Tau Chalisa

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ताऊ चालीसा - चौधरी देवीलाल के गाने
ताऊ चालीसा
रचियता - धर्मपाल सिंह भालोठिया
।। दोहा ।।

भरतू भतेरी से कहे, सुन प्यारी मेरी बात।

बैरी बुढ़ापा आ गया, अब नहीं काम दे गात।।

चलो सजन उस देश में, जड़े ताऊ का राज।

पेंशन लें दर्शन करें, एक पंथ दो काज ।।

।। श्री ताऊजी की आरती ।।

जय-जय देवीलाल, ताऊ जय-जय देवीलाल।

तीन लोक में जय तेरी, धरती आकाश पाताल।।1।।

देखा देश गुलाम बदन में उठी जोश की झाल।

कूद पड़ा मैदान-ए-जंग में, ले झंडा तत्काल।।2।।

जंगे आजादी का तूने, मोर्चा लिया सम्भाल।

अंग्रेजो भारत छोड़ो, अब नहीं बनेगी टाल।।3।।

पन्द्रह अगस्त सन् उन्नीस सौ सैंतालीस का साल।

भारत माँ आजाद हुई, कटग्या गठबंधन का जाल।।4।।

अब तक धरती पर नहीं आया, कोई माई का लाल।

जो बुड्ढों को पेंशन देता, यह था कठिन सवाल।।5।।

तूने यह कानून बनाकर, कायम करी मिसाल।

सारी दुनिया जट विद्या का, देखे आज कमाल।।6।।

तेरे बिना निर्बल निर्धन का, कौन करे था खयाल।

पिछड़ा वर्ग और दलितों की बनवादी चौपाल।।7।।

बुड्ढा बुड्ढी पेंशन लेकर, हो गए आज निहाल।

धर्मपाल सिंह भालोठिया कहे, खावें चूरमा दाल।।8।।

।। श्री ताऊजी की आरती ।।

मेरा मन मंदिर बना विशाल, बसा मन ताऊ देवीलाल।।

सब देवों में देव निराला, ताऊ का घर- घर में उजाला।

ताऊ सच्चा दीनदयाल, बसा मन ताऊ देवीलाल ।।1।।

ताऊ पर-दुख भंजन-हारी, ताऊ जन-जन का हितकारी।

ताऊ सबका रखता खयाल, बसा मन ताऊ देवीलाल।।2।।

बुड्ढों का अधिकार बताया, पेंशन का कानून बनाया।

ये दुनिया में नई मिसाल, बसा मन ताऊ देवीलाल।।3।।

जो ताऊ की शरण में आया, उसको रंक से राजा बनाया।

यह ताऊ का अजब कमाल, बसा मन ताऊ देवीलाल।।4।।

भालोठिया अब किस की आस में, तू भी चल ताऊ के पास में।

ताऊ सुने तेरा स्वर-ताल, बसा मन ताऊ देवीलाल।।5।।

।। श्री ताऊ चालीसा ।।

जय ताऊ युगपुरुष तुम्हारी।

तीन लोक में गूँजे न्यारी ।।1।।

दूध सफल कर दिया माऊ का।

दरजा मिला जगत ताऊ का।।2।।

लेखराम पिता सुगना माता।

आये देश के भाग्य विधाता।।3।।

कद छः फुट और छाती चौड़ी।

दिया देश को लाल किरोड़ी।।4।।

देश था गोरों के बंधन में।

बैठे राज करें लंदन में।।5।।

हीरा मोती लाल जवाहर।

लूट के ले गए पार समुंदर।।6।।

पन्द्रह साल उमर थी यानी ।

यह प्रतिज्ञा दिल में ठानी।।7।।

करूँ देश की दूर गुलामी ।

दुनिया में हो रही बदनामी।।8।।

रूप धार असली बजरंग का।

देश में बिगुल बजा दिया जंग का।।9।।

अंग्रेजो अब देश हमारा।

गुलाम रहेगा नहीं तुम्हारा।।10।।

