Balga Nand Ahlawat

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Sepoy Balga Nand Ahlawat, 11 Jat

Balga Nand Ahlawat (Sepoy ) became martyr of casualty on 13.03.1986 at Siachin Glacier. He was from Dighal village in Jhajjar district of Haryana.

Unit - 11 Jat Regiment

सिपाही बलगा नंद अहलावत

सिपाही बलगा नंद अहलावत

3173498

वीरांगना - श्रीमती सरस्वती देवी

यूनिट - 11 जाट रेजिमेंट

ऑपरेशन मेघदूत

सिपाही बलगा नंद हरियाणा के झज्जर जिले की बेरी तहसील के डीघल गांव के निवासी थे और भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट की 11 बटालियन में सेवारत थे।

वर्ष 1947-48 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के पश्चात वर्ष 1949 में युद्धविराम रेखा (Ceasefire Line) को मान्य किया गया था। 1971 के युद्ध के पश्चात दिसंबर 1972 के शिमला सम्मेलन में सुचेतगढ़ समझौते में नियंत्रण रेखा (LoC) के रूप में पुनः मान्य किया गया था। दोनों पक्षों ने नियंत्रण रेखा को आत्मसात किया था, किंतु NJ-9842 से आगे की रेखा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था।

दोनों पक्षों द्वारा उस निर्जन क्षेत्र को किसी भी प्रकार के सैन्य अभियान के वृत से पृथक रखा जाता था। किंतु समझौते के विपरीत वर्ष 1964 से 1972 के मध्य, पाकिस्तान ने अपने नक्शे में युद्धविराम रेखा को NJ-9842 से काराकोरम दर्रे के उत्तर की ओर नहीं दर्शा कर ठीक पश्चिम में एक बिंदु तक अपने नक्शे में दर्शाना आरंभ किया और इसके कारण सियाचिन का विवाद गंभीर रूप लेने लगा था।

पाकिस्तान के सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में उकसावे की कार्रवाई और हस्तक्षेप के कारण 13 अप्रैल 1984 को मेजर संजय कुलकर्णी के नेतृत्व में भारतीय सेना ने "ऑपरेशन मेघदूत" आरंभ किया और सियाचिन ग्लेशियर की महत्वपूर्ण चौकियों पर अधिकार कर लिया। उसके पश्चात इस ऑपरेशन में वृहद संख्या में भारतीय सैनिकों को तैनात किया गया। वर्ष 1985 के अंत में 11 जाट बटालियन को भी "ऑपरेशन मेघदूत" में तैनात किया गया था।

सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में, तैनात भारतीय सैनिकों को पाकिस्तानी सेना द्वारा अकारण की गई गोला वृष्टि के साथ-साथ अति प्रतिकूल जलवायु की स्थिति भी सहन करनी पड़ती थी। उप-शून्य तापमान और अप्रत्याशित हिमपात/हिमस्खलन के साथ सियाचिन क्षेत्र में गश्त करना अति चुनौतीपूर्ण और अति संकटमय कार्य था।

13 मार्च 1986 को 11 जाट बटालियन के नायब सूबेदार नफे सिंह के नेतृत्व में एक टुकड़ी ने गश्त आरंभ की। गश्त के समय शत्रु ने अकारण गोला वृष्टि आरंभ कर दी। गोलों के भयानक विस्फोट के परिणामस्वरूप हिमस्खलन (AVALANCHE) हुआ और नायब सूबेदार नफे सिंह और उनके साथी हिम की विशाल परतों में दब गए। सेना द्वारा उनके रक्षण के लिए त्वरित वृहद स्तर पर रक्षण अभियान चलाया गया किंतु सिपाही बलगा नंद अहलावत और उनके सात साथी वीरगति को प्राप्त हो गए थे।

इस हिमस्खलन में बलिदान हुए सैनिकों का विवरण...

नायब सूबेदार नफे सिंह, JC135645, सेना मेडल (मरणोपरांत), वीरांगना - श्रीमती थनपति देवी, गोयला कलां गांव, बादली, झज्जर, हरियाणा

नायक पेमा राम सेल, 3164124, वीरांगना - रूकमा देवी, रियां (सेठां की) गांव, पीपाड़, जोधपुर, राजस्थान

नायक रिसाल सिंह, 3164435, वीरांगना - श्रीमती कृष्णा देवी, बरहाणा गांव, झज्जर, हरियाणा

सिपाही दिलबाग सिंह, 3171736, वीरांगना - श्रीमती कृष्णा देवी, बोडिया गांव, झज्जर, हरियाणा

सिपाही बलगा नंद अहलावत, 3173498, वीरांगना - श्रीमती सरस्वती देवी, डीघल गांव, बेरी, झज्जर, हरियाणा

सिपाही राम प्रताप, 3169419, वीरांगना - श्रीमती रोशनी देवी, मातनहेल गांव, झज्जर, हरियाणा

सिपाही राम सिंह श्योराण, 3175500, वीरांगना - श्रीमती ओमपति देवी, दमुआका, गांव, खैर, अलीगढ़ उत्तरप्रदेश


सिपाही मान सिंह भास्कर, 3170850, वीरांगना - श्रीमती रामप्यारी देवी, बिशनपुरा गांव, झुंझुनूं, राजस्थान

शहीद को सम्मान

गैलरी

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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