit Dictionaries: The Purana Index
  5. Source: WikiPedia: Hinduism
  6. Source: archive.org: Nilamata Purana: a cultural and literary study (history)
  7. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.74
  8. http://www.uttarakhandtemples.in/temples/Srinagar/kilkileshwar-temple-chauraas-srinagar