Kalasi

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(Redirected from Kalasigrama)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Map of Dehradun
Edicts Of Ashoka

Kalasi (कलसी) is a village in Chakrata tahsil of Dehradun district in Uttarakhand. Kalasi, near Chakrata, is the site of Major Rock Edicts (set of 14) of Ashoka.

Variants

  • Alasanda (अलसंद) (AS, 43)
  • Kalasi (कालसी) (AS, p.179)
  • Kalasigrama (कालसीग्राम) /(कलसीग्राम)/कालसिग्राम (AS, p.148, 178)

Location

कालसी यमुना और उसकी सहायक टोंस के संगम पर स्थित है। यह देहरादून से लगभग 56 किलोमीटर दूर है।

Jat Clans

History

Mahavansa/Chapter 29 tells.... From various (foreign) countries also did many bhikkhus come hither; what need to speak of the coming of the brotherhood living here upon the island (Lanka)?

  • From Alasanda the city of the Yonas came the thera Yonamahadhammarakkhita with thirty thousand bhikkhus to the island of Lanka at the time of building of Great Thüpa.
  • The great thera Suriyagutta came from the great Kelasa-vihara with ninety-six thousand bhikkhus.

Alexander Cunningham[1] has identified Alasanda and Kelasa with mentioned in above paragraph. .... He writes that The passage of Pliny describing the position of Alexandria is prefaced by a few words regarding the town of Cartana, which, while they assign it a similar position at the foot of the Caucasus, seem also to refer it to the immediate vicinity of Alexander's city. .....If I am right in identifying Begram with the Kiu-lu-sa-pang of the Chinese pilgrim, the true name of the place must have been Karsana, as written by Ptolemy, and not Cartana, as noted by Pliny. The same form of the name is also found on a rare coin of Eukratides, with the legend Karisiye nagara, or " city of Karisi" which I have identified with the Kalasi of the Buddhist chronicles, as the birthplace of Raja Milindu. In another passage of the same chronicle, [2] Milindu is said to have been born at Alasanda, or Alexandria, the capital of the Yona, or Greek country. Kalasi must therefore have been either Alexandria itself or some place close to it.

कालसी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...कलसी अथवा 'कालसी' (AS, p.179) उत्तराखण्ड के ज़िला देहरादून की तहसील चकरौता में स्थित है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। यह प्राचीन स्थान यमुना तट पर स्थित है। यहाँ पर भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध मौर्य सम्राट अशोक के चतुर्दश शिलालेख एक चट्टान पर अंकित हैं। जान पड़ता है कि यह स्थान अशोक के साम्राज्य की उत्तरी सीमा पर स्थित था जो उसे हिमालय के पहाड़ी प्रदेश से अलग करती थी। ये चौदह धर्म लिपियाँ अशोक के सीमा प्रांतों में ही अभिलिखित पाई गई हैं।

अलसंद

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है....अलसंद (AS, 43) अलक्षेंद्र द्वारा क़ाबुल के निकट बसाए हुए नगर एलेक्ज़ेंड्रिया (सिकंदरिया) का भारतीय नाम है।[5] मिलिंदपन्हो में अलसंद को द्वीप कहा गया है और इसमें स्थित कालसीग्राम नामक स्थान को मिलिन्द अथवा यवनराज मिनेन्डर (दूसरी शती ई. पू.) का जन्मस्थान बताया गया है। पर्शुस्थान की राजधानी हूपियन या वर्तमान ओपियन इसी स्थान पर थी। (न.ला. डे)

कलसीग्राम-कालसिग्राम

विजयेन्द्र कुमार माथुर[6] ने लेख किया है.... कलसीग्राम (AS, p.148,178): बौद्ध ग्रंथ मिलिंदपन्हो के अनुसार ग्रीक राजा मिनेन्डर (पाली में मिलिंद) जो दूसरी शती ई. में भारत में आकर बौद्ध हो गया था) का जन्मस्थान बताया गया है।[7] यह मिस्र के प्रसिद्ध नगर (द्वीप) अलेक्षेंन्ड्रिया (पाली अलसन्द) में स्थित बताया गया है. (दे. अलसंद)

कलसी - कालसी

कलसी अथवा 'कालसी' का महाभारत से भी सम्बन्ध रहा है। आज कलसी एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