घर-घर में गूँजा यह नारा।

जाग उठा फिर भारत सारा।।11।।

हाथ हथकड़ी कंगन डोरा।

जणु ढुका पर जा सै छोरा।।12।।

क्रांति की ऐसी आग लगाई।

गोरों से नहीं बुझी बुझाई ।।13।।

पन्द्रह अगस्त को हुई मुनादी।

भारत को मिलगी आजादी।।14।।

पांच सो बासठ नवाब राजा।

उनका भी दिया काढ़ जनाजा।।15।।

पंजाब से करके बटवारा।

हरियाणा बणवा लिया न्यारा ।।16।।

जिस दिन आया राज हाथ में।

अधिकारी सब लिए साथ में।।17।।

गावों में दरबार लगाया।

सबका काम वहीं करवाया।।18।।

एक दिन विधानसभा में गरजा।

बोला माफ करूँगा करजा ।।19।।

दस हजार तक कर दी माफी।

मिली जनता को राहत काफी।।20।।

एक दिन झट प्रोग्राम बनाया।

गांव में आ गया बिना बुलाया।।21।।

सारे गांव का पड़ग्या लारा।

आ गए गोपीचंद सरदारा।।22।।

भरती सरती और भरपाई।

लाडो भतेरी धापां आई ।।23।।

नत्थू मोलड़ आवें भाग्या।

कहें आज म्हारा ताऊ आग्या।।24।।

जब बुड्ढों की सुनी कहानी।

आँखों में भर आया पानी।।25।।

पेंशन की कानून बनाई।

जट विद्या दुनिया को दिखाई।।26।।

जो रिंगे था पड़ा फरस पर।

उनको पहुँचा दिया अरस पर।।27।।

कहीं पर नंबरदार गुसाई।

कहीं सरपंच बना दिया नाई।।28।।

रघुकुल की जो रीत बताई।

फिर ताजा कर दी चौपाई।।29।।

अपने सिर से ताज उतारा।

वी.पी.सिंह के सिर पर वारा।।30।।

बोला मैं तो रहूँ सन्तरी।

बन कर उप प्रधानमंत्री।।31।।

ताऊ तेरी अद्भुत माया।

चमत्कार दुनिया को दिखाया।।32।।

एक दिन देखी स्वर्ग लोक में।

सभा हुई आजाद चौक में।।33।।

सभा का सारा सीन दिखाऊँ ।

मुख्य अतिथि आया ताऊ ।।34।।

सभा में सब महापुरुष पधारे।

करें ताऊ का स्वागत सारे।।35।।

प्रधान बनाया महात्मा गांधी।

भगत सिंह ने पगड़ी बांधी।।36।।

कोई गळ में डाले फूल माला।

कोई करै था भेंट दुशाला।।37।।

स्वागत गीत का नंबर आया।

ताऊ ने ढाणी फोन मिलाया।।38।।

भालोठिया ने फोन उठाया।

फोन पर स्वागत गीत सुनाया।।39।।

नानक राम मोहम्मद ईसा।

सुने श्री ताऊ चालीसा ।।40।।

।। इति श्री ताऊ चालीसा ।।
।। कुंडली ।।

साल का बारह महीना दिन हों तीन सौ साठ।

पच्चीस सितंबर का रहे सबतैं न्यारा ठाठ।।

सबतैं न्यारा ठाठ, हुई कृपा महेश की ।

पच्चीस सितंबर को जागी तकदीर देश की ।।

कहे भालोठिया जन्मदिन यह ताऊ देवीलाल का ।

पच्चीस सितंबर महापर्व बन गया साल का।।

।। भजन ।।

बुड्ढों की पेंशन का जब घर मनीऑर्डर आवै सै।

उस दिन बुड्ढों को प्यारे ताऊ की याद सतावै सै।।टेक।।

थोड़े आदमी देश के अंदर करें नौकरी सरकारी।

हर महीने में तीस रोज की तनख्वाह लेते हैं भारी।।

होली दिवाली इतवार की छुट्टी लिया करें न्यारी।

