Surinder Singh Labana

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Surinder Singh Labana

Surinder Singh Labana (Major) (08.12.1959 - 05.06.1989), Vira Chakra (posthumous), Became martyr on 05.06.1989 during Operation Pawan in Srilanka. He was from Shillong in Meghalaya. Unit: 16 Rajputana Rifles.

मेजर सुरिंदर सिंह लबाना

मेजर सुरिंदर सिंह लबाना

08-12-1959 - 05-06-1989

वीर चक्र (मरणोपरांत)

यूनिट - 16 राजपुताना राइफल्स

ऑपरेशन पवन (श्रीलंका)

मेजर सुरिंदर सिंह का जन्म 8 दिसंबर 1959 को मेघालय के शिलांग नगर में एक सैन्य परिवार में लेफ्टिनेंट कर्नल एम. एस. लबाना के घर में हुआ था। अपने सैनिक पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए सुरिंदर सिंह भी भारतीय सशस्त्र बलों में सेवाएं देना चाहते थे। NDA, खड़कवासला से कोर्स पूर्ण करने के पश्चात उन्हें भारतीय सेना की राजपुताना राइफल्स रेजिमेंट की 16 बटालियन में सैकिंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त हुआ था।

29 जुलाई 1987 को, भारत-श्रीलंका के मध्य हुए समझौते के क्रियान्वयन में अगस्त 1987 में भारतीय सेना की टुकड़ियों को 'भारतीय शांति सेना' के भाग के रूप श्रीलंका में उतारा गया था। दुर्दांत लिट्टे संगठन ने आत्मसमर्पण नहीं करके भारतीय सेना के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। जून 1989 तक, भारतीय बलों ने लिट्टे के विरुद्ध अनेक अभियान चलाए, किंतु युद्ध समाप्त नहीं हुआ।

जून 1989 में, मेजर सुरिंदर सिंह की बटालियन जाफना प्रायद्वीप में तैनात थी और पुत्तूर क्षेत्र में कार्य कर रही थी। 5 जून 1989 को, गोपनीय सूत्रों से पुत्तूर क्षेत्र में लिट्टे उग्रवादियों की उपस्थिति से संबंधित विश्वसनीय सूचना प्राप्त हुई। सूचना के आधार पर उस संदिग्ध ठिकाने पर आक्रमण करने का निर्णय लिया गया। मेजर सुरिंदर सिंह को आक्रमण के उस अभियान का नेतृत्व करने का कार्य सौंपा गया था।

परिणामस्वरूप मेजर सुरिंदर सिंह सक्रिय हुए और त्वरित अपने सैनिकों के साथ कार्रवाई में जुट गए। वे 15 सैनिकों के साथ संदिग्ध क्षेत्र में पहुंचे और वहां कड़ी घेराबंदी कर दी। मेजर सुरिंदर सिंह ने , शीघ्र ही संदिग्ध ठिकाने में उग्रवादियों को देखा और त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए उनमें से दो को गोली मार दी। मेजर सुरिंदर सिंह और उनके सैनिकों द्वारा किए गए प्रचंड आक्रमण से उग्रवादियों में भय व्याप्त हो गया और उनमें से दो भागने लगे।

उग्रवादियों को भागते देख कर, मेजर सुरिंदर सिंह ने उनका पीछा करने का निर्णय किया और तदनुसार अपने सैनिकों को आदेश दिया। तथापि, घायल उग्रवादियों में से एक उग्रवादी ने मेजर सुरिंदर सिंह पर अति निकट से गोलियां चलाई, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।

गंभीर रूप से घायल होने के उपरांत मेजर सुरिंदर सिंह ने मुड़कर घायल उग्रवादी को गोली मार दी और अपने घातक घावों के कारण गिरने तक वह उसका पीछा करते रहे। घायल होने पर भी उन्होंने स्वयं की सेवा करवाना अस्वीकार कर दिया और अपने सैनिकों को ऑपरेशन चलाते रहने का आदेश दिया। अंततः उनके सैनिकों ने एक उग्रकवादी को और मार गिराया। अंततः अपने घातक घावों से मेजर सुरिंदर सिंह वीरगति को प्राप्त हुए।

इस ऑपरेशन में मेजर सुरिंदर सिंह ने असाधारण साहस, अदम्य भावना का प्रदर्शन किया और सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्हें मरणोपरांत "वीर चक्र" से सम्मानित किया गया।

चित्र गैलरी

स्रोत

बाहरी कड़ियाँ

संदर्भ


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