स्थिति: कलसी उत्तराखण्ड के देहरादून ज़िले में समुद्र स्तर से 780 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह जगह जौनसार-बावर आदिवासी क्षेत्र का प्रवेश द्वार मानी जाती है, जो दो नदियों- यमुना नदी और टोंस नदी के संगम पर स्थित है। यह जगह विभिन्न प्राचीन स्मारकों, साहसिक खेल और पिकनिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।

महाभारत काल में कलसी का शासक राजा विराट था और उसकी राजधानी विराटनगर थी। अज्ञातवास के समय पांडव रूप बदलकर राजा विराट के यहाँ ही रहे थे। यमुना नदी के किनारे कलसी में अशोक के शिलालेख प्राप्त होने से इस बात की पुष्टि होती है कि यह क्षेत्र कभी काफ़ी संपन्न रहा होगा। सातवीं सदी में इस क्षेत्र को 'सुधनगर' के रूप में प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी देखा था। यह 'सुधनगर' ही बाद में कलसी के नाम से पहचाना जाने लगा। लगभग आठ सौ वर्ष पहले दून क्षेत्र में बंजारे जाति के लोग आकर बस गये थे। तब से यह क्षेत्र गढ़वाल के राजा को कर देने लगा। कुछ समय बाद इस ओर इब्राहिम बिन महमूद गजनवी का हमला हुआ।

पर्यटन स्थल: भारतीय पुरालेखों के इतिहास में से एक 'अशोक रॉक ईडिक्ट' कलसी के अति महत्त्वपूर्ण स्मारक और लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह वह पत्थर है, जिस पर मौर्य सम्राट अशोक के 14वें आदेश को 253 ई. पू. में उत्कीर्ण किया गया था। यह आदेश राजा के बताये गए सुधारों और सलाह का संकलन है, जिसको प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण किया है। इस संरचना की ऊंचाई 10 फुट और चौड़ाई 8 फुट है।

कलसी आने वाले पर्यटक आसन बैराज भी देख सकते हैं, जो की विभिन्न लुप्त प्राय प्रवासी पक्षियों की आरामगाह के रूप में जाना जाता है। आईयूसीएन की रेड डाटा बुक ने यहाँ के पक्षियों को दुर्लभ प्रजाति घोषित किया है। एक उत्सुक पक्षी प्रेमी विभिन्न अद्वितीय पक्षियों की प्रजातियों, जैसे- मल्लार्ड्स, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड्स, रुद्द्य शेल्दुच्क्स, कूट्स, कोर्मोरंट्स, एग्रेट्स, वाग्तैल्स, पोंड हेरोंस, पलस फिशिंग ईगल्स, मार्श हर्रिएर्स, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल्स, ओस्प्रेय्स, और स्टेपी ईगल्स को देखने का आनंद ले सकते हैं। पर्यटक यहाँ 90 प्रतिशत जल पक्षियों एवं 11 प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों को अक्टूबर से नवम्बर और फ़रवरी से मार्च तक की अवधि में देख सकते हैं। विकासनगर, कलसी में ख़रीदारी करने के लिए एक आदर्श स्थल है। दूसरी ओर डक पत्थर है, जो एक सुंदर पिकनिक स्पॉट है, जहाँ कैनोइंग, नौकायन, वाटर स्कीइंग, और होवरक्राफ्ट जैसी हर तरह की विभिन्न मनोरंजक गतिविधियों का आनन्द लिया जा सकता है।[1]

संदर्भ:- भारतकोश-कालसी

In Mahabharata

Mahabharata mentions:

  • Kalasaka (कलासक) (Naga) (V.103.11),
  • Kalasha (कलश) (Naga) (V.101.11)/(V.103),
  • Kalashya (कलश्य) (Tirtha) (III.81.66),

External links

References

  1. The Ancient Geography of India/Northern India,pp. 26-30
  2. Milindu-prasna, quoted by Hardy, in ' Manual of Buddhism,' pp. 440, 516.
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.179
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.43
  5. देखें महावंश (गेगर Geiger का अनुवाद) पृ. 194
  6. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.148,178
  7. दे. मिलिंदपन्हो, ट्रेंकनर द्वारा संपादित, पृ.83