आया बुढ़ापा घर पर बैठे पेंशन लेते माहवारी।।

हरियाणा का हर बुड्ढा आज बैठा पेंशन पावै सै।।1।।

झाबर झंडू मांगे ठंडू पेंशन आज गिरधारी ले।

हेता खेता नेता चेता भरतू और बनवारी ले।।

मूला फूला और कबूला बालमुकुंद गुलजारी ले।

हेमा खेमा और प्रेमा मातादीन मुरारी ले।।

मोलड़ लेकर मनीऑर्डर बैठक में मूंछ पनावै सै ।।2।।

भरती सरती माड़ी इमरती पेंशन आज सिणगारी ले।

भगवानी नाराणी खजानी पार्वती हरप्यारी ले।।

भरपाई अणचाही भतेरी सुखदेई होशियारी ले।

दाखां भूलां लाडो फूलां सूरजकोर करतारी ले।।

धापां नोट पेंशन के ले बहुआं नै रोब दिखावै सै।।3।।

अब तक जग में आया ऐसा कोई माई का लाल नहीं।

सतयुग त्रेता द्वापर युग में कोई ऐसा महिपाल नहीं।।

दिन और रात कमावनिये का किसी को आया खयाल नहीं।

देवीलाल ने कर दिया ऐसा किसी ने करा कमाल नहीं।।

गली गली में फिरे डाकिया मनिऑर्डर पहुँचावै सै ।।4।।

विकलांग बेवा और बुड्ढों से देवीलाल की हमदर्दी।

सौ रुपया जो पेंशन लेता उसकी अब दो सौ कर दी।।

लाडो गरम सूट लाई सै जिस दिन से आई सर्दी।

सुरजां पास खड़ी दर्जी के अपनी बनवावे वर्दी।।

बजरंग कहे चूरमा खाऊँ घी तुलवा के ल्यावै सै।।5।।

थी किसकी सरकार जो जिसने पेंशन करी कमाऊ की।

नहीं रूस के खुरूश्चेव और नहीं चीन के माऊ की।।

होती आई कदर हमेशा भ्रष्टाचारी खाऊ की ।

रामराज से आगे टपगी आज योजना ताऊ की ।।

धर्मपाल सिंह भालोठिया आज गीत खुशी में गावै सै।।6।।

।। कुंडली ।।

ताऊ बना कोई नहीं, बापू चाचा अनेक ।

जो जगत ताऊ बना आया देश में एक।।

आया देश में एक पते की बात बताऊँ।

सच्चा देशभक्त धरती से जुड़ा कमाऊ ।।

कहे भालोठिया दीन-हीन निर्बल का साऊ ।

तेजा खेड़ा हरियाणा में परगट हो गया ताऊ।।


।। श्रद्धांजलि भजन ।।

ठेठ गांव की राजनीति का ध्रुव सितारा चला गया।

छत्तीस बिरादरी का रखवाला ताऊ म्हारा चला गया।।

गोद हुई सूनी मेरी, न्यू रोई थी भारत माता ।

मेरी धीर बँधावनिया आज कोई नजर नहीं आता ।।

जिसने मैं आजाद कराई वोहे था मुक्तिदाता।

स्वतंत्रता सेनानी था वो हरियाणा का निर्माता।।

पर-दुख भंजन-हारी था जन-जन का प्यारा चला गया।।1।।

ताऊ जी युगपुरुष हो गया नहीं था साधारण व्यक्ति।

जिसके हम दर्शन करते थे आदम देह में थी शक्ति।।

जो ताऊ ने किया संघर्ष उसको कहें देशभक्ति।

बुड्ढों के दिल में ताऊ की हरदम ज्योत रहे जगती ।।

ओमप्रकाश चौटाला को दे चार्ज सारा चला गया ।।2।।

सारे देश में शोक फैल गया कलकत्ता मुंबई पूना ।

मद्रास दिल्ली जयपुर रोहतक चण्डीगढ़ शिमला ऊना ।।

आज जगत ताऊ के बिना यह भारत देश हुआ सूना।

