Ajit Singh
Chaudhary Ajit Singh (12.2.1939-6.5.2021) was a prominent leader from Western Uttar Pradesh, India. He belonged to Rashtriya Lok Dal (RLD) Party. He was born on 12 February 1939 in Teotia gotra Jat family at village Bhadola in Meerut District of Uttar Pradesh. He is Son of former Prime Minister of India and Jat leader Chaudhary Charan Singh. He is married to Radhika Bishnoi, daughter of Kunwar Sukhbir Singh Bishnoi of Jagir Kanth of Moradabad and has one son and two daughters.
Education
Ajit Singh did his Bsc, B. Tech and MS from the Lucknow University, IIT Kharagpur and Illinois Institute of Technology,Chicago, USA. He had a special interest in agriculture and modern technology. He was a Professional Computer Scientist, Engineer. He worked in the computer industry in the US for 17 years.
Political Career
Rajya Sabha
- 1986 Elected to Rajya Sabha
Lok Sabha
- 1989 Elected to 9th Lok Sabha
- 1991 Elected to 10th Lok Sabha (2nd term) janta dal
- 1996 Elected to 11th Lok Sabha (3rd term) (Resigned from Congress Party and Lok Sabha on 9.9.1996)
- 1997 Elected again to 11th Lok Sabha (4th term) (Re-elected in a bye-election held on 8 February, 1997)
- 1999 Re-elected to 13th Lok Sabha (5th term)
- 2004 Re-elected to 14th Lok Sabha( 6th term)
- 2009 Re-elected to 15th Lok Sabha (7th term)
Vidhan Sabha
- 1991 chaprauli vidhan sabha janta dal
Union Minister
- 1989 Dec to Nov. 1990 Union Cabinet Minister, Industry janta dal
- 1995 Feb to May 1996 Union Cabinet Minister, Food
- 2001 22 Jul. - 24 May 2003 Union Cabinet Minister, Agriculture
- 2011 18 Dec. Union Cabinet Minister, Civil Aviation
Entered Politics
Ajit Singh plunged into politics in the late Eightees and was elected to Rajya Sabha in 1986. He was Secretary General of Janata Dal and was elected to 9th Lok Sabha. He was Union Cabinet Minister from Dec. 1989 to Nov. 1990
Ajit Singh first entered Parliament as a Rajya Sabha member in 1986, and was a fourth time member of the Lok Sabha. He became a Union Minister for the first time in 1989-90 when he was inducted into National Front led Government of Vishwanath Pratap Singh. He went on to become the Minister for Food under the Congress Government (1995-96) when P V Narasimha Rao was the Prime Minister.
Singh formed his own faction of the Lok Dal called Lok Dal (Ajit) in 1987 and a year later merged it with the Janata Party of which he became the President. When Janata Dal was formed by a merger of the Janata Party, Lok Dal (B) and Jan Morcha, Singh was elected its Secretary General. He was elected to the Lok Sabha in 1989 and re-elected in 1991.
In the mid-nineties, he moved to the Congress with a large slice of the Janata Dal MPs. After winning the Lok Sabha poll in 1996 on a Congress ticket, he left the party within a year to form the Bharatiya Kisan Kamgar Party. He resigned from the Lok Sabha membership and contested the by-election as a BKKP candidate from Baghpat. He won the seat by defeating his Samajwadi Party rival candidate.
Singh lost the 1998 election to Bharatiya Janata Party candidate Sh. Sompal Singh Shastri but avenged the defeat in 1999 as an Rashtriya Lok Dal member. Ch. Ajit Singh won from the Bagpat constituency in 2004 elections.
In 2009 elections, he was elected MP from Bagpat constituency on 16 May 2009, defeating his Congress rival, Sh. Sompal Singh Shastri. But in May 2014 elections, he was defeated by BJP rival Satyapal Singh in Bagpat constituency.
Gallery
Hobbies
His Favourite Pastime included reading and music.
Permanent Address
244/2, Shivaji Road, Meerut-250 001 (Uttar Pradesh)
Demise
Ch. Ajit Singh breathed his last on 6 May 2021 in a hospital in Gurugram, when the Corona epidemic was at its peak.
