Satish Dahiya

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Maj Satis Dahiya

Major Satish Dahiya (22.09.1985 - 14.02.2017) from village Nangal Chaudhary (Banihari), tahsil Narnaul of Mahendergarh district in Haryana lost his life in an operation against terrorists in Jammu and Kashmir at Langate (Handwara) in Kupwara on 14.2.2017. But before succumbing to injuries in hospital, Major Dahiya made sure that all four terrorists are neutralised. He was originally from 13 Rashtriya Rifles but recently attached with 30 Rashtriya Riffles posted in Kupwara in Jammu and Kashmir.

Early life

He originally belonged to village Banihari, tahsil Narnaul of Mahendergarh district in Haryana.

His family

He is survived by a child, wife Sujata and parents. Dahiya had joined the army in 2008.

In Indian Army

Major Dahiya had joined the army seven years back and was originally from 13 Rashtriya Rifles. Recently, he was attached with 30 Rashtriya Riffles posted in Kupwada.

Encounter with terrorists

The first encounter took place in the morning in Bandipura in which three soldiers got martyred while one terrorist was neutralised. In evening, the army got the information that terrorists are hiding. Major Dahiya was tasked to lead the operation. The joint operation of J&K police and army started around five in evening and while the team of the army was combing the area, terrorists opened fire from their hideout. Major Dahiya and three soldiers sustained serious injuries, but Major ensured that all four terrorists are neutralised before they take him to the hospital. Major Dahiya later succumbed to his injuries in hospital.[1]

पैतृक गांव बनिहाड़ी में अंतिम संस्कार

Ref - Bhaskar News,Feb 16, 2017

शहीद मेजर सतीश दहिया का बुधवार शाम करीब 7 बजे नांगल चौधरी में उनके पैतृक गांव बनिहाड़ी में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। हरियाणा के वीर सपूत का शव तिरंगे में लिपटा देखकर हर आंख नम थी। अंतिम यात्रा में उमड़े हजारों लोग सम्मान में नारे लगा रहे थे। शहीद की पत्नी सुजाता चौधरी बोली- ‘मुझे मेरे पति की शहादत पर गर्व है। अब अपनी इकलौती बेटी को भी सेना में अफसर बनाऊंगी। पिता के सपनों काे अब वह पूरा करेंगी।’

2008 में सेना में भर्ती हुए दहिया की यूनिट के अधीन वह क्षेत्र था ही नहीं जहां मंगलवार को आतंकियों के घुसने की सूचना मिली थी।

उन्होंने अपने कमांडर से इंचार्ज बनाने का आग्रह किया और आंतकियों को ढेर करने वाली सेना, सीआरपीएफ व पुलिस की संयुक्त टीम में शामिल हो गए।

उन्होंने पत्नी को कॉल करके आतंकी सर्च ऑपरेशन की जानकारी दी। पत्नी की गुड विशिंग के बाद उन्होंने पिता का भी आशीर्वाद लिया।

कहा था कि ऑपरेशन को सफलता पूर्वक अंजाम देकर दोबारा कॉल करेंगे। लेकन गोलीबारी में वह घायल हो गए और उन्हें बचाया नहीं जा सका।

जीवन परिचय

मेजर सतीश दहिया

22-09-1985 - 14-02-2017

शौर्य चक्र (मरणोपरांत)

वीरांगना - श्रीमती सुजाता

यूनिट - आर्मी सर्विस कॉर्प्स, 30 राष्ट्रीय राइफल्स

ऑपरेशन रक्षक

मेजर सतीश दहिया का जन्म 22 सितंबर 1985 को श्री अचल सिंह दहिया एवं श्रीमती अनीता देवी के परिवार में इकलौती संतान के रुप में हुआ था। वह हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के बनिहारी गांव के निवासी थे। मेजर दहिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश से पूर्ण की और राजस्थान विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। उनके परिवार की कोई सैन्य पृष्ठभूमि नहीं थी फिर भी अपने सपने को साकार करने के लिए वह भारतीय सेना में शामिल हुए और 12 दिसंबर 2009 को उन्हें भारतीय सेना की रसद आपूर्ति शाखा, सेना सेवा कोर (ASC) में नियुक्ति प्राप्त हुई थी।

