Rishabha

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(Redirected from Rishabha Parvata)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Rishabha (ऋषभ) is name of a Naga king, a mountain, a pilgrim and an island mentioned in Mahabharata. Rishabha Mountain is also mentioned in Ramayana.

Origin

Variants

History

ऋषभ

विजयेन्द्र कुमार माथुर[1] ने लेख किया है ...

1. ऋषभ पर्वत (AS, p.106): श्रीमद्भागवत 5,19,16 में उल्लेखित एक पर्वत है, जिसका नामोल्लेख मैनाक, चित्रकूट और कूटक पर्वतों के साथ है- 'मंगलप्रस्थो मैंआकस्त्रिकूटः ऋषभः कूटकः विंध्यःशुक्तिमानृक्षगिरिः'।

यह विंध्याचल के ही किसी पहाड़ का नाम जान पड़ता है। ऋक्ष से यह भिन्न है क्योंकि उपर्युक्त उद्धरण में दोनों के नाम अलग-अलग हैं। संभव है यह दक्षिण-कोसल अथवा पूर्व विंध्य की श्रेणियों का कोई पर्वत हो क्योंकि ऋषभ नामक तीर्थ संभवतः इसी प्रदेश में था। ऋक्ष और ऋषभ भिन्न होते हुए भी एक ही भूभाग में स्थित थे- यह भी अनुमान सिद्ध जान पड़ता है।

2. ऋषभ तीर्थ (AS, p.106): ऋषभ दक्षिण-कोसल का एक तीर्थ है- 'ऋषभतीर्थ्मासद्य कोसलायां नराधिप'। (महा. वन. 85,10). इससे पूर्व के श्लोक में नर्मदा और शोण के उद्भव पर वंशगुल्म तीर्थ का उल्लेख है। इससे स्पष्ट है कि ऋषभ महाभारत के अनुसार अमरकंटक की पहाड़ियों में ही स्थित होगा। यह तथ्य रायगढ़ (म.प्र.) से 30 मील (लगभग 48 कि.मी.) दूर स्थित उसभ नामक स्थान से प्राप्त एक शिलालेख से प्रमाणित होता है। जिसमें उसभ का प्राचीन नाम ऋषभ दिया हुआ है। संभव है 'ऋषभ पर्वत' उसभ की निकटवर्ती पहाड़ियों में ही स्थित होगा।

3. ऋषभ पर्वत (AS, p.106): वाल्मीकि रामायण युद्ध-कांड 74,30 में उल्लिखित कैलाश के निकट एक पर्वत --'तत: कांचनमत्युग्रमृषभं पर्वतोत्तमम' विष्णु पुराण 2,2,29 के अनुसार इसकी स्थिति मेरू के उत्तर की ओर है-- 'शंखकूटोअथ ऋषभो हंसो नागस्तथापर':

ऋषभ द्वीप

ऋषभ द्वीप का उल्लेख पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है। महाभारत के अनुसार इसे एक प्राचीन द्वीप कहा गया है। [2]

उसभ

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...उसभ (AS, p.103) द्वीप के राजा द्युतिमान् के इसी नाम के पुत्र के कारण उष्ण कहलाता है। यह सम्भवत: उष्ण का ही अपभ्रंश है।

In Mahabharata


Adi Parva, Mahabharata/Book I Chapter 52 mentions the names of Nagas who fell into the fire of the snake-sacrifice in race of Dhritarashtra. [4]....Rishabha, Vegavan, Pindaraka; Mahahanu, Raktanga, Sarvasaranga, Samriddha, Pata ....


Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 83 mentions names of Pilgrims. Rishabha Tirtha (ऋषभतीर्थ) is mentioned in (III.83.10).[5] ....Touching next the waters of the Vanshagulma (वंशगुल्म) (III.83.9) constituting the sources of both the Sona and the Narmada, one obtaineth the merit of the horse-sacrifice. Sojourning next to the tirtha called Rishabha (ऋषभतीर्थ) (III.83.10) in Kosala, O lord of men, and fasting there for three nights one earneth the merit of the Vajapeya sacrifice, and of the gift of a thousand kine, and also delivereth his race.


Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 83 mentions names of Pilgrims. Rishabha Parvata (ऋषभं पर्वत) is mentioned in (III.83.19). [6]....Proceeding next to the mountain Rishabha (ऋषभं पर्वत) (III.83.19) in Pandya, worshipped by the gods, one obtains the merit of the Vajapeya sacrifice and rejoices in heaven. One should next proceed to the river Kaveri (कावेरी) (III.83.20)....


Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 82 mentions names Pilgrims. Rishabhadvipa (ऋषभद्वीप) (Tirtha) is mentioned in Mahabharata (III.82.139).[7].... Proceeding next to the island called Rishabha (ऋषभद्वीप) (III.82.139), that is destructive of cranes, and bathing in the Saraswati, an individual blazeth forth in heaven.

In Ramayana

Kishkindha Kanda Sarga 41 mentions about the Empire of Holy Vanaras to the South in search of Sita. Rishabha Mountain is mentioned in Ramayana verses 4-41-39 [8] and 4-41-40[9]....."On crossing over that province (Bhogavati) there will be a glorious mountain named Rishabha, as that great mountain looks like a Holy Bull, and it is replete with every kind of gemstone. [4-41-39b, 40a]...."Whereon the sandalwood trees of ochry-yellowy, lotus-leaf-greenly, sky-blue colours, and even the most attractive sandalwood trees which will be in the glow of Fire are produced, that mountain is this Rishabha. [4-41-40b, 41a]

External links

References

  1. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.106
  2. कृष्णकोश-ऋषभद्वीप
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.103
  4. ऋषभॊ वेगवान नाम पिण्डारक महाहनू, रक्ताङ्गः सर्वसारङ्गः समृद्धः पाट राक्षसौ (I.52.16)
  5. ऋषभं तीर्थम आसाद्य कॊशलायां नराधिप, वाजपेयम अवाप्नॊति तरिरात्रॊपॊषितॊ नरः (III.83.10)
  6. ऋषभं पर्वतं गत्वा पाण्ड्येषु सुरपूजितम, वाजपेयम अवाप्नॊति नाकपृष्ठे च मॊदते (III.83.19)
  7. ऋषभद्वीपम आसाद्य सेव्यं करौञ्चनिषूदनम, सरस्वत्याम उपस्पृश्य विमानस्थॊ विराजते (III.82.139)
  8. तत्र च अंतरोद्देशा ये केचन समावृताः । तम् च देशम् अतिक्रम्य महान् ऋषभ संस्थितिः ॥4-41-39॥
  9. सर्व रत्नमयः श्रीमान् ऋषभो नाम पर्वतः । गोशीर्षकम् पद्मकम् च हरिश्यामम् च चन्दनम् ॥4-41-40॥