Praveni

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Praveni (प्रवेणी) is a river and pilgrim mentioned in Mahabharata. V S Agarwal identifies it with the river Wainganga of south.

Origin

Variants

History

In Mahabharata

Praveni (प्रवेणी) (Tirtha) mentioned in Mahabharata (III.86.8)

Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 86 mentions the sacred tirthas of the south. Praveni (प्रवेणी) (Tirtha) is mentioned in Mahabharata (III.86.8) [1]....on the mountain called Varunasrotasa (वरुण सरॊतस) (III.86.7) is the sacred and auspicious wood of Mathara (माठर वन) (III.86.7) abounding in fruits and roots, and containing a sacrificial stake. Then, O king, it is said that in the region on the north of the Praveni (प्रवेणी) (III.86.8), and about the sacred asylum of Kanwa (कण्वाश्रम) (III.86.8), are many woody retreats of ascetics.

प्रवेणी नदी

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है .....प्रवेणी नदी (AS, p.589): 'प्रवेणी प्रवेण्युत्तरमार्गे तु पुण्ये कण्वाश्रमे, तापसानामरण्यानि कीर्तितानि यथा-श्रुति'। वनपर्व महाभारत 88, 11 इस उल्लेख में प्रवेणी नदी के निकट कण्वाश्रम की स्थिति बताई गई है तथा संभवत: इसी नदी के तट के समीप माठर वन (माठरस्यवनं पुण्यं बहुमूल फलं शिवम' -वनपर्व महाभारत 88, 10) को स्थित बताया है। श्री वी एस अग्रवाल के मत में प्रवेणी दक्षिण की वेनगंगा है. (दे. वेणी).

External links

References

  1. परवेण्य उत्तरपार्श्वे तु पुण्ये कण्वाश्रमे तथा, तापसानाम अरण्यानि कीर्तितानि यथा शरुति (III.86.8)
  2. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.589

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