Chaityaka

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(Redirected from Chaityaka Hill)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

A map of Rajgir

Chaityaka Hill (चैत्यक पहाड़ी) is mentioned in Mahabharata, situated near Rajgir in Bihar.

Origin

Variants

History

चैत्यक पहाड़ी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ... चैत्यक पहाड़ी (AS, p.344) का उल्लेख महाभारत में हुआ है। महाभारत के अनुसार यह पहाड़ी गिरिब्रज या राजगृह (बिहार) के निकट है। मगध के जरासंध के वध के लिए गिरिब्रज आए हुए श्रीकृष्ण, भीम और अर्जुन ने पहले इसी पर आक्रमण करके इसके शिखर को गिरा दिया था- 'वैहारो विपुल: शैलो वराहो वृषभस्तथा, तथा ऋषिगिरिस्तात शुभश्चैत्यकपंचमा:। भड्क्त्वा भेरीत्रयंतेऽपिचैत्र्यं-प्राकारमाद्रवन्, द्वारतोभिसूखा: सर्वे ययुर्नानाऽऽ युधास्तदा। मागधानां सुरुचिरंचैत्यकं तं समाद्रवन् शिरसीव समाध्नन्तो जरासंधं जिघांसव: स्थिरं सुविपुलं श्रृंगं सुमहत् तत् पुरातनम्, अर्चितं गंधमाल्यैश्च सततं सुप्रतिष्ठित्, विपुलैर्वाहुभि वींरास्तेऽभिहत्याभ्यपातयत्, ततस्ते मागधं ह्रष्टा: पुरं प्रविविशुस्तदा' महाभारत, सभापर्व 21, 2-18-19-20-21.

महाभारत, सभापर्व 21 दक्षिणात्य पाठ में भी इसका उल्लेख है। (दे. राजगृह) चैत्यक का वर्तमान नाम छत्ता है, जो चैत्य का ही अपभ्रष्ट रूप है।

छत्थागिरि

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...छत्थागिरि (AS, p.349) राजगृह (बिहार) के सात पर्वतों में से एक कहा जाता है, जो संभवत: महाभारत में वर्णित चैत्यक है।

In Mahabharata

Chaityaka (चैत्यक) is in Mahabharata (II.19.2), (II.19.17)

Sabha Parva, Mahabharata/Book II Chapter 19 mentions that Krishna, Bhima and Arjuna attacked Girivraja to kill Jarasandha. Chaityaka hill (चैत्यक) is mentioned in Mahabharata (II.19.2). [3]....The five large hills of Vaihara, Varaha, Vrishabha, Rishigiri, and the delightful Chaityaka, all of high peaks and overgrown with tall trees of cool shade and connected with one another, seem to be jointly protecting the city of Girivraja.

Chaityaka (चैत्यक) is mentioned in Mahabharata (II.19.17). [4]...Krishna of the Vrishni race and the two Pandavas (Bhima and Arjuna) entered the city of Magadha. On arriving then at the gate of the city, the brothers (instead of passing through it) began to pierce (with their shafts) the heart of the high Chaityaka peak that was worshipped by the race of Brihadratha, as also by the citizens and which delighted the hearts of all the Magadhas. And the brothers broke down the Chaityaka peak that was delightful to all the Magadhas.

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.344
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.
  3. वैहारॊ विपुलः शैलॊ वराहॊ वृषभस तथा, तथैवर्षिगिरिस तात शुभाश चैत्यक पञ्चमाः (II.19.2)
  4. मागधानां सुरुचिरं चैत्यकान्तं समाद्रवन, शिरसीव जिघांसन्तॊ जरासंध जिघान्सवः (II.19.17)