सेना में नियुक्ति के पश्चात सुश्री सुजाता से उनका विवाह हुआ और इस दंपति के परिवार में एक बेटी प्रियाशा हुई। कुछ वर्षों तक अपनी कोर के साथ सेवा करने के पश्चात, उन्हें जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियानों में तैनात 30 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ सेवा में प्रतिनियुक्त किया गया।

प्रत्येक राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन में एक आर्मी सर्विस कॉर्प्स (ASC) अधिकारी होता है, जो उसके युद्ध प्रतिष्ठान पर तैनात होता है, जो न केवल बटालियन की आपूर्ति और रसद की देखभाल करता है, अपितु बटालियन के लड़ाकू ऑपरेशंस में भी भाग लेता है। मेजर दहिया ने 30 राष्ट्रीय राइफल्स के साथ सेवा करते हुए, कई आतंकवाद विरोधी अभियानों में भाग लिया था।

14 फरवरी, 2017 को, मेजर सतीश दहिया 30 राष्ट्रीय राइफल्स के साथ कुपवाड़ा जिले के हाजन गांव में CORDON & SEARCH ऑपरेशन के प्रभारी थे। गांव हफरुदा और राजबार जंगलों के निकट स्थित है, जहां प्रायः आतंकवादी उत्तरी कश्मीर में बारामूला या सोपोर जाने से पहले छिप जाते हैं। शाम लगभग साढ़े पांच बजे जब सैनिक चिन्हित स्थल की घेराबंदी कर रहे थे तभी आतंकवादियों ने निकट से अंधाधुंध फायरिंग आरंभ कर दी।

मेजर दहिया और उनकी टीम ने प्रत्युत्तर में सटीक कार्रवाई की, जिसमें तीन आतंकवादी मारे गए और शेष नीचे एक नाले की ओर भाग गए। अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की घोर उपेक्षा करते हुए मेजर दहिया ने भाग रहे आतंकवादियों का पीछा किया और उनमें से एक और को मार गिराया परंतु उनकी दांईं जांघ में गोली लगने से वह घायल हो गए। अपनी चोट पर ध्यान नहीं देते हुए वह भाग रहे आतंकवादियों का पीछा करते रहे और एक आतंकवादी को और मार गिराया।

परंतु इस बार उनके पेट में गोली लग गई और वह अचेत हो गए। शेष बचे आतंकवादी तब तक घने जंगल में भाग गए। मेजर दहिया को शीघ्र अचेतावस्था में, एंबुलेंस में लंगाईट गांव स्थित बटालियन मुख्यालय भेजा गया। जहां उन्हें बेस अस्पताल, श्रीनगर ले जाने के लिए एक हेलीकॉप्टर प्रतीक्षा कर रहा था। यह एंबुलेंस जब हेलीपैड से कुछ ही किलोमीटर दूर थी, तभी स्थानीय कश्मीरियों की भीड़ ने एंबुलेंस का घेराव कर लिया और पथराव आरंभ कर दिया।

इसके पश्चात जब एक बख्तरबंद एंबुलेंस वहां पहुंची और सैनिकों ने भीड़ को तितर-बितर किया तब तक पत्थरबाजों ने लगभग आधे घंटे तक एंबुलेंस को आगे नहीं बढ़ने दिया। यह एंबुलेंस जब हेलीपैड पर पहुंची तब अचेत होने के उपरांत भी मेजर दहिया सांस ले रहे थे परंतु उन्हें एंबुलेंस से हेलीकॉप्टर में ले जाते समय वह वीरगति को प्राप्त हुए।

मेजर सतीश दहिया को उनके असाधारण साहस, असीम वीरता, लड़ाई की अदम्य भावान एवं सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। मेजर सतीश दहिया के बलिदान को भारत में युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा।

स्रोत: रमेश शर्मा

Gallery

Parents of Maj Satish Dahiya, Shaurya Chakra visited & paid homage at Langate, Handwara where their gallant son made the supreme sacrifice while fighting terrorists on 14 Feb 2017.

References


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