Amar Singh Tomar
Amar Singh Tomar (1630) was a ruler of Khair in Aligarh.
अमर सिंह तोमर
स्त्रोत:- अमित तोमर डेटा द्वारा
गांव डेटा खुर्द, पिसावा, खैर (अलिगढ) का एक महान योद्धा जो इतिहास के पन्नों में गुमनाम है नाम है अमर सिंह तोमर,
पारिवारिक पृष्ठ भूमि
अमर सिंह तोमर पिसावा रियासत के डेटा गाँव से तालुक रखता था। अमित तोमर द्वारा शीघ्र ही इनकी वंशावली उपलब्ध करवा दी जाएगी
अमर सिंह तोमर का इतिहास
मुगल बादशाह शाहजहां शासनकाल के अंतिम समय मे खैर अपनी राजधानी बनाई थी। अमर सिंह द्वारा राठ व खैर नाम स्थानों पर किलो का निर्माण करवाया गया था। अमर सिंह जब मुगलों को चुनौती पेश करने लगा तब उसके दमन के लिए औरंगजेब ने जनवरी 1690 ईस्वी मुगल सेना को हरिसिंह के नेतृत्व में खैर की गढ़ी पर आक्रमण करने के लिए भेजा। जाट सरदार अमर सिंह तोमर ने मुस्लिम आक्रमणों से अपने क्षेत्र को बचाने के लिए अपने किले में 8 महीने का समुचित राशन व हथियारों का प्रबंध कर लिया था। खैर गढ़ी को राठ नामक अन्य किला बना कर मजबूत बना लिया था ताकि वह राठ गढी से खुर्जा तथा चंदौसी के क्रांतिकारियों से अपना संपर्क बना सकें और ज्यादा से ज्यादा जाट क्रांतिकारियों को जोड़ सकें। जनवरी 1690 ईस्वी में मुगल सेना ने खैर की गढ़ी पर घेरा डाल दिया लेकिन अमर सिंह के प्रबल प्रतिरोध के कारण रणनीति में बदलाव करते हुए अब राठ पर घेरा डाला गया था। राठ की गढ़ी की सुरक्षा का दायित्व बिरजू जाट के हाथों में था। मुगलो के 8 सप्ताह की घेराबंदी से राठ में राशन की कमी होने लगी ऐसे में संख्या में कम होते हुए भी जाटों ने मुगलों का सामना किया व बिरजू यहां से सुरक्षित निकलकर खैर पहुँच गया। खैर के किले पर जनवरी 1690 ईस्वी से अगस्त 1690 ईस्वी तक घेराबंदी होने के बाबजूद मुगलों को विफलता हाथ लगी।
External links
नोट:- मुगलकाल में अलीगढ़ जिले में एक और अमरसिंह के प्रमाण मिलते हैं।यह अमर सिंह नौहवार जाट था।
References
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