Shveta Giri

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(Redirected from Shvetagiri)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Shveta Giri (श्वेतगिरि) is a mountain mentioned in Mahabharata, Vishnu Purana and jaina records.

Origin

Variants

History

Śvetagiri (श्वेतगिरि) is the name a locality mentioned in Rājaśekhara’s 10th-century Kāvyamīmāṃsā.—This is the second mountain to the north of the Mahāmeru, which is situated in the middle of Jambūdvīpa. It is regarded as the principal mountains of the continent know as Hiranmaya varṣa.[1][2]


Svetagiri (Vedagiri) refers to Veḷḷaṟai, one of the 108 Vaishnava Divya Desam (divyadeśas or divyasthalas), located in the topographical division of Cōḻanāṭu (“Chola country”), according to the 9th century Nālāyirativviyappirapantam (shortly Nālāyiram).—Tradition would record the Vaiṣṇava divyadeśas or divyasthalas are 108. The divyadeśa is a base of the cult of Viṣṇu in Viṣṇuism [Vaiṣṇavism] tradition. The list of 108 [viz., Svetagiri] seems to have reached maturation by about the early 9th century CE as all the deśas are extolled in the hymns of the twelve Āḻvārs.[3][4]


Thiruvallarai, also spelled as Thiruvellarai, is a small temple town in the Indian state of Tamil Nadu. The Pundarikakshan Perumal Temple, a Vishnu temple is located here.

श्वेतगिरि

विजयेन्द्र कुमार माथुर [5] ने लेख किया है ...श्वेतगिरि (AS, p.926): महाभारत, वनपर्व में उल्लिखित पर्वत - 'श्वेतंगिरिं प्रवेक्ष्यामो मंदरं चैव पर्वतम्, यत्रमणिवरो: यक्षः कुबेरश्चैव यक्षराट्।' महाभारत, वनपर्व 139,5. श्वेतगिरि को मंदराचल पर्वत के निकट बताया गया है। यक्षराज कुबेर का निवास कहे जाने से जान पड़ता है कि श्वेतगिरि कैलास पर्वत का ही एक नाम था। कैलास के हिमधवल शिखरों की श्वेतता का वर्णन संस्कृत साहित्य में प्रसिद्ध ही है। महाभारत, वनपर्व 139, 11 में कुछ आगे इसी प्रसंग के अंतर्गत कैलास का उल्लेख है।

जैन धर्म के ग्रंथ 'जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति' में श्वेतगिरि की जंबूद्वीप के 6 वर्षपर्वतों में गणना की गई है। 'विष्णुपुराण' 2, 2, 10 में मेरु पर्वत के उत्तर में तीन पर्वत श्रेणियां बताई गई हैं- नील, श्वेत, श्रंगी; 'नीलः श्वेतश्च श्रंगी च उत्तरे वर्षपर्वताः।' यह श्वेतवर्ष का मुख्य पर्वत है। 'महाभारत' का 'श्वेतगिरि' तथा 'विष्णुपुराण' का 'श्वेत' एक ही जान पड़ते हैं। श्वेतगिरि का अभिज्ञान कुछ विद्वान हिमालय में स्थित 'धवलगिरि' या 'धौलागिरि' से भी करते हैं। श्वेतगिरि को महाभारत में श्वेतपर्वत भी कहा गया है। 'मत्स्यपुराण' में दैत्य-दानवों को श्वेतपर्वत का निवासी बताया गया है।

(2) मद्रास त्रिचनापल्ली से प्राय: 13 और श्रीरंगम् से 10 मील पर स्थित तिरूवेल्लार का प्राचीन नाम. यह दक्षिण भारत में लक्ष्मी-विष्णु का उपासना का केंद्र है.

External links

References

  1. Source: Shodhganga: The Kavyamimamsa of Rajasekhara
  2. https://www.wisdomlib.org/definition/shvetagiri
  3. Source: Acta Orientalia vol. 74 (2013): Historical sequence of the Vaiṣṇava Divyadeśas
  4. https://www.wisdomlib.org/definition/shvetagiri
  5. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.926