जीवन परिचय
लोकप्रिय किसान नेता और राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal) अध्यक्ष; चौधरी अजीत सिंह (Ajit Singh) विषेश।
लोकप्रिय किसान नेता चौधरी अजीत सिंह (Ajit Singh) का निधन, देश की राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। 82 साल के अजीत सिंह ने गुरुवार (6/5/21), सुबह करीब 6 बजे, गुरुग्राम के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। 22 अप्रैल 2021 से ही अजीत सिंह कोरोना संक्रमित थे? डॉक्टरों के मुताबिक फेफड़ों में संक्रमण की वजह से उनका निधन हुआ! अजीत सिंह के निधन पर देश में शोक की लहर दौड़ गई, पीएम मोदी; राहुल गांधी, मुख्यमंत्री योगी समेत, तमाम बड़े नेताओं द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि दी गई !
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के बेटे, अजीत सिंह का जन्म मेरठ में तेवतिया, परिवार मे हुआ था, हालांकि उन्होंने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत, अपने पिता के बीमार होने पर 1986 में, राज्य सभा सांसद के तौर पर की थी।
1. बीटेक (कंप्यूटर साइंस) छात्र थे!: अजीत सिंह न केवल सफल राजनेता रहे; बल्कि वे एक अच्छे स्कॉलर भी थे। अजीत सिंह ने देश की नामी आईआईटी खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की डिग्री हासिल की। इसके बाद इलेनॉइस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एमएस की डिग्री हासिल की। अजीत सिंह पहले भारतीय थे, जिन्होंने 1960 के दशक में बिल गेट्स की आईबीएम कंपनी में नौकरी प्राप्त की।
2. राजनीतिक जीवन।: चूंकि अजीत सिंह राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़े थे, लिहाजा पिता चौधरी चरण सिंह के बीमार पड़ने पर, उन्होंने परिवार की राजनीतिक विरासत को सफलतापूर्वक संभाला। 1986 में वे पहली बार राज्य सभा के लिए चुने गए। पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के नेतृत्व में बनी, केंद्र की सरकार में पहली बार केंद्रीय मंत्री बनें। उन्होंने उद्योग मंत्रालय का कार्यभार संभाला। तदुपरांत नरसिम्हा राव सरकार में खाद्य मंत्री; अटल बिहारी बाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री; मनमोहन सिंह सरकार में वे नागरिक उड्डयन मंत्री बने।
3. सात बार लोकसभा के लिए चुने गए। : जनता दल में महासचिव के तौर पर राजनीतिक शुरुआत करने वाले अजीत सिंह ने 1999 मे लोकदल का गठन किया। वे पहली बार 1989 में बागपत से लोक सभा के लिए चुने गए। इसके बाद, जितने भी चुनाव हुए, अजीत सिंह जीतते रहे। पहली बार 1998 में सोमपाल शास्त्री से लगभग 40 हज़ार वोट से हारे, परन्तु एक साल की वाजपेई सरकार गिरने के बाद, दोबारा साल 1999 के आम चुनाव में अजीत सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी को लगभग ढाई लाख वोटों से हराया। जब बात उसकी कौम की आयी; उसने अपना सब कुछ दाँव पे लगा दिया। जिस युवा पीढ़ी के लिए अपना राजनीतिक जीवन दाव पर लगाया, वही युवा पीढ़ी, चुनाव में उनको समझ नहीं पाई? 2014 में, दूसरी बार (मुंबई में पुलिस कमिश्नर और कभी उनके ओएसडी रहे) बागपत के ही भाजपा उम्मीदवार सत्यपाल सिंह से हार गये।
4. राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal) के अध्यक्ष और पश्चिम यूपी के लोकप्रिय नेता।: राष्ट्रीय लोक दल (Rashtriya Lok Dal) के अध्यक्ष अजीत सिंह (Ajit Singh) को "छोटे चौधरी" के नाम से ही ज्यादा जाना जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग, सार्वजनिक रूप से चौधरी साहब ने ही उठाई। आपको विशेषतः किसान एवं आम आदमी का राजनीतिक नेतृत्व करने वाला नेता एवं उत्तर प्रदेश की राजनीति का केंद्र माना जाता है। अच्छा हो, लोकदल की राजनीतिक विरासत को जयंत चौधरी (पुत्र) सम्हालैं और सामाजिक व राजनीतिक स्तर पर अपनी अखण्ड पहचान बनाने मे सक्षम बने!
