Kannur

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(Redirected from Cranganore)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Kannur district map

Kannur (कन्नूर) is a city and a district in North Malabar region of Kerala, India.

Variants

  • Cannanore: formerly known in English as Cannanore. During British rule in India, when Kannur was a part of the Malabar District (Madras Presidency), the city was known as Cannanore. [1]
  • Kannanura (कण्णनूर) (केरल) (AS, p.129)

Location

Kannur is situated 518 km north of the state capital Thiruvananthapuram & 137 km south of the major port city & a commercial hub, Mangalore. Kannur is located towards north of Kozhikode (Calicut), south of Kasargod and Mangalore, west of the Western Ghat regions of Kodagu and Wayanad, and east of the Laccadive Sea.

History

Kannur was an important trading center in the 12th century, with active business connections with Persia and Arabia. It served as the British military headquarters on India's west coast until 1887. The modern town is referred to as Kannur Town. Kannur, as a district and surrounding areas, were mostly ruled by the famous Kolathiri Rajas (Kings). When the state of Kerala was formed the district took the name Kannur since the administrative offices were established here. Before that, Kannur was under the Chirakkal taluk of Madras state under British rule. When the British dominated this part of the world, they preferred Madras and Cochin as their major stations and Kannur started to lose its old glory. The people of Kannur are still waiting for their old glory to get back and they feel they are being sidelined because the state administration is located the exact opposite side of the state. Part of the original city of Kannur was under Kerala's only Muslim Royalty called the Arakkal and this area is still known as city.

St. Angelo Fort was built in 1505 by Dom Francisco de Almeida, the first Portuguese Viceroy of India. The Dutch captured the fort from the Portuguese in 1663. They modernized the fort and built the bastions Hollandia, Zeelandia, and Frieslandia that are the major features of the present structure. The original Portuguese fort was pulled down later. A painting of this fort and the fishing ferry behind it can be seen in the Rijksmuseum Amsterdam. The Dutch sold the fort to king Ali Raja of Arakkal in 1772. During the 17th century, Kannur was the capital city of the only Muslim Sultanate in Kerala, known as Arakkal. Then the British conquered it in 1790 and used it as one of their major military stations on the Malabar Coast. During the British Raj, Kannur was part of the Madras province in the North Malabar District.

The guerrilla war by Pazhassi Raja, the ruler of Kottayam province, against the British had a huge impact on the history of Kannur. Changes in the socio-economic and political sectors in Kerala during the initial decades of the 20th century created conditions congenial for the growth of the Communist Party. Extension of English education initiated by Christian missionaries in 1906 and later carried forward by government, rebellion for wearing a cloth to cover upper parts of body, installing an idol at Aruvippuram in 1888, Malayali Memorial in 1891, establishment of SNDP Yogam in 1903, activities, struggles etc. became factors helpful to accelerate changes in Kerala society during a short time. Movements for liberation from the colonial rule of British imperialism and struggles launched by these movements grew with them.

Very soon, ideas about socialism and Soviet Revolution reached Kerala. Such ideas got propagated in Kerala through the works of Swadeshabhimani Ramakrishna Pillai, Sahodaran Ayyappan, P. Kesavadev and others. By the beginning of the 1930s, some other useful developments were taking place. Important among them was Nivarthana Agitation in Travancore. That was the demand of people suppressed so far as untouchables and weaker sections for participation in government. This brought to the forefront struggles like proportional representation in government and reservation of jobs. This imparted a new enthusiasm among oppressed masses.[3]

कन्नूर परिचय

कन्नूर (Kannur): त्रिवेन्द्रम शहर से 518 किमी की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित केरल राज्य के कन्नूर ज़िले में स्थित एक नगर है। कन्नूर अरब सागर से तटवर्ती है। पर्यटकों को कन्नूर काफी रास आता है। प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण इस नगर के पश्चिमी तट पर फैले रेत को लक्षद्वीप सागर चूमता है और तट के दूसरी तरफ ऊंचे-ऊंचे ताड़ के पेड़ वातावरण को और मनोरम बनाते हैं। सांस्कृतिक विरासत और कला से संपन्न इस नगर से अनेक किस्से जुड़े हुए हैं। माना जाता है कि राजा सोलोमन का जहाज मंदिर बनवाने हेतु लकड़ियां एकत्रित करने यहीं आया था। यहां की थय्यम नृत्य परंपरा विश्व प्रसिद्ध है। अतीत की याद दिलाती यहां की अनेक इमारतें जैसे मस्जिद, मंदिर और चर्च अपनी कहानी स्वयं कहते प्रतीत होते हैं। कन्नूर के पर्यटन महत्व के स्थल निम्नानुसार हैं:

