Chander Choudhary

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Shaheed Capt Chander Choudhary

Capt Chander Choudhary (Sihag) (16 October 1971 - 9 September 2002) from 'The Grenadiers Regiment' became martyr on 9 September 2002 in OP Parakram fighting with enemies in Udhampur area of Jammu and Kashmir. He came from village Beegawas Ramsara in tahsil Dungargarh district Bikaner in Rajasthan.

His family

He was born on 16 October 1971 in the family of Dr. K.L. Sihag (Mob:09461112115). His mother's name is Smt Sundar. His brother is Satyendra Sihag (Mob:09414450999, 08952905999). He was married to Sharda Chaudhary daughter of Mukna Ram Jakhar of Lunkaransar on 21 May 1997. Sharda Chaudhary has been awarded with the post of Tahsildar on the basis of compensatory appointment. Chander Choudhary left behind a 4 year son named Siddharth.

Education

He completed his Primary to graduation Education at Mumbai. He did B.Com. in 1996. He joined Army through Short Service Commission in 1998. During Kargil War he was under training. He became Captain in 2000. He was life member of Mumbai Jats Association, Mumbai.

The Bravery of Capt Chander Choudhary

Shaheed Capt Chander Choudhary

SS-37998A Captain Chander Choudhary was commissioned in 4 GRENADIERS on 14 September 1999, while the battalion was deployed on Line of Control in Poonch Sector. He was an adventerous and courageous officer who effectively performed his duties on the Line of Control and soon became very popular among the troops. During July 2002 the battalion moved to Mahore tehsil in District Udhampur for Counter Insurgency operations. Due to the leadership qualities and dare devil actions of Captain Chander Choudhary, he was appointed Ghatak Platoon Commander. The Ghatak Platoon performed exceptionally well under Captain Chander Choudhary.

On 09 September 2002, during a Seek and Destroy operation, Captain Chander Choudhary received some information about a few terrorists hiding inside a maize field in village Dubri. He immediately, rushed with his Ghatak Platoon and after cordoning commenced the search of the field, fully aware of the fact that such an act was extremely hazardous. During the search he shot dead 6 terrorists, but a terrorist suddenly jumped from behind a boulder and fired indiscriminately. Captain Chander Choudhary immediately fired back. In the exchange of fire, Captain Chander Choudhary got severely wounded and later succumbed to his injuries. The foreign terrorist was also killed in the firefight. Captain Chander Choudhary made the supreme sacrifice in laying down his life in the service of the Nation. His bravery, courage and dedication to the service is a fine example and a source of inspiration for everyone.

Honours

Chander Chaudhary Statue Bikaner Shilalekh

Capt Shaheed Chander Choudhary has been honoured with installation of his statue at Museum Chuaraha Bikaner at the junction of two National Highways leading to Jaipur and Jodhpur. This statue was inaugurated by Vasundhara Raje, then Chief Minister of Rajasthan. Museum Chuaraha of Bikaner has been named as Capt Chander Choudhary Circle in his memory. The road leading to Circuit house from this circle has also been named after him.

Th School at Beegawas Ramsara has been named as Capt Shaheed Chander Choudhary Senior Higher Secondary School.

His statue at his parental village Beegawas Ramsara was installed and inaugurated by Chief Minister of Rajasthan Ashok Gahlot on 20 May 2003.

शहीद चन्द्र चौधरी का जीवन परिचय

चन्द्र चौधरी का जन्म 16 अक्टूबर 1971 को बीकानेर जिले की श्रीडूंगरगढ़ तहसील में गाँव बिग्गाबास रामसरा में कन्हैयालाल जी सियाग के परिवार में माता सुन्दर देवी की कोख से हुआ। आपका जन्म नाना श्री दानाराम जी चौटिया के घर में धीरदेसर चौटियान, तहसील श्री श्रीडूंगरगढ़ में हुआ। शहीद चन्द्र चौधरी के भाई का नाम सत्येन्द्र चौधरी तथा बहिन का नाम जीवनी देवी है। उनका विवाह लूणकरणसर के मुकनाराम जाखड की पुत्री शारदा चौधरी के साथ हुआ। चन्द्र चौधरी के शहीद होने पर श्रीमती शारदा चौधरी को राजस्थान सरकार ने तहसीलदार के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान कर सम्मानित किया है।

