Chengalpattu

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(Redirected from Jatayukunda)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Kanchipuram district map
Tamilnadu Map

Chengalpattu (चेंगलपट्टु) is a town and district in the State of Tamil Nadu, India. On 30 November 2019, Chengalpattu district was bifurcated from the erstwhile Kanchipuram district comprising Tirukalukundram, Chengalpattu, Madurantakam, Cheyyar, Tiruporur, Tambaram, Pallavaram, and Vandalur taluks.

Location

It is the headquarters of the district and is 56 kms southwest of the state capital, Chengalpattu and 41 km Away from Chennai City Entrance Gateway Meenambakkam on the National Highway 45. Chengalpattu Railway Station, technically known as CGL, is one of the major railway junctions of the Southern Railway and is a nationally important halt. The city is believed to have been named after a lily called 'chenkazhuneer poo' which is found aplenty in the region. It is on the Palar River about 56 km southwest of Chennai city (Madras).

Variants

Jat clans

Changal

History

Chengalpattu was formerly a capital of the kings of Vijayanagara, after their defeat by the Deccan sultanates at Battle of Talikota in 1565.[1] In 1639 a local governor or nayak, subject to these kings, granted a piece of coastal land to the British East India Company where Fort St George now stands, which became the nucleus of the city of Madras. The fortress at Chengalpattu, built by the Vijayanagara kings in the 16th century, was of strategic importance, owing to its swampy surroundings and the lake that flanked its side.[1]

Chengalpattu was taken by the French in 1751 and was retaken in 1752 by Robert Clive, after which it proved of great strategic advantage to the British, especially when Lally failed to capture the fortress in his advance on Madras.[2]

During the wars of the British with Hyder Ali of Mysore, it withstood his assault and afforded a refuge to the nearby residents. In 1780, after the defeat of Colonel W Baillie, the army of Sir Hector Munro took refuge there.[1] By 1900 the town was noted for its manufacture of pottery and was a local market center, especially of the rice trade.[3]

चेंगलपट्टु परिचय

चेंगलपट्टु (Chengalpattu): चेंगलपट्टु भारत के तमिल नाडु राज्य के चेंगलपट्टु ज़िले में स्थित एक छोटा शहर है, जो राज्य की राजधानी, चेन्नई, का भाग है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। राष्ट्रीय राजमार्ग 32 यहाँ से गुज़रता है और यहाँ चेन्नई उपनगरीय रेलवे-दक्षिण लाइन का भी एक स्टेशन है। यह चेन्नई से 55 किमी दूर नैशनल हाईवे 45 पर स्थित है। यह पलार नदी के किनारे स्थित है। इसके दक्षिणी सिरे पर कोलवई झील है।

चिंगलपट

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...चिंगलपट या 'चिंगलपेट' (AS, p.333) मद्रास (वर्तमान चेन्नई) में समुद्र तट पर स्थित एक दुर्ग नगर है। यहाँ के क़िले के एक पार्श्व में दोहरी क़िलाबंदी है और तीन ओर झील तथा दलदलें हैं। यहाँ से 5 मील (लगभग 8 कि.मी.) पर पहाड़ी के ऊपर दक्षिण का प्रसिद्ध 'पक्षीतीर्थ' है। पहाड़ी पर भगवान शिव का मंदिर और 'जटायुकुंड' भी है। जटायुकुंड का संबंध रामायण के गिद्धराज जटायु से बताया जाता है। पहाड़ी के नीचे 'शंखतीर्थ' है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बहुत प्रारंभिक दिनों में यह स्थान क्रांतिकारी और गोपनीय कार्यवाहियों और बैठकों का अड्डा बन गया था। जुलाई, 1857 में दो हिन्दू मंदिर- एक छोटा चिंगलपुट शहर के तीन मील दक्षिण पश्चिम, मनिपकम में और दूसरा उससे बड़ा, चिंगलपुट शहर के उत्तर में पल्लवरम में स्थित, क्रांतिकारियों के क्षेत्रीय शरण-स्थल बन गए थे।

वेदांतगल पक्षी विहार

वेदांतगल पक्षी विहार (Vedanthangal Bird Sanctuary): यह पक्षी विहार चेंगलपट्टु जिले में स्थित है और चेन्नई से 75 कि.मी. है। केके सोमसुंदरम (IFS) वाइल्ड लाइफ वार्डन हैं. यहाँ का ख़ास आकर्षण 'वाच टॉवर ' और वहाँ बनी पक्षियों की तस्वीर हैं जिनकी सहायता से पक्षियों को आसानी से पहचाना जा सकता है। वेदान्थांगल पक्षी अभयारण्य दो कारणों के लिए देश भर के पक्षी प्रेमियों का तथा पक्षी-वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित करती है। सबसे पहले, यह भारत में स्थापित किए गए प्रथम पक्षी अभयारण्यों में से एक है जिसका इतिहास ब्रिटिश शासन काल जितना पुराना है। दूसरा, इस अभयारण्य को जो राष्ट्रव्यापी महत्व मिलता है इसका श्रेय इस अभयारण्य के संरक्षण के लिए दिए गए स्थानीय समुदायों के लोगों की भागीदारी को जाता है। विविध प्रकार के प्रवासी पक्षियों के कारण वेदान्थांगल पक्षी अभयारण्य देश भर से पक्षी प्रेमियों को आकर्षित करता है। इस अभयारण्य में देखे जाने वाले दुर्लभ और विदेशी पक्षियों की प्रजातियों में कलहंस, ऑस्ट्रेलिया का ग्रे हवासील, श्रीलंका का ड़ार्टर, ग्रे बगुला, ग्लॉसी आइबिस, ओपन बिल सारस, साइबेरियाई सारस, स्पॉट बिल हंस शामिल हैं। इस अभयारण्य में अनगिनत छोटी झीलें मौजूद हैं और यह 74 एकड़ के क्षेत्र में फैला है। नवंबर और दिसंबर के महीनों में इस अभयारण्य में यूरोपीय प्रजाति के कई दुर्लभ पक्षी देखे जा सकते हैं। पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण वृक्ष प्रजातियाँ हैं- Baringtonia sp. और Acacia nilotica. [5]

External links

References

  1. "Chingleput" . Encyclopædia Britannica. 6 (11th ed.). 1911. p. 233.
  2. "Chingleput" . Encyclopædia Britannica. 6 (11th ed.). 1911. p. 233.
  3. "Chingleput" . Encyclopædia Britannica. 6 (11th ed.). 1911. p. 233.
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.333
  5. https://hindi.nativeplanet.com/vedanthangal/attractions/vedanthangal-bird-sanctuary/#overview