5. अंतिम शब्द: जयंत चौधरी के लिए संदेश दिया कि वह किसान एवं गाँव की जनता का विशेष ध्यान रखना, क्योंकि वहाँ न दवाई है और न ही कोई उनकी सुनवाई।
6. संवेदना संदेश।: पीएम मोदी द्वारा ट्वीट कर संवेदना प्रकट की गई, 'पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। वे हमेशा किसानों के हित में समर्पित रहे; उन्होंने केंद्र में कई विभागों की जिम्मेदारियों का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं।
7. और अंत मे बस! : आने वाली पीढिया जब पूछे "नेता कैसा होता है" उन्हें बताना, एक पूर्व प्रधानमंत्री का बेटा था, जो अमेरिका मे इंजीनियर होते हुए भी, बागपत वापस आया और अपनी पूरी जिन्दगी किसान कौम के नाम कर जाता है। संसद मे अकेला बैठा होता था, पर सरकारों के लिए किसानों तक पहुँचने का रास्ता भी वही बनाता था। सरल स्वभाव और अथाह किसान प्रेम; जिसका परिणाम 27 जनवरी राकेश टिकैत के साथ हुई दुर्घटना में मिला!
आजादी के पहले से, राजनीति मे सक्रिय परिवार से सम्बंध रखने वाला; जिन्दगी भर नफरत की राजनीति से बहुत दूर रहकर, कई सरकारों मे केंद्रीय मंत्री रहने वाला राजनेता, अपने जीवन के अन्तिम दिनों मे किराये के घर मे रहता था। आज हम कह सकते है कि निधन चौधरी अजीत सिंह का हुआ और निर्धन, लाचार देश के किसान हो गए!
चौधरी अजीत सिँह अमर रहे!
लेखक: डा कृष्ण पाल सिंह तेवतिया प्रवक्ता भौतिकी मथुरा
चौ० चरणसिंह और गायत्री देवी का परिवार
श्रीमती गायत्री देवी ने अपनी कोख से चौ० चरणसिंह के घर पांच पुत्रियों और एक पुत्र को जन्म दिया जो सभी शादीशुदा हैं। चौ० चरणसिंह ने अपने आर्यसमाजी सिद्धान्तों के अनुसार अपनी दो पुत्रियों की अन्तर्जातीय शादी कराकर आर्यसमाजी कट्टरपन का परिचय दिया है। स्वयं को कभी जातिवाद के घेरे में कैद नहीं किया और अपनी ईमानदारी और नेकनीयती के समक्ष जाति या धर्म को आड़े नहीं आने दिया। यद्यपि देश के कुछ कुत्सित मनोवृत्ति के लोग और निकृष्ट प्रकार के राजनीतिज्ञ उनके ऊपर जातिवाद का आरोप थोपने का पूर्णतया निष्फल प्रयास करते रहे हैं। चौधरी साहब जब गाजियाबाद में वकालत कर रहे तो उनके घर का रसोइया एक सामान्य हरिजन था। वे कहा करते थे कि मुझे जाट जाति में जन्म लेने का गौरव है लेकिन यह मेरी इच्छा से नहीं हुआ। बल्कि ईश्वर की कृपा से हुआ है। मेरे लिए भारतवर्ष में निवास करने वाले सभी जातियों के मनुष्य एक समान हैं। चौधरी साहब को जाट परिवारों से कहीं अधिक यादव, राजपूत, लोधे, कुर्मी, गुर्जर, मुसलमान और पिछड़े वर्ग में अधिक सम्मान प्राप्त था। माताजी गायत्री देवी को सन् 1978 में यादव महासभा के अखिल भारतीय सम्मेलन बम्बई में मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। यही नहीं, अनेक ब्राह्मण एवं वैश्य परिवारों में जहां जातीय कट्टरपन नहीं है, चरणसिंह जी की एक आदर्शवादी सिद्धान्तनिष्ठ नेता और विचारशील तथा संघर्षशील, राजनैतिक व्यक्ति के रूप में मानो पूजा होती थी।
चौ० चरणसिंह की सबसे बड़ी पुत्री सत्या का विवाह एक विद्वान् प्रो० गुरुदत्तसिंह सोलंकी के साथ हुआ। वह आगरा के पास कस्बा कागारौल के मूल निवासी थे। वह खेरागढ विधान सभा क्षेत्र (जिला आगरा) से उत्तर प्रदेश विधानसभा के एम० एल० ए० चुने गये और इसी सदस्य के रूप में ही उनका मार्च 1984 ई० में निधन हो गया।
दूसरी पुत्री वेदवती का विवाह, राम मनोहर लोहिया हस्पताल के एक योग्य डाक्टर जे० पी० सिंह के साथ हुआ।