चन्द्र चौधरी की शिक्षा

प्राथमिक शिक्षा अपने गाँव बिग्गा बास रामसरा में हुई । प्राथमिक शिक्षा के बाद सैकंडरी स्कूल तक शिक्षा आवर लेडी ऑफ़ नजरथ हाई स्कूल भाईन्द्रा (मुम्बई) में हुई । पूना बोर्ड ऑफ़ सेकंडरी एजुकेशन 85 प्रतशत अंको से उत्तीर्ण की। 12 वीं तक की शिक्षा मीठी बाई कालेज विले पार्ले मुम्बई से ग्रहण कर बी.काम. की शिक्षा उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद से उत्तीर्ण की| उनकी शिक्षा मुंबई से हुयी तथा 1996 में बी.कॉम. किया।

कैप्टन चन्द्र चौधरी को आठ भाषाओँ का ज्ञान था। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके थे। आप दार्शनिक विचारों से ओतप्रोत थे. सम्पूर्ण गीता आपको कंठस्त याद थी। आप कृष्ण , कबीर, विवेकानंद और रजनीश के विचारों से बहुत प्रभावित थे।

सेना में कमीशन

कुछ समय तक बीकानेर अनाज मंडी में व्यापार किया । अक्टूबर 1998 में सी.डी.एस. की परीक्षा पास करते ही सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्ति मिली| एक वर्ष तक ओ.टी.एस. मद्रास में प्रशिक्षण लिया और 5 सितम्बर 1999 को भारत के महामहिम राष्ट्रपति के द्वारा सेना में कमीशन मिला । वर्ष 2000 में कैप्टन के पद पर पदोन्नत हुए।

सन 2000 में महू छावनी सेना का विशेष कोर्स करने के बाद बेलगाँव में घातक कमांडो का कोर्स किया और वे अपनी यूनिट के लीडर बने । पूरे सेवा काल में लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर रहे। जनवरी 2002 में उनका स्थानांतरण फाजिल्का कर दिया गया। 8 सितम्बर 2002 को मोहर जिला उधमपुर जम्मू कश्मीर में कई आतंकियों को मौत के घाट उतारा. उस समय आप घायल हो गए। ज्यादा घायल अवस्था में अपनी यूनिट पर तीन की.मी. पैदल चल कर आये. समय पर चिकित्सा नहीं मिलने से 9 सितम्बर 2002 को हैलिकोप्टर में जम्मू लाते समय रस्ते में शहीद हो गए। शहीद कैप्टन की मृत्यु के समय खून से लिखा एक डायरी का पन्ना मिला था जिस पर लिखा था - तुम्हारे से बदला लेने के लिए पुनः जन्म लूँगा।

शहीद की याद में स्थापित विजयंत टैंक

सन्दर्भ - दैनिक भास्कर बीकानेर. 15/8/2009

शहीद कैप्टन चन्द्र चौधरी (SS-37998) की याद में श्रीडूंगरगढ़ स्थित गांव बिग्गाबास रामसरा में सेना का टैंक ‘विजयन्त’ तैनात किया गया है। कैप्टन चौधरी के परिजनों ने उनकी पुण्य तिथि पर टैंक का उद्घाटन करवाने की इच्छा जताई। भारत सरकार ने शहीद कैप्टन चन्द्र चौधरी की याद में उनके पैतृक गांव में सेना का टैंक प्रदर्शन के लिए लगाने की अनुमति दी थी।

शहीद स्मारक बिग्गाबास रामसरा पर स्थापित विजयंत टैंक

दिल्ली से ट्रोले पर सेना का टैंक ‘विजयन्त’ श्रीडूंगरगढ़ के बिग्गाबास रामसर गांव में पहुंचाया गया। बाद में चूरू के सांसद रामसिंह कस्वां ने डेढ़ लाख रुपए की सहायता राशि देकर टैंक को रखने के लिए प्लेटफार्म बनवाया। सेना की मदद से टैंक को प्लेटफार्म पर रखा गया और पिछले दिनों रंग-रोगन कर उसे प्रदर्शन के लिए तैयार कर दिया गया है।