बापू का दुख नहीं भूले थे ताऊ का हो गया दूना ।।

स्वर्ग लोक की त्यारी कर हमसे हो न्यारा चला गया।।3।।

कभी अचानक बिना बुलाये गांव में आया करता था।

उप प्रधानमंत्री का नहीं रोब दिखाया करता था।।

नत्थू मोलड़ और बदलू से हाथ मिलाया करता था।

उनकी बात सुना करता और अपनी बताया करता था।।

हरियाणवी धोती खंडके का दिखा नजारा चला गया।।4।।

ताऊ को जब मिला धणी का स्वर्ग में जाने का पैगाम।

स्वर्गद्वार पै स्वागत करने आ गए थे महापुरुष तमाम।।

गांधी पटेल सुभाष नेहरू और मौलाना अब्दुल कलाम।

शास्त्री जी राजेद्र प्रसाद अंबेडकर सर छोटू राम ।।

लोक-लाज से लोक-राज का देकर नारा चला गया।।5।।

स्वर्गलोक में मिल गए नानक राम मोहम्मद और ईसा।

देवताओं के दर्शन करके ताऊ के आग्या जी सा।।

ताऊ का अब गांव गांव में जोगी गाएंगे किस्सा।

धर्मपाल सिंह भालोठिया ने लिख दिया ताऊ चालीसा।।

जाते-जाते इसको ताऊ दे के इशारा चला गया।।6।।

।। कुंडली ।।

नकली घर-घर में मिलें, असली जग में दो लाल।

एक समुंद्र में मिले एक ताऊ देवीलाल।।

ताऊ देवीलाल जगत ताऊ का दर्जा पाया।

अहिंसा का पुजारी था युगपुरुष कहाया।।

सुगना माँ ने जन्म दिया लाल वो असली।

कहे भालोठिया और लाल पाये सब नकली।।

।। आल्हा ।।

सतयुग त्रेता द्वापर युग में जितनी भी आई सरकार।

नाम सुना करती थी जनता लेकिन देखा नहीं दरबार।।

ताऊ जी की नीति द्वारा हरियाणा में आई बहार।

देवीलाल दरबार लगावे आज सरकार आपके द्वार।।

देश की आजादी के जंग में जिस योद्धा ने पाई विजय।

श्री ताऊ चालीसा में दिया उसका थोड़ा सा परिचय।।

छत्तीस बिरादरी के सब भाई रहो प्रेम से और निर्भय ।

धर्मपाल सिंह भालोठिया कहे बोलो जगत ताऊ की जय।।

धर्मपाल सिंह भालोठिया
श्री ताऊ चालीसा जन-जन को समर्पित

मेरे हम उमर साथियो, जवानो, प्यारे बच्चो !

मुझे परम आदरणीय जननायक ताऊ स्वर्गीय श्री देवीलाल जी का लगभग 40 वर्षों तक स्नेहयुक्त सानिध्य एवं मार्गदर्शन प्राप्त हुआ । इस दौरान उनके विभिन्न सामाजिक कार्यक्रम एवं जन आंदोलनों में उनके व्यवहार, नीति एवं दूरदर्शिता को बहुत करीब से देखा । ताऊ ने अपनी नीतियों, दूरदर्शिता एवं मौलिक विचारधारा के बल पर भारतीय इतिहास में स्वर्णिम स्थान प्राप्त किया ।

इसी के आधार पर मैंने श्री ताऊ चालीसा लिख दिया जिसमें मैंने ताऊ के सर्वगुणों का वर्णन किया है । भूल सुधार के लिए सुझाव दें, मैं आपका आभारी रहूंगा ।

आपका अपना,

धर्मपाल सिंह भालोठिया

गांव - ढाणी भालोठिया, वाया-सतनाली

जिला - महेंद्रगढ़ (हरियाणा)

ताऊ चालीसा- चौधरी देवीलाल के गाने