Kamal Singh Tharet

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Kamal Singh Tharet (born:1927) (ठाकुर कमलसिंह) from Tharet, Datia, Madhya Pradesh, was a social worker and freedom fighter. [1]

जाट जन सेवक

ठाकुर देशराज[2] ने लिखा है .... ठाकुर कोकसिंह जी - [पृ.553]: दतिया में सेवड़ा तहसील में थरेट एक प्रसिद्ध गांव है जो दतिया-सेवड़ा रोड पर अवस्थित है। आपके पूर्व पुरुष चौदवी सदी में लाल गांव से इधर उधर आकर आबाद हुए। मानसहाय जी इसमें एक अत्यंत प्रसिद्ध पुरुष थे। इन्हीं के वंश में आगे चलकर ठाकुर कमलसिंह जी हुये।

ठाकुर कमलसिंह जी एक प्रसिद्ध पुरुष थे और उनका नाम दूर-दूर तक फैला हुआ है।

यह कहा जा सकता है कि मध्य भारत और बुंदेलखंड में जाटों में सबसे पहले जागृति की बात सोचने वालों में ठाकुर


[पृ.554]: भूपसिंह जी के साथ ही आपका नाम आता है। उन्होंने अपनी उम्र में काफी धन संचय किया और अपने जमीदारी की तरक्की की।

वे प्राय सभी जाट उत्सवों में ठाकुर भूपसिंह जी के साथ शामिल हुए। सुदूर राजस्थान के झुंझुनू और सीकर के उत्सव में भी भी गए। 'जाट जगत' आगरा को उन्होंने आर्थिक सहायता देकर अपना कर्तव्य निभाया था।

मध्य भारत और बुंदेलखंड के बड़े बड़े घरों में आपकी रिश्तेदारियां हैं। उनके बड़े पुत्र श्री कोकसिंह जी हैं जो अंग्रेजी और हिंदी में अच्छी योग्यता रखते हैं। दूसरे छोटे पुत्र सावलसिंह हैं जो पढ़ रहे हैं।

श्री कोकसिंह का जन्म संवत 1984 विक्रमी (1927 ई.) में हुआ है और सोवरनसिंह जी का जन्म संवत 1983 में हुआ है। श्री कोकसिंह जी का विवाह मलऊआ के ठाकुर भगवतसिंह जी की सुपुत्री के साथ हुआ है।

हमारे यहां की कहावत है कि जो लड़के अपने पिता के संचय किए हुये धन और यस को बढ़ाते हैं वह सपूत कहलाते हैं। इन मानों में आप अपने यशस्वी पिता के सुयोग्य और सुपुत्र सिद्ध हुए हैं। आप की अवस्था अभी आरंभिक युवापन में है किंतु जवानी में जो बुराइयां आदमियों में अक्सर पैदा हुआ करती है वह आपको छू भी नहीं गई है।

आपने पिता द्वारा छोड़ी हुई संपत्ति और कीर्ति को बढ़ाया है यही कारण है कि लोग आपसे स्नेह करते हैं। स्वभाव आपका मीठा मिलनसार और चित्त प्रसन्न और सौम्य है। आप कौम को उन्नति के लिए तो सदैव प्रयत्नशील


[पृ.555]: रहते ही हैं दूसरे देश सेवा के कामों में भी भाग लेते हैं। दतिया के पिछले राष्ट्रीय आंदोलन में आप ने भाग लेकर अपनी देश भक्ति का परिचय दिया था।

जीवन परिचय

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ

  1. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.553-555
  2. Thakur Deshraj:Jat Jan Sewak, 1949, p.553-555

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