Sonkh Fort

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Saunkh (सौंख) or Sonkh (सौंख) is an ancient village in Mathura tahsil and district in Uttar Pradesh, founded by the descendants of Panduvanshi- Jats. It is site of Jat Fort and one of the villages of Khutela Jat Khaps.

सौंख का किला

सौंख में खुटेला तोमर जाटों द्वारा निर्मित एक प्राचीन किले के अवशेष प्राप्त होते हैं। वर्तमान में यह स्थान पुरातात्विक विभाग द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित है। यहां की खुदाई में बेशकीमती वस्तुएं प्राप्त हुई है।

  • वंश:-पाण्डव वंशी खुटेला तोमर (प्राचीन नाम अर्जुनायन )
  • पदवी:- कौन्तेय नरेश ,महाराजा, राजा
  • रण घोष:-अर्जुनायन जय (सिक्को पर उत्कीर्ण)
  • कालक्रम:-महाभारत काल से ख़िलजी वंश ,मुगलकाल के अंतिम समय मे
  • राज्य चिन्ह :-मध्य में मंशा देवी, दोनों तरह सिंह, अर्जुनायन जय अंकित
  • वंश वृक्ष चिह्न – अक्षय वट
  • कुलदेवी:-मंशा देवी योगमाया
  • कुलदेव:-हनुमानजी ,श्रीकृष्ण
  • माला – रूद्राक्ष की माला,
  • पक्षी- गरूड़
  • राज नगाड़ा – रंजीत (रणजीत),
  • राजवंश पहचान नाम- इन्‍द्रप्रस्‍थ के तोमर,


  • आदि खेरा (खेड़ा) (मूल खेड़ा) – हस्तिनापुर,
  • आदि गद्दी (आदि सिंहासन) – कर्नाटक (प्राचीन नाम कुन्तल देश)
  • पवित्र नदी:-तुंगभद्रा, यमुना
  • राज शंख – दक्षिणावर्ती शंख,
  • तिलक – रामानन्‍दी,
  • गुरू – चतुर्वेदी व्‍यास,
  • राजध्‍वज – भगवा पर अर्द्ध चन्द ,कपिध्वज
  • मंत्र – गोपाल मंत्र,
  • हीरा - मदनायक (कोहेनूर )
  • मणि – पारसमणि,
  • राजवंश का गुप्‍त चक्र – भूपत चक्र,
  • यंत्र – श्रीयंत्र,
  • महाविद्या – षोडशी महाविद्या

सौंखगढ़ का प्राचीन नाम सौनक गढ़ था। दिल्ली के कुंतलपति महाराजा अनगपाल देव तोमर के पुत्र सोहनपाल देव के नाम से यह दुर्ग सौनक कहलाता था। कालक्रम में भाषा अपभ्रंश से सौंख नाम से प्रसिद्ध हुआ है। सौंख पर प्राचीन समय से ही अर्जुनायन लोगो की बस्ती आबाद थी। अर्जुनायन(अर्जुन के वंशज ) की ही कौन्तेय,पाण्डव,तोमर नाम से वर्तमान में जाना जाता है।प्रथम ईस्वी तक यह क्षेत्र स्वतंत्र रूप से अर्जुनायन के अधीन था। लेकिन कुछ समय के लिए इस क्षेत्र पर कुषाण और गुप्त सत्ता स्थापित हो गई थी। कुषाणों को यौधेय और अर्जुनायन लोगो ने पराजित कर यहां से बाहर खदेड़ दिया था।

1777 का सौंख युद्ध

1777 का सौंख युद्ध


खुटेलपट्टी तोमरगढ़ के आठ मुख्य गढ़ो की वंशावली

  • सौंख की वंशावली

अनंगपाल प्रथम (736-754) → वासुदेव (754-773) → गंगदेव/गांगेय (773-794) → पृथ्वीमल (794-814) → जयदेव (814-834) → नरपाल देव/वीरपाल (834-849) → उदय राज (849-875) → आपृच्छदेव → पीपलराजदेव → रघुपालदेव → तिल्हण पालदेव → गोपालदेव → सलकपाल/सुलक्षणपाल (976-1005) → जयपाल → कुँवरपाल (महिपाल प्रथम) → अनंगपाल द्वितीय (1051-1081) → सोहनपाल → जुरारदेव → सुखपाल → चंद्रपाल → देवपाल → अखयपाल → हरपाल → हथिपाल → नाहर → प्रहलाद सिंह (5 पुत्र, एक गोद किया) → सहजना (डूंगर सिंह ) → पाला सिंह → करना (करनपाल) → नौधराम → सुरतपाल → भीकम → लालसिंह → भूरिया(भूरसिंह) → अमर सिंह → गुलाब सिंह → सुखपाल → हठी सिंह/हाथी सिंह → श्याम सिंह--तोफा सिंह


  • सोनोठ की वंशावली


  • फोंडर गढ़ की वंशावली


  • गुंसारा गढ़ की वंशावली


  • अजयगढ़(अजान) की वंशावली


  • मगोर्रा की वंशावली


  • वत्सगढ़ (बछगांव) की वंशावली


पिक्चर गैलरी

संदर्भ