तीसरी पुत्री ज्ञानवती, जो मेडिकल ग्रेजुएट है, सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर जेनोआ में अपने पति के पास चली गई। वह आई० पी० एस० अफसर है।
चौथी पुत्री सरोज का विवाह श्री एस० पी० वर्मा के साथ हुआ है जो कि उत्तरप्रदेश में गन्ना विभाग में अफसर है। इनका यह अन्तर्जातीय विवाह है।
पांचवीं बेटी का विवाह वासुदेव सिंह से हुआ ।
चौ० चरणसिंह का एक ही पुत्र अजीतसिंह है जिसने यन्त्रशास्त्र विश्वविद्यालय की उपाधि धारण की है। वह अमेरिका में नौकरी करते थे। वहां से त्यागपत्र देकर भारत आ गये और लोकदल के प्रमुख मन्त्री (General Secretary) चुने गये। आप लोकसभा के सदस्य भी हैं।
चौ. अजीतसिंह (12.02.1939 - 06.05.2021) का विवाह राधिका सिंह से 15 जून सन 1967 में हुआ जिनसे एक पुत्र जयंत चौधरी (जन्म 27 दिसम्बर 1978) और दो पुत्रियां (निधी, दीप्ति) हुईं। श्रीमती राधिका सिंह (1947-2014) पुत्री कुंवर सुखवीर सिंह विशनोई निवासी फतेहपुर विशनोई (244504) जिला मुरादाबाद उ प्र से थी । जयंत चौधरी की शादी चारु सिंह से 2003 में हुई जिनसे दो पुत्रियां (साहिरा, इलेशा) हुईं।
संदर्भ: जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, pp. 942-943
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जयंत चौधरी और पत्नी चारु चौधरी
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चौ0 अजित सिंह ऊपर जयंत चौधरी व चारु चौधरी नीचे दोनो पौत्री (साहिरा, इलेशा)।
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Chaudhary Charan Singh with father Ch. Meer Singh & mother Smt Netra Kaur, and son Ajit Singh
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चौधरी अजीतसिंह के साथ श्रीमती चन्द्रावती
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Ujjain Jat Sammelan: Dara Singh, Ajit Singh, Kamal Patel
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Akhil Bharatiy Kisan Rana Mela-2004:Vikram Varma, Kamal Patel, Ajit Singh
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Radhika Singh wife of Ajit Singh seen with Charan Singh
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Ajit Singh and his wife Radhika Singh
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Jayant Chaudhary and his wife Smt. Charu Chaudhary
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Chaudhary Man Mohan Singh Adhyaksh JAT Samaj J&K along with Chaudhary Ajit Singh ji
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Chaudhary Man Mohan Singh Adhyaksh JAT Samaj J&K along with Chaudhary Ajit Singh ji
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चौ0 अजित सिंह ऊपर जयंत चौधरी व चारु चौधरी नीचे दोनो पौत्री।
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Ajit Singh with VP Singh and Chandra Shekhar
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Charan Singh Family Tree. Bhaskar.3.5.2024
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See also
Tewatia/Teotia : For the gotra history of Chaudhary Ajit Singh
External links
- Ajit Singh के जाबड़ किस्से,कैसे Mulayam Singh ने उनसे UP CM की कुर्सी छीन ली ।Chaudhary Charan Singh
References
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