Ganpat Singh Dhaka

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Shahid Ganpat Singh Dhaka

Sepoy Ganpat Singh Dhaka is the hero of Kargil war who belonged to the village Sihot Chhoti in Sikar district in Rajasthan. He died on 27 July 1999 during Kargil war. He was in Unit-16 Grenediers.

कारगिल शहीद गणपतसिंह ढाका का जीवन परिचय

ग्रेनेडियर गनपत सिंह ढाका

वीरांगना - श्रीमती मंजू देवी

16 ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट

पॉइंट 5363 की लड़ाई

ऑपरेशन विजय

कारगिल युद्ध 1999

शहीद गणपतसिंह ढाका, 16 ग्रेनेडियर्स, कारगिल युद्ध में 27 जुलाई 1999 को वीरगति को प्राप्त हुये. आप गाँव सिहोट छोटी जिला सीकर राजस्थान के रहने वाले थे.

ग्रेनेडियर गनपत सिंह ढाका का जन्म राजस्थान के सीकर जिले के सिहोट छोटी गांव में, पूर्व सैनिक श्री रतन लाल ढाका एवं श्रीमती देबू देवी के परिवार में हुआ था। अपनी शिक्षा पूर्ण करके 30 जुलाई 1993 को वह भारतीय सेना की ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट में ग्रेनेडियर के पद पर भर्ती हुए थे। प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 16 ग्रेनेडियर्स बटालियन में नियुक्त किया गया था।

"ऑपरेशन विजय" में, 24 जुलाई 1999 को, 16 ग्रेनेडियर्स बटालियन को नियंत्रण रेखा के समीप पॉइंट 5363 पर कब्जा करने का कार्य सौंपा गया। चढ़ाई आरंभ करते ही शत्रु पोस्ट छोड़कर भाग गए। 25 जुलाई 1999 की प्रातः लगभग 250 की संख्या में पाकिस्तानी सैनिकों और कमांडो ने प्रचंड पलटवार किया। उस भीषण लड़ाई में, अदम्य साहस, दृढ़ निश्चय एवं वीरता से लड़ते हुए, ग्रेनेडियर गनपत सिंह वीरगति को प्राप्त हुए थे।

शहीद की प्रतिमा को रक्षासूत्र बांध बहन ने भात भरने का न्यौता दिया

सिहोट छोटी के कारगिल शहीद गणपत सिंह ढाका की बड़ी बहन भंवरी देवी पत्नी भगवाना राम निवासी परडोली बड़ी की बेटी प्रियंका का विवाह 21 जून 2018 को हुआ। विवाह से पूर्व भात न्यौतने के लिये भंवरी देवी अपने पीहर सिहोट छोटी आई। वह सबसे पहले परिवार के साथ शहीद स्मारक आईं और अपने भाई शहीद गणपत सिंह ढाका की प्रतिमा पर तिलक किया। रक्षा सूत्र बांधकर भात भरने के लिए न्यौता दिया। महिलाओं ने पारंपरिक गीत गाए। इसके बाद भंवरी देवी ने शहीद वीरांगना मंजू देवी ,भाई सुरेन्द्र सिंह ढाका, महेश ढाका भतीजे नरेन्द्र ढाका सहित परिवार के भाई भतीजों को तिलक करके भात न्योता। इस दौरान शहीद के पिता भूतपूर्व सैनिक रतन सिंह ढाका सहित परिवार के सभी लोग मौजूद थे।कारगिल शहीद गणपत सिंह ढाका की शहादत के बाद यह पहला भात का कार्यक्रम था। परिवार के सभी लोग त्योहार व विशेष पर्वों पर सबसे पहले शहीद को नमन करते हैं। रक्षाबंधन पर बहनें सबसे पहले शहीद की प्रतिमा पर राखी बांधती हैं।[1]

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References


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