Humorous Jokes in Haryanavi/ब्याह-शादी, सगाई, बारात आदि

From Jatland Wiki

छोरी का रिश्ता

एक बै एक चौधरी साहब छोरी देखण चले गए आपणे छोरे खातिर । छोरी घनी काळी थी, चौधरी साहब कै कोन्यां पसंद आई ।

छोरी का बाबू बोल्या - चोधरी साहब, छोरी नै पसंद कर ज्याओ । कार दे देवांगे दहेज़ में ।

चोधरी साहब बोल्ये - भाई, तू तै कार दे कै डिगा देगा । जै यो खरणा म्हारै चल्या गया, तै आगली पीढ़ी में म्हारी छोरी ट्रक दिए पाच्छै भी ना डिग्गै !!


काला बराती

एक बै बरात में घणां काला छौरा चला गया......फ़ेरे होणे के बाद लडकी वाले कहण लागे....इस काले छौरे नै तै...याहडे ही छौड जाओ.....बराती परेशान और हैरान हो के.....छौरी आळा तै बूजणं लागे....थम के करोगे...इस काले का....?

छौरी वाले बोले....रात म्हारी भैंस ब्याई थी....और उसका काटडा मर गया.....काले नै दिखा कै.....भैंस का दूध काढ लेंगें

Virender Narwal 11.20 AM, 4 July 2008

गौत का चक्कर

सगाई आळे आ-कै बैठे थे - बूझण लागे : चौधरी साहब थारा के गौत सै?


चौधरी बोल्या : म्हारा गौत सै बहड़के - और थारा गौत के सै ?


सगाई आळे : म्हारा गौत सै ढांढे !

चौधरी : यो रिश्ता होणा तै मुश्किल लागै सै ।

सगाई आळे : क्यूं ?

चौधरी : गौत मिल्लण का खतरा सै ।

"पर म्हारा और थारा गौत तै न्यारा-न्यारा सै"


"ईबै तै न्यारा-न्यारा सै पर आगै जा-कै मिल ज्यागा"

"वो क्यूकर ?"

"म्हारे बहड़के बड्डे हो-कै ढांढे बण-ज्यांगे"


"काणी बारात"

शरीर के किसी अंग में कोई दोष हो तो अपना कोई कसूर नहीं होता । पर आँख का दोष ऐसा है जो छुप नहीं सकता, सामने ही नजर आ जाता है । कहावत है कि काणे में एक रग फालतू होती है ।


एक बारात पहुंची बागड़ के एक गांव में । उन बारातियों में तीन आदमी काणे थे । ऐसे लोगों को चाहिये तो यह कि वे पीछे बैठें ताकि सबकी निगाह उनकी तरफ नहीं पड़े । पर फेरे होने के समय वे तीनों डाक्की सबसे आगे बैठ गये - दूल्हे के सामने ।


लड़की वाले चौधरी का नाई वहीं बैठा था, बंदड़े (दूल्हे) को बीजणे से हवा करने के लिए । जब पंडित ने मंत्र पढ़ने शुरू किये तो नाई चौधरी से बोल पड़ा "चौधरी, इस बाहमण ताहीं कह दे अक फेरे तगाजे तैं करवा दे, सारी बारात काणी होती आवै सै – कदे इस बंदड़े का नंबर ना आ-ज्या" !!


छोटी बारात

एक बै एक रिश्ता होया - लड़के का बाबू घणा शरीफ था अर छोरी आळा था चालू किस्म का अर कंजूस । वो छोरे के बाबू तैं बोल्या अक चौधरी साहब, आप बारात छोटी ले कै आना (बीस-पच्चीस माणसां की) । लड़के के बाबू नै हां भर ली । जब बारात जाने का टाइम हुआ तो चालीस के करीब आदमी हो गए । लड़के के बाबू नै सोच्या अक दस-पन्द्रह तै ऊपर-तळै चाल जायां करैं, जै मैं इन्हैं टोकूंगा तै मेरा भाईचारा खराब होवैगा, सबनै चालण दे !


