Redh

From Jatland Wiki
Author: Laxman Burdak IFS (R)

Location of villages around Niwai in Tonk district

Redh (रेढ़) is a village in .... tahsil in Tonk district of Rajasthan.

Variants

Redh रेढ़, जिला टोंक, राज, (AS, p.799)

Location

रेढ़, जिला टोंक, निवाई स्टेशन से 15 मील दक्षिण-पूर्व में स्थित है. बनास की एक उपनदी इस ग्राम के निकट बहती है.

History

Rairh Niwai: This site was a great commercial and metallurgical centre in the early historical period where, following the accidental discovery of a hoard of three hundred twenty-six silver punch-marked coins, excavation was conducted during 1938-40. The town seems to have been founded in about the third century B.C. and continued to flourish till about the end of second century A.D. Of the three periods identified in the excavation, the lowest had only a few fragmentary jars and potsherds, the middle one a double roomed dwelling and a drain and the uppermost one three small houses, a series of parallel walls and drains. The size of bricks used was 48 x 23 x 8 cm. Of the eighteen ring-wells of the nature of soak-pits, two were filled with layers of inverted lota-shaped jars. The pottery found here is sometimes decorated with chain pattern and taurine. There are a few theriomorphic vessels in the form of monkeys. Stone and clay dabbers and steatite vessels are known besides fragment of a rim of polished Chunar sandstone which may be an import. Different types of mother-goddess figurines and animal toys including horse and elephant riders are common. Iron slags and implements occur in plenty while use of bronze, silver and lead is scarce. Evidence of cloth impression suggests that cotton was grown in the region in early times. Other finds include beads of diverse material, bronze mirror, ivory and bone dice, clay votive tanks and different kinds of ornaments. Punch-marked coins, uninscribed cast, Mitra and Malava coins abound on the surface. One interesting lead-stamp seal with the legend Malava Janapadasa has also been found.[1]

जोलन

विजयेन्द्र कुमार माथुर[2] ने लेख किया है ...जोलन टोंक ज़िला, राजस्थान का ऐतिहासिक स्थान है। पुरातत्त्व की दृष्टि से यह स्थान काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। 1953 में इस स्थान पर प्राचीन काल के अनेक भग्नावशेषों की खोज की गई थी। इनका अनुसंधान पूर्ण रूप से अभी नहीं किया गया है। टोंक के अन्य स्थान, जहाँ से प्राचीन अवशेष मिले हैं, वे निम्नलिखित हैं- 1. रेढ़, 2. शिवपुरी, 3. बगरी, 4. पिराना

रेढ़

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...रेढ़, जिला टोंक, राज, (AS, p.799) : निवाई स्टेशन से 15 मील दक्षिण-पूर्व में स्थित है. बनास की एक उपनदी इस ग्राम के निकट बहती है. यहां आहत टंक मुद्राओं (Punchmarked Coins)सहितएक मृदभांड प्राप्त हुआ था जिसमें माला के दाने, शंख, हाथीदांत और कांसे आदि की वस्तुएं भी रखी थी. सिक्कों से अलेक्जेंडर (सिकंदर) की लौटती हुई सेना के विरुद्ध युद्ध करने वाले एक राज वंश के अस्तित्व के बारे में सूचना मिलती है.


राजस्थान का यह स्थान नवाई स्टेशन से 15 मील दक्षिण पूर्व में स्थित है। इस प्राचीन स्थल का उत्खनन 1938 ई. में के. एन. पुरी द्वारा करवाया गया। रेढ़ में छोटे-छोटे टीले विस्तृत क्षेत्र में फैले हुए हैं। यहाँ से उत्खनन में प्राप्त सामग्री में मिट्टी के मकान, अनेक लौह उपहरण, प्रचुर मात्रा में पाषाण मनके, मृण्मूर्तियाँ सम्मिलित हैं। यह सामग्री शुंग एवं शुंगोत्तर काल का प्रतिनिधित्व करती हैं। यहाँ से प्राप्त सेलखड़ी की डिबिया उन डिबियों के सदृश हैं, जिनमें महात्मा बुद्ध या बौद्ध भिक्षुओं के अवशेष स्तूपों में रखे जाते थे। रेढ़ के उत्खनन से यह स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है कि यह स्थान तीसरी शताब्दी ई. पू. में एक विकसित नगर था, जो दूसरी शताब्दी ईस्वी तक पल्लवित होता रहा। मालव सिक्कों एवं मालव मुद्राओं एवं आहत सिक्कों की उपलब्धि से यह निष्कर्ष निकाला गया कि यह मालवों का एक केन्द्र था, जो सम्भवत: मौर्यशुंग शासकों के अधीन राज्य करते थे। [4]

Population

Notable Persons

External Links

References


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