शहीद चन्द्र चौधरी की पुण्य तिथि नौ सितंबर को है। परिजनों का प्रयास था कि उनकी पुण्य तिथि पर ही टैंक का उद्घाटन करवाया जाए। शहीद चन्द्र चौधरी के भाई सीताराम चौधरी ने बताया कि इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से संपर्क किया गया। नौ सितंबर को ही श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गयी जिसमें सभी राजनीतिक व गैर राजनीतिक लोगों ने भाग लिया । टैंक का उद्घाटन राजस्थान सरकार के तत्कालीन मुख्य सचेतक वीरेन्द्र बेनीवाल द्वारा 9 सितम्बर 2009 को किया गया. उल्लेखनीय है कि श्रीडूंगरगढ़ में बीगावास रामसर निवासी कैप्टन चन्द्र चौधरी नौ सितंबर, 2002 को जम्मू-कश्मीर के उधमसर में दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हुए थे।

शहीद चन्द्र चौधरी समाधी स्थल पर विजयंत टैंक समर्पित करते अतिथि गण

भारत में पहली बार शहीद कैप्टन चन्द्र चौधरी, 4 ग्रेनेडियर, के सम्मान में रक्षामंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रदत्त टैंक का लोकार्पण मुख्य अतिथि श्री हेमाराम चौधरी, राजस्व मंत्री राजस्थान सरकार के मुख्य आतिथ्य में वीरेन्द्र बेनीवाल मुख्य सचेतक के कर कमलों द्वारा 9.9 .2009 को संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री मंगलाराम गोदारा विधायक श्री डूंगर गढ़, प्रोफ़ेसर जगमोहन पुत्र शहीदे आजम भगत सिंह की बहिन एवं राजाराम मील, अध्यक्ष राजस्थान जाट समाज द्वारा की गयी। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि श्री बद्रीराम जाखड़, संसद पाली, श्री राम लाल जाट, वन एवं खान मंत्री राजस्थान सरकार, सुश्री रीटा चौधरी, विधायक मंडावा, श्री वीरेंद्र चौधरी मारवाड़ मोटर बीकानेर थे। आयोजक कन्हैया लाल सिहाग तथा स्वागताध्यक्ष श्रीमती सिंपल चौधरी अध्यक्ष संयुक्त महिला मोर्चा जयपुर थे ।


फाइटर एयरक्राफ्ट के लिए भी प्रयास : अमर शहीद कैप्टन चन्द्र चौधरी मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से प्रदर्शन के लिए फाइटर एयरक्राफ्ट लगाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं। शहीद चौधरी के पिता कन्हैयालाल सियाग ने बताया कि रक्षा मंत्रालय से एयरक्राफ्ट लगाने के संबंध में पत्राचार जारी है |

शहीद का सम्मान

कैप्टेन चन्द्र चौधरी शहीद स्मारक स्थल गाँव बिग्गाबास रामसरा में समाधी बनाई गयी है जहाँ पर विजयंत टैंक रखा गया है. किसी निजी स्मारक स्थल पर विजयंत टैंक को रखने की अनुमति महामहिम राष्ट्रपति द्वारा प्रथम बार प्रदान की गयी है. यहाँ पर जनता द्वारा शहीद को श्रद्धांजली अर्पित की जाती है. शहीद स्मारक पर प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस पर समारोह आयोजित किया जाता है. बीकानेर में जिस स्थान पर जोधपुर और जयपुर से आने वाले राष्ट्रीय राज मार्ग मिलते हैं उसका नाम म्यूजियम चौराहा है. म्यूजियम चौराहा बीकानेर का नाम शहीद कैप्टेन चन्द्र चौधरी सर्कल किया गया है. इस स्थल के विकास की कार्यवाही प्रचलित है. इस चौराहे से सर्किट हॉउस तक जाने वाली सड़क का नामकरण शहीद कैप्टेन चन्द्र चौधरी सड़क के नाम पाकर किया गया है.इस स्थान पर फाइटर एयरक्राफ्ट लगाने के लिए भी प्रयास जारी हैं.