सेंट एंजिलो फोर्ट (St. Angelo Fort) : केरल में कन्नूर किले के रूप में विख्यात इस किले का निर्माण 1505 ई. में प्रथम पुर्तगाली वायसराय डॉन फ्रांसिसको डी अलमीडा (Dom Francisco de Almeida) द्वारा बनवाया गया था। पुर्तगालियों के बाद इस किले पर डचों को नियंत्रण हो गया, उसके बाद अंग्रेजों ने इस पर अधिकार कर लिया। मालाबार में अंग्रेजों का यह प्रमुख सैन्य ठिकाना था। वर्तमान में यह किला भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के अधीन है और यहां से मप्पिला बे फिशिंग हार्बर के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। यह किला कन्नूर से 3 किलोमीटर की दूरी पर है।

मदायी मस्जिद: इस खूबसूरत प्राचीन मस्जिद का निर्माण 1124 ई. में मुस्लिम उपदेशक मलिक इबन दीनार ने करवाया था। माना जाता है कि मस्जिद के सफेद रंग के ब्लॉक को इसके संस्थापक द्वारा मक्का से लाया गया था। मलिक इबन दीनार धार्मिक उपदेश देने के लिए भारत आए थे। मस्जिद के निकट ही मैसूर के शासक टीपू सुल्तान द्वारा बनवाया गया एक किला है। यह किला अब क्षतिग्रस्त हो चला है।

पयमबल्लम बीच (Payyamblam Beach): यह बीच केरल के सबसे खूबसूरत बीचों में एक है। स्वदेशाभिमानी के रामाकृष्ण पिल्ला, ए के जी और चदायन गोविन्दन जैसे राष्ट्रवादी नेताओं ने यहां आराम किया था। यह बीच कन्नूर किले के समीप स्थित है। इस बीच की खूबसूरती देशी पर्यटकों के साथ विदेशी सैलानियों को भी आकर्षित करती है। बीच के साथ ही एक पार्क बना हुआ है जिसमें 18 फीट लंबी और 15 फीट ऊंची मूर्ति बनी हुई है। बच्चों के मनोरंजन के लिए भी यहां एक पार्क बना हुआ है।

मुजुपिलंगड बीच (Muzhappilangad Drive-in Beach): 4.5 किलोमीटर लंबे इस बीच की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां आसानी से ड्राईविंग की जा सकती है। गाड़ियों के पहिए इस बीच के रेत में नहीं फंसते। यह बीच मोइटू ब्रिज तक फैला हुआ है और इसे तैराकी प्रिय लोगों का स्वर्ग कहा जाता है। बीच कन्नूर के दक्षिण दिशा से 15 किलोमीटर की दूरी पर है। जलक्रीडाओं की अनेक गतिविधियों का यहां आनंद लिया जा सकता है।

थलस्सरी किला (Tellicherry Fort in Thalassery ) : इतिहास के अनेक उतार-चढ़ाव का गवाह यह किला पर्यटकों को काफी पसंद आता है। थलस्सरी नगर के थिरूवल्लपद हिल पर यह किला बना हुआ है जो दक्षिणी कन्नूर से 20 किलोमीटर दूर है। इस किले का निर्माण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1708 ई. में करवाया था। लाल ईटों से बना यह किला दो एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। अंग्रेज इस किले का उपयोग टकसाल और कारागार के तौर पर करते थे। हैदर अली की सेना के अनेक नेताओं को यहां कैद किया गया था। किले के निकट ही सेन्ट जॉन चर्च है, जहां एडवर्ड ब्रेन्नन ने आराम किया था।

