Jetha Ram Dudi
Author: Laxman Burdak, IFS (R) |
श्री जेठाराम डूडी (१९३९-१९९४) को बीकानेर से दिल्ली तक दुग्ध सप्लाई करने वाली बीकानेर उरमूल डेयरी के मार्ग प्रशस्ती का एक स्तम्भ कहा जाता है। वे बीकानेर क्षेत्र में श्वेत क्रांति के अग्रदूत माने जाते हैं.
प्रारंभिक जीवन
श्री जेठाराम डूडी का जन्म १३ जुलाई, १९३९ को बीकानेर जिले की नोखा तहसील के छोटे से गांव बीरमसर में एक साधारण कृषक चौ. भूराराम जी के घर हुआ। मात्र पांच वर्ष की आयु में ही सिर से माताजी श्रीमति भादू देवी का साया उठ जाने पर इनका जीवन और कष्टदायी हो गया। प्रारम्भिक शिक्षा गांव रायसर में लेकर आगे की पढाई के लिए नोखा के विद्यालय में दाखिला लिया। अभी ८वीं कक्षा पास की थी कि ग्रामीण रिवाज के अनुसार १५ साल की आयु में इनकी शादी चूरू जिले के गांव कांघलसर निवासी स्व. श्री केशराराम जी की सुपुत्री आसी देवी के साथ हुई।
शिक्षा
संजोग से इन दिनों बीकानेर में चौ. कुम्भाराम जी आर्य, श्री रिक्ताराम जी तर्ड एवं स्वामी सागर नाथ जी आदि नेताओं द्वारा सामन्तशाही के खिलाफ व जन चेतना हेतु अभियान चलाकर लोगों शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जा रहा था। उनसे प्रेरित होकर पिताश्री ने जेठाराम जी को पढाई निरन्तर रखने की स्वीकृति दी। अपनी धर्मपत्नी का सहयोग व पिताश्री के आर्शीवाद से इन्होंने डूंगर कॉलेज बीकानेर से इन्टर (१२वीं) कक्षा पास की। ग्रामीण विकास में रूची होने के कारण आपने उदयपुर से एक त्रिवर्षीय पाठयक्रम ’डिप्लोमा इन रूयल सर्विसेज‘ में स्नातक की।
शासकीय सेवा में
स्नातक के बाद परिवार में आमदनी एवं अपने शिक्षा के प्रति रूझान के चलते नोखा के एक निजी विद्यालय में अध्यापक के रूप में कार्य किया। इसके पश्चात नागौर में सहकारी निरीक्षक के रूप में अपनी सेवाएं देने लगे। परन्तु यहां स्वास्थय खराब हो जाने पर स्वास्थयलाभ के लिए इनको वापस नोखा आना पडा। स्वास्थय ठीक हो जाने पर जब जेठाराम जी पुनः राजकीय कार्य पर उपस्थित हुए तो अधिकारी द्वारा लालफीताशाही के नशे में कुछ उल्टा-सीधा बोलना शुरू कर दिया। खुद्दार और स्वाभिमानी जेठाराम जी को यह कहां सहन होने वाला था, उन्होंने तुरन्त अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
श्वेत क्रांति के अग्रदूत
दूरदर्शी विचारधारा रखते हुए जेठाराम जी ने देहली दुग्ध योजना के बीकानेर में नियुक्त अधिकारी, अमर सिंह जी चौधरी से सम्पर्क कर ट्रक से दुग्ध परिवहन करने का ठेका ले लिया। आपे अथक परिश्रम तथा ग्रामीण पशुपालकों के भावनाओं के अनुरूप आपको सहयोग मिलने के कारण दुग्ध संकलन का कार्य प्रगति करता गया और आप इस व्यवसाय में आगे बढ़ते गए. आज बीकानेर जिले में हजारों ग्रामीण परिवार लाखों रुपये रोजाना अपने पशुधन के दुग्ध विक्रय से उरमूल डेयरी से अर्जित कर प्रगति की और अग्रसर हैं. आज दिल्ली तक दुग्ध सप्लाई करने वाली बीकानेर उरमूल डेयरी के मार्ग प्रशस्ती का एक स्तम्भ स्व. श्री जेठाराम जी को भी कहा जाता है। सन् १९६५ में युद्ध के दौरान व्यवसाय हेतु पहली बार जेठारामजी व पनजी तापडया दो गाडियां दिल्ली से बीकानेर ला रहे थे तभी रास्ते में उनकी गाडियों पर भी बम फेंका गया जिससे गाडियां नष्ट हो गई ।
प्रतिष्ठित व्यवसायी