मुख्य अतिथि वीरेन्द्र बेनीवाल द्वारा प्रतियोगिता का उद्धाटन

जाट समाज की क्रिकेट प्रतियोगिता शुरु - छोटीकाशी.कॉम बीकानेर, 8.2.2011वीर तेजाजी महाराजशहीद कैप्टन चन्द्र चौधरी जाट समाज क्रिकेट प्रतियोगिता स्थानीय रेलवे ग्राऊण्ड में शुरु हुई। जाट समाज क्रिकेट प्रतियोगिता के उद्धाटन मैचों के पहले मैच किसान क्लब ने स्वरुपदेसर को 7 विकेट से हराया व दूसरे मैच में लूणकरणसर क्रिकेट क्लब ने जाट सुपर किंग को 69 रनों से हराया। वीर तेजाजी महाराज व शहीद कैप्टन चन्द्र चौधरी जाट समाज क्रिकेट प्रतियोगिता के आयोजन सचिव जाखड़] नेमीचन्द जाखड़] ने बताया कि प्रतियोगिता के उद्धाटन समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के मुख्य सचेतक वीरेन्द्र बेनीवाल थे जबकि अध्यक्षता बीकानेर के डायनेमिक पुलिस अधीक्षक डा. हबीब खान गौराण ने की। विशिष्ट अतिथि के तौर पर पंचायत समिति, बीकानेर के प्रधान भोमराज आर्य, राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व सचिव अशोक ओहरी, इंजीनियरिंग कॉलेज के डा. ओ.पी. जाखड़ भी मौजूद थे। टूर्नामेंट की हौसला अफजाई के लिए मारवाड़ मोटर्स के प्रबन्ध निदेशक वीरेन्द्र चौधरी भी उपस्थित थे।

शहीद पिता के लिए एक सेल्यूट

पहले देश सेवा के लिए बेटा दिया और अब शहीद स्मारक की जमीन भी सेना अर्थात देश के नाम कर दी। ऐसी सोच के शहीद पिता के लिए एक सेल्यूट तो बनता है। इसी विषय पर राजस्थान पत्रिका के 07/01/22 के अंक में समूचे राजस्थान में प्रकाशित खबर।


जज्बे को सलाम: बस एक ही धुन, हर जगह हो शहादत की गूंज

वीरों की भूमि राजस्थान में एक से बढकऱ एक उदाहरण हैं। जवान बेटे की शहादत की बाद 80 वर्षीय पिता की चाहत है कि उनके बेटे के शहादत की गूंज पूरे जहां में सुनाई दे। बीकानेर जिले के श्रीडूंगरगढ़ उपखंड के गांव बिग्गा बास रामसरा निवासी डा. कन्हैया लाल सिहाग चाहते हैं कि युवा पीढ़ी देश सेवा का संकल्प ले।

उनके पुत्र कैप्टेन चंद्र चौधरी नौ सितम्बर 2002 में कश्मीर में शहीद हो गए। उनका अंतिम संस्कार खुद की जमीन में करवाया। बाद में शहीद स्मारक बनाने के लिए चार बीघा जमीन दी। इसी परिसर में अंत्येष्टि स्थल, प्रतिमा स्थल के साथ विजयंत टैंक स्थापित है। प्रतिमा स्थापना, समाधि स्थल तथा चार दिवारी का आधा हिस्सा भी शहीद पिता ने बनाया है।

अब हो गई भारतीय सेना की सम्पत्ति: पिछले माह गांव में प्रशासन गांवों के संग शिविर लगा। डा. कन्हैयालाल ने चार बीघा में बने शहीद स्मारक का पट्टा बनवाकर भारतीय सेना के नाम रजिस्ट्री करवा दी। अब यह स्मारक भारतीय सेना की संपत्ति है।

दो जगह हैं शहीद स्मारक: शहीद के भाई सीताराम सिहाग ने बताया कि शहीद की याद में दो जगह स्मारक बने हैं। एक तो गांव में अंत्येष्टि स्थल पर है। इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया। जबकि, दूसरा बीकानेर में है। उसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया।

