Brahmavarta

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Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Brahmavarta (ब्रह्मावर्त) was the region of Punjab, India, between the rivers Saraswati and Drishadwati as described in Manusmriti 2,17.

Origin

Variants

History

The precise location and size of the region has been the subject of academic uncertainty.[1] Some scholars, such as the archaeologists Bridget and Raymond Allchin, believe the term Brahmavarta to be synonymous with the Aryavarta region.[2]

In Mahabharata

Brahmavarta (Tirtha) (ब्रह्मावर्त) is mentioned in Mahabharata (III.81.43), (III.82.38)

Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 81 mentions names of Tirthas (Pilgrims). Brahmavarta (Tirtha) (ब्रह्मावर्त) is mentioned in Mahabharata (III.81.43)[3]....one should next repair to the tirtha called Brahmavarta (ब्रह्मावर्त) (3.81.43). Bathing in Brahmavarta, one ascendeth to the abode of Brahma.


Vana Parva, Mahabharata/Book III Chapter 82 mentions names of Pilgrims. Brahmavarta (Tirtha) (ब्रह्मावर्त) is mentioned in Mahabharata (III.82.38).[4].... One should next proceed to Brahmavarta (ब्रह्मावर्त) (III.82.38), with concentrated soul and practising the Brahmacharya vows. By this, one obtaineth the merit of the horse-sacrifice, and goeth to the region of Soma. The man that proceedeth to the Yamuna-prabhava (यमुनाप्रभव) (III.82.39) , (the source of the Yamuna) and batheth there, obtaineth the merit of the horse-sacrifice and is worshipped in heaven.

ब्रह्मावर्त

विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ... 1. ब्रह्मावर्त (p.651): वैदिक तथा परवर्ती काल में ब्रह्मावर्त पंजाब का वह भाग था जो सरस्वती और दृषद्वती नदियों के मध्य में स्थित था। (मनुस्मृति 2,17- 'सरस्वती दृषद्वत्योर्देव, नद्योर्यदन्तराम् तं देवनिर्मितं देशं ब्रह्मावर्त प्रचक्षते'

[p.652]: मेकडानेल्ड के अनुसार दृषद्वती वर्तमान घग्घर या घागरा है। प्राचीन काल में यह यमुना और सरस्वती नदियों के बीच में बहती थी। कालिदास ने मेघदूत में महाभारत की युद्धस्थली- कुरुक्षेत्र को ब्रह्मावर्त में माना है-- 'ब्रह्मावर्त जनपदमथश्छाययागाहमान:, क्षेत्रंक्षत्र प्रधनपिशुनं कौरवं तद्भजेथा:' पूर्वमेघ, 50 । अगले पद्य 51 में कालिदास ने ब्रह्मावर्त में सरस्वती नदी का वर्णन किया है। यह ब्रह्मावर्त की पश्चिमी सीमा पर बहती थी। किंतु अब यह प्राय: लुप्त हो गई है।

2. ब्रह्मावर्त (p.652): बिठूर (ज़िला कानपुर, उ.प्र.) महाभारत में इस स्थान को पुण्यतीर्थों की श्रेणी में माना गया है। [3]

External links

References

  1. Scharfe, Hartmut (1989). The State in Indian Tradition. BRILL. p. 12. ISBN 900-4-09060-6.
  2. Allchin, Bridget; Allchin, Raymond (1982). The Rise of Civilization in India and Pakistan. Cambridge University Press. p. 250. ISBN 978-0-52128-550-6.
  3. ततॊ गच्छेत धर्मज्ञ बरह्मावर्तं नराधिप, बरह्मावर्ते नरः सनात्वा बरह्मलॊकम अवाप्नुयात (III.81.43)
  4. बरह्मावर्तं ततॊ गच्छेद बरह्म चारी समाहितः, अश्वमेधम अवाप्नॊति सवर्गलॊकं च गच्छति (III.82.38)
  5. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.651-652