Alavaka

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(Redirected from Alavika)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Alavaka (आलवक) was one of the foremost lay male disciples of the Buddha.[1]

Variants

Origin

History

Hastaka Āṭavika (Pali: Hatthaka Ālavaka), also known as Hastaka of Āṭavī (Pali: Hatthaka of Ālavī), was one of the foremost lay male disciples of the Buddha,[2] mentioned in text along with Citta in the Buddhavamsa xxvi.19 and considered the foremost in gathering a following using the "four bases of sympathy" which he describes as being: 1) he gives gifts, 2) he talks with kindly words, 3) he does kindly deeds, 4) he treats people with equality.

He was the son of a ruler of Alavi. His given name was changed to "Hatthaka" after Buddha saved him from being eaten by a Yakkha (or Yaksha) demon named Alavaka. His name "Hatthaka" (hattha means "hand") comes from his being handed over by the yakha demon to Buddha upon his conversion.

He was an Anagamin or a non-returner and was born in a heaven called "Aviha" where he would attain Arahant status.

In Mahavansha

Mahavansa/Chapter 30 mentions The Making of the Relic Chamber and the subduing of the Yakkha Alavaka along with many other events.

आलवक

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ... आलवक (AS, p.71) गौतम बुद्ध के समय पांचवी-छठी शती ई. पू. में पूर्व-पांचाल में स्थित एक राज्य था। यह कान्यकुब्ज से पूर्व की ओर संभवत: गाजीपुर के निकटवर्ती प्रदेश का नाम था।[4] चीनी पर्यटक युवानच्वांग ने आलवक देश को शायद चंचू कहा है। इसकी राजधानी सुत्तनिपात में आलवी बताई गई है[5] जो उवास गदसाओ नामक ग्रंथ (भाग-2, पृष्ठ 103) की आलभिया या आलंभिका जान पड़ती है।

होर्नल के अनुसार आलवी की गणना अभिधानप्पदीपिका में बीस उत्तर-भारतीय नगरों के अंतर्गत की गई है। जैन-ग्रंथ कल्पसूत्र में उल्लेख है कि तीर्थंकर महावीर ने आलविका में एक वर्षाकाल व्यतीत किया था। सुत्तनिपात (10,2,45) में आलवक को यक्ष-देश माना है और यहाँ का देवता एक यक्ष को बतलाया गया है जो आलवक पंचाल-खंड नाम से प्रसिद्ध था। यक्ष बड़ा क्रोधी था किंतु तथागत के शांत स्वभाव के सामने उसे पराजित होना पड़ा था। यक्ष उत्तरी भारत की कोई अनार्य जाति थी जिसका उल्लेख महाभारत में अनेक स्थलों पर है। शिखंडी की मनोरंजक कथा (भीष्म-पर्व) में एक यक्ष को पांचाल-देश के अंतर्गत (कांपिल्य के निकट) वन में निवास करते हुए वर्णित किया गया है। आलवक में चुल्लवग्ग ( 6, 17) में आलवी में अग्गालव नामक बौद्ध मंदिर का उल्लेख है। संभव है कि इस देश और इसकी राजधानी का नाम संस्कृत अटवी का प्राकृत रूप हो।

External links

See also

References

  1. Malalasekera, Gunapala Piyasena (2007). Dictionary of Pāli Proper Names: A-Dh. Motilal Banarsidass Publishe. ISBN 9788120830219.
  2. Malalasekera, Gunapala Piyasena (2007). Dictionary of Pāli Proper Names: A-Dh. Motilal Banarsidass Publishe. ISBN 9788120830219.
  3. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.71
  4. वाटर्स- युवानच्वांग, जिल्द. 2,61,340।
  5. सुत्तनिपा, द बुक ऑफ किंडरेड सेइंग्ज पृ. 275