सीताराम का दावा है कि शहीद की स्मृति में निजी स्तर पर बनने वाला यह स्मारक देश में इकलौता है। बीकानेर के म्यूजियम चौराहे के पास स्थित शहीद चंद्र चौधरी स्मारक में शहीद की प्रतिमा, टैंक और एयरक्राफ्ट लगे हैं। गांव में भी शहीद के नाम से स्कूल व स्टेडियम हैं।

बेटे पर फक्र: शहीद राष्ट्र की धरोहर होते हैं। आने वाली पीढियां शहीदों से प्रेरणा लेे, बस यही सोचकर लगा हूं। आज सेना के प्रति जो सोच और माहौल बना है, उसको देखकर बड़ी खुशी होती है। बेटा शहीद हुआ तब गांव में मात्र दो जने सेना में थे। आज इनकी संख्या पांच दर्जन के करीब हो चुकी है। श्रीडूंगरगढ़ तहसील में भी जवानों की संख्या ज्यादा है। यह देखकर गर्व होता है। बेटे की शहादत पर सदा फख्र रहेगा।

- डा.कन्हैयालाल सिहाग, शहीद पिता, बिगा बास रामसरा, श्रीडूंगरगढ़

दुष्यंत चौटाला का आगमन

हरयाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कैप्टन चंद्र चौधरी के 21 वें शहादत दिवस पर 9 सितंबर 2023 को यहाँ पधारे थे. 2 साल पहले भी दुष्यंत चौटाला जब शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए बीकानेर आए थे तो कैप्टन चंद्र चौधरी कबड्डी ग्राउंड में बच्चे मिट्टी पर खेल रहे थे, दुष्यंत जी चलकर बच्चों के पास गए और उनसे उनकी इच्छा पूछी तो बच्चों ने प्रार्थना स्वरूप सिर्फ कबड्डी मेट की अपेक्षा की. तो हंसकर कहा कि मेट तो धूप में खराब हो जाएगी और उन्होंने हरियाणा से ग्रांट भेज कर बीकानेर में कैप्टन चंद्र चौधरी स्मारक के अंदर ही एक कवर्ड आधुनिक मेट युक्त कबड्डी ग्राउंड बनाया. उसी के अनावरण के लिए वे आए थे. उस समय के कुछ चित्र नीचे दिए गए हैं:

शहीद कैप्टन चन्द्र चौधरी की याद में पिक्चर गैलरी

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  • श्री रमेश दधीच (मोब: 09413194024) - गाँव बीदासर , जिला चूरू, राजस्थान द्वारा जानकारियाँ और चित्र ई-मेल से उपलब्ध कराये। लिखित में आपके द्वारा शहीद कैप्टन चन्द्र चौधरी मेमोरियल ट्रस्ट के अभिलेख उपलब्ध कराये जिनके आधार पर यह लेख तैयार किया गया है।
  • श्री कन्हैयालाल सियाग - बिग्गाबास रामसरा के शहीद चन्द्र चौधरी के पिता श्री कन्हैयालाल सियाग (मोब:09461112115 ) ने जानकारी दूरभाष पर दी है. कैप्टेन चन्द्र चौधरी के पिता श्री कन्हैयालाल जी सिहाग ने पुत्र के शहीद होने पर सरकार से कोई पेट्रोल पम्प या गैस एजेंसी की मांग न कर शहीद स्मारक स्थल पर विजयंत टैंक स्थापित करने की मांग की. यह डा. सिहाग की राष्ट्रवादी व दूरगामी सोच का ही परिणाम है कि शहीद समाधि पर इस युद्धक टैंक की स्थापना के बाद गाँव के युवाओं का रूझान सेना की तरफ हुवा है । यहां तक गाँव की लड़कियाँ भी अर्धसैनिक बलों में शामिल हुई हैं । शायद यह देश ऐसे ही लोगों की वजह से बचा हुआ है.
  • श्री सतेन्द्र चौधरी - शहीद चन्द्र चौधरी के भाई सीताराम चौधरी उर्फ़ सतेन्द्र चौधरी (मोब:09414450999, 08952905999) ने जानकारी दूरभाष पर दी है.

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