ईजीमाला (Ezhimala): ईजीमाला पहाड़ियां और बीच कन्नूर की उत्तरी सीमा पर स्थित है। कन्नूर से 50 किलोमीटर दूर इन पहाड़ियों में दुर्लभ जड़ी-बूटियां पाई जाती हैं। यहां माउंट देली लाइटहाउस भी बना हुआ है जिसकी देखभाल नौसेना द्वारा की जाती है। लाइटहाउस प्रतिबंधित क्षेत्र में है और सैलानियों को यहां जाना मना है। यहां के बीच की रेत अन्य बीचों से अलग है, साथ ही यहां का पानी अन्य स्थानों से अधिक नीला है। यहां की एट्टीकुलम खाड़ी में डॉल्फिनों को देखा जा सकता है।

अरालम वन्य जीव अभयारण्य: यह शांत और विशाल अभयारण्य पश्चिमी घाट के ढलान पर स्थित है। उष्णकटिबंधीय पेड़ों से घिर इस अभयारण्य में जीव जंतुओं की अनेक दुर्लभ प्रजातियों को देखा जा सकता है। हिरन, हाथी, बोर और बिसन आदि पशुओं के झुंड यहां सामान्यत: देखे जा सकते हैं। साथ ही तेंदुए, जंगली बिल्ली, गिलहरियों की विविध प्रजातियां और लगभग 160 दुर्लभ पक्षियों की प्रजातियों यहां देखी जा सकती हैं। यह अभयारण्य थलेस्सरी रेलवे स्टेशन से 35 किलोमीटर दूर है।

अरक्कल महल: यह महल कन्नूर नगर से 2 किलोमीटर दूर है। अरक्कल की रानी या बीबी को यह महल समर्पित है। केरल के एकमात्र मुस्लिम शाही परिवार से संबंध रखने वाला यह किला ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इस मुस्लिम परिवार के नियंत्रण में तटीय इलाके और लक्षद्वीप थे।

स्नेक पार्क: यह पार्क केरल में इस तरह का एकमात्र पार्क है। सांपों के लिए यहां तीन गर्त हैं। 15 शीशों का केस सांपों के लिए है और दो विशाल विशाल ग्लास हाउस किंग कोबरा के लिए यहां हैं। हर घंटे यहां सापों की प्रदर्शनी लगती है जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग आते हैं। यह पार्क प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है।

कण्णनूर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ... कण्णनूर (AS, p.129) केरल राज्य में स्थित है। कण्णनूर का उल्लेखनीय स्मारक सेंट एंजिलो का दुर्ग अंग्रेजी राज्य के प्रारंभिक काल का अवशेष है। कण्णनूर में उसी समय की बनी बारक (बैरक) तथा बारूद भरने के कोष्ठ अभी तक विद्यमान हैं।

क्रंगनौर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[5] ने लेख किया है ...क्रंगनौर केरल (AS, p.246) परियार नदी के तट पर बसा हुआ प्राचीन बंदरगाह जिसे रोम के लेखकों ने मुजीरिस कहा है. ई. सन के प्रारंभिक काल में यह समुद्र-पत्तन दक्षिण भारत और और रोम साम्राज्य के बीच होने वाले व्यापार का केंद्र था. इसका एक नाम मरीचीपत्तन या मुरचीपत्तन भी था जिसका अर्थ है 'काली मिर्च का बंदरगाह'. मुजिरिस शब्द इसी का रोमीय रूपांतर जान पड़ता है. मुरचीपत्तन का उल्लेख महाभारत 2,31,68 में है. इस बंदरगाह से काली मिर्च का प्रचुर मात्रा में निर्यात होता था. (देखें तिरुवांचीकुलम्)

External links

References

  1. Chisholm, Hugh, ed. (1911). "Cannanore" . Encyclopædia Britannica (11th ed.). Cambridge University Press.
  2. Chisholm, Hugh, ed. (1911). "Cannanore" . Encyclopædia Britannica (11th ed.). Cambridge University Press.
  3. "Pazhassi Raja Museum and Art Gallery, Kozhikode – Kerala Tourism".
  4. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.129
  5. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.246