किसान का बेटा चाहे जो करे लेकिन अपनी जमीन से दूर नहीं होता। किसानों के हितों के मध्यनजर एवं समय की आवश्यकता को परखते हुए किसानों का भाग्य बदलने वाली इंदिरा गांधी नहर परियोजना के विभिन्न चरणों को तीव्र गति से पूरा करने के उद्देश्य से अपने भाईयों को साथ लेकर डूडी फर्मस के नाम से ठेका ले लिया और देखते ही देखते जेठाराम जी का नाम राजस्थान के प्रतिष्ठित ठेकेदारों में लिया जाने लगा। अभी इनके विकास की डोर विचारों के आसमानों में बुलन्दियों पर थी। अब जेठाराम जी ने पैट्रोल पम्प के व्यवसाय में पर्दापण किया जिसमें बीकानेर क्षेत्र से जाट समाज का कोई भी व्यक्ति नहीं था। नोखा मंडी में ग्रामीणों में सबसे पहले इन्होंने ही ग्वार-गम फैक्ट्री की स्थापना की।
व्यवसाय में आपकी यह विशेषता रही कि आपने सभी क्षेत्रीय लोगों को व्यवसाय के लिए प्रेरित किया. आज ठेठ ग्रामीण क्षेत्र के आपके रिश्तेदार ही नहीं बल्कि काफी संख्या में गरीब लोग हर जाति के आपके धंधे में द्रिवर, खलासी, मजदूर आदि के रूप में कार्यरत हैं. आपके आर्थिक सहयोग व प्रोत्साहन से आज कई लोग स्वयं ट्रक मालिक, ठेकेदार व मुरब्बों (सिंचित भूमि) के मालिक बने हुए हैं. यह आपका गरीबों के प्रति लगाव और सद्भावना का प्रतीक है.
राजनीति में
राजनीति में विशेष रूचि न होने पर भी ग्रामीणों की भावनाओं का सम्मान करते हुए पहली बार ग्राम पंचायत - रायसर से चुनाव लड कर सर्वाधिक मतों से सरपंच पद पर विभुषित हुए। यहीं से इनके जीवन का एक और सफल अध्याय शुरू हो गया। सरपंच से लेकर नोखा प्रधान बनने तक का सफर सफलतापूर्वक तय किया।
समाज सेवा
राजनीति व परिवार पोषण से ज्यादा हार्दिक इच्छा इनकी गरीबों व गांवों में शिक्षा का प्रचार और कुरीतियों का निवारण कर ग्रामोत्थान करने की थी. इन्ही विचारों को अपने आचरण में उतार कर फलीभूत करने के उद्देश्य से ही अपने सरपंची व प्रधान काल में गांवों से आपस में झगडा कर आने वाले लोगों को मुकदमें बाजी में सहयोग न करके हर ग्रामीण को राजीनामे के लिए समझा-बुझाकर तयार करके सैंकडों परिवारों को मुकदमों में फंसकर बर्बाद होने से बचाया. सामाजिक दायित्व को ध्यान में रखकर आपने बीकानेर शहर में जाट धर्मशाला बनवाने हेतु विशेष रूचि लेकर जमीन का नियमन करवाकर निर्माण करवाया.
समाज के लोगों में जेठाराम जी के प्रति अपार प्रेम व सम्मान ही तो था कि उन्हें १९.१२.१९९३ को जाट-धर्मशाला, बीकानेर के प्रथम ट्रस्ट का ट्रस्टी अध्यक्ष व जाट विकास महासभा, बीकानेर का प्रथम अध्यक्ष बनाया गया। जेठाराम जी द्वारा समय-समय पर समाज के लिए कई कार्य किए गए। स्व. श्री जेठाराम जी के कर्मो का तप व जाटों का उनके प्रति सम्मान ही तो है कि वर्तमान की इस उठा-पटक की राजनीति में भी समाज ने इनके सुपुत्र श्री रामेश्वर लाल डूडी को बीकानेर के प्रथम नागरिक के रूप में ’’प्रधान‘‘ के पद पर सुशोभित किया हुआ है। श्री रामेश्वर लाल डूडी १३ वीं लोकसभा में १९९९ में बीकानेर सीट से कांग्रेस पार्टी के सांसद चुने गए. [1]
पता
M/s. Jetha Ram Dudi Petrol Pump, Jaisalmer Road, Bikaner-334001 (Rajasthan) Tels. (0151) 523525, 542525 Fax. (0151) 546525
स्वर्गवास
१९ अगस्त १९९४ को इनका असामयिक निधन हो गया.
बाहरी कड़ियाँ
यह भी देखें
- Dr Mahendra Singh Arya, Dharmpal Singh Dudee, Kishan Singh Faujdar & Vijendra Singh Narwar: Ādhunik Jat Itihas (The modern history of Jats), Agra 1998, pp 367-370
सन्दर्भ
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