Dama Ram Jakhar

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Dama Ram Jakhar

Nayak Dama Ram Jakhar (9.7.1966-5.3.2000) became Martyr of militancy on 5 March 2000 in Gandarbal area of Jammu and Kashmir. He was from Jakharon Ki Dhani, village Chaba village in Shergarh tahsil of Jodhpur district in Rajasthan.

नायक दमा राम जाखड़

नायक दमा राम जाखड़

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09-07-1966 - 05-03-2000

वीरांगना - श्रीमती हपिया देवी

यूनिट - 5 राष्ट्रीय राइफल्स/20 जाट रेजिमेंट

आतंकवाद विरोधी अभियान

नायक दमाराम का जन्म 9 जुलाई 1966 को राजस्थान के जोधपुर जिले की शेरगढ़ तहसील के चाबा गांव क्षेत्र में जाखड़ों की ढाणी में श्री पेमाराम जाखड़ एवं श्रीमती मूली देवी के परिवार में हुआ था। बाल्यकाल से ही वह सैन्य सेवा के अभिलाषी थे। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात वह भारतीय सेना की जाट रेजिमेंट में रंगरूट के रूप में भर्ती हुए थे।

प्रशिक्षण के पश्चात उन्हें 20 जाट बटालियन में सिपाही के पद पर नियुक्त किया गया था। अपनी बटालियन में विभिन्न परिचालन परिस्थितियों और स्थानों पर सेवाएं देते हुए वह नायक के पद पर पदोन्नत हो गए थे।

वर्ष 2000 में वह प्रतिनियुक्ति पर जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियान में 5 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ संलग्न थे।

5 मार्च 2000 की भोर में 5:00 बजे गांदरबल क्षेत्र के पतामबरा बादामपुर स्थित 5 राष्ट्रीय राइफल्स के शिविर पर आतंकवादियों ने आत्मघाती आक्रमण किया। आकस्मिक और अप्रत्याशित आक्रमण होते हुए भी राष्ट्रीय राइफल्स के सैनिकों को आतंकवादियों पर त्वरित पलटवार किया। इस भीषण मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए।

किंतु हवलदार सुभाष चंद्र, हवलदार जय कुमार सिंह, नायक दमा राम, सिपाही सहदेव सिंह, सिपाही आलोक कुमार पांडे और सिग्नलमैन मंगल साना भी इस आक्रमण में वीरगति को प्राप्त हो गए।

Source - Ramesh Sharma

जीवन परिचय

नायक दमाराम जाखड़ शेरगढ़ तहसील जिला जोधपुर में चाबा गाँव के निवासी थे। इनका जन्म 9.7.1966 को जाखड़ों की ढाणी में हुआ। इनके पिता का नाम पेमाराम, माता का नाम मूलीदेवी तथा पत्नी का नाम हपिया देवी है।

आतंकवादियों का हमला

दमा राम की बचपन से ही फौज में जाने की तमन्ना थी। 20 जाट रेजीमेंट के नायक दमाराम जाखड़ श्रीनगर के पतामबरा गाँव बादामपुर तहसील गंदरबल में 5 मार्च 2000 को सवेरे सवा 5 बजे अचानक सैन्य शिविर पर आतंकवादियों का हमला हुआ जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए। अत्यधिक रक्त बहने से वे वीरगति को प्राप्त हुये। इस संघर्ष में तीन आतंकवादियों को भी मौत के घाट उतार दिया। इस कार्यवाही में 