छोहरी के बाबू नै देख लिया कि 40 आदमी आ रहे सैं, अर खाना हमनै 20-25 का बना राख्या सै । वो कंजूस तै था ए, उसनै के करया - सारी चीजां में पानी मिलवा दिया (खीर, हलवा, आलू की सब्जी - सब में पानी मिलवा दिया) । ईब जब बरातियां नै खाना खाया, तै उन्हैं स्वाद तै आया ना, अर चुप-चाप फेरों वाली जगह आ-कै बैठ गए ।


फेरे होये पाच्छै जब बारात चालण लाग्गी, तै छोरी के बाबू नै ताना दे कै कहया - "चौधरी साहब, बारात तै छोटी ए ले कै आये आप" । ईब लड़के वाले से बरदास्त ना हुई, वो हाथ जोड़ कै न्यूं बोल्या - "चौधरी साहब, म्हारे गाम में गोबर खाण आळे बस इतणे ऐं आदमी थे" !!


"फूट-ग्या"

एक बै बारात में भूंडू आंधा चाल्या गया । छात पै जीमणवार होण लाग्गी । घरातियां नै पत्तळ धर दिये सबकै आगै । आंधी आने का आसार था, सो सबकी पत्तळ पै एक-एक पत्थर भी धर दिया ।

भाई, म्हारे भूंडू आंधे नै समझया अक यो लाड्डू चख कै देख । उसनै पत्थर कै जोर लाया, पर वो ना फूट्या तै उसनै सोच्या अक ये लाड्डू तै किमैं बासी-से धर दिये जै फूटते भी कोनी !

छो में आ-कै उसनै पत्थर फेक कै मारा । उसकै साहमी जो दूसरा बाराती बैठ्या था, उसके सिर पै लाग्या जा-कै । उस बाराती नै मारी चिल्ली "अरै, फूट-ग्या!"

म्हारा भूंडू आंधा बोल्या "फूट-ग्या हो तै भाई, आधा मन्नैं भी दे दे" !!


"ढ़ोल आळे कै बुड़का भर ले"

गाम में ब्याह था अर बाजा बाजै था । एक छोरी आपणी मां नै न्यूं बोली...अक मां, जब यो बाजा बाजै सै तै मेरै कचकची सी ऊठैं सैं अर इसा जी करै सै जणूं फेरे ले ल्यूं ।

उसकी मां नै या बात उसके बाबू तैं बताई, अर बो बाबू बोल्या - "ठीक कहै सै, छोरी ब्याहवण जोगी हो रही सै, इसका ब्याह तगाजे तैं करांगे" ।

या बात उसका छोरा सुणै था । दस-पन्द्रह दिन पाच्छै फिर बाजा बाजै था अर वो छोरा आपणी मां नै बोल्या "मां, जब यो बाजा बाजै सै ना, तै मेरै कचकची सी ऊठैं सैं अर इसा जी करै सै जणूं फेरे ले ल्यूं" ।

उसके बाबू ने सुण ली अर न्यूं बोल्या "भाई न्यूं कर, उस ढोल आळे कै बुड़का भर ले - ईबै तेरा नम्बर ना सै" !!


"ईब के मैं रींकूंगा?"

एक बै एक ताऊ कै तीन छोरे थे । ताई मर-गी बीमार हो-कै, फेर ताऊ नै बड्डे छोरे का ब्याह करणा पड़-ग्या । ब्याह के वक्त पता लगा कि उस छोरी की एक और छोटी भाण थी - सो, ताऊ नै वो आपणा छोरा भी साथ ही लपेट दिया - इस तरह दोनों बेटे ब्याहे गए ।

सबतैं छोटा रह-ग्या बिन ब्याहा, उसनै भी ब्याह की जिद करी । ताऊ उसतैं न्यूं बोल्या - भाई, तेरे भाइयां का ब्याह तै छोटी उमर में कर दिया था, पर तेरा ईबै ना करां ।

छोटा छोरा भी कत्ती जवान हो रहया था, पूरा गाभरू । रिश्ते आळे आवैं तै ताऊ कह देता अक ईबै तै म्हारा सोन्नू बाळक सै, ईबै रिश्ता ना लेवां । दो-तीन साल काढ़ दिया न्यूं-ऐं ।

फिर एक दिन रिश्ते आळे आ-गे, ताऊ बोल्या - म्हारा सोनूं तै ईबै बाळक सै ।

सोन्नू नै आया छो, अर बोल्या - बाबू, ईब और के मैं रींकूंगा ?

Dndeswal 21:33, 7 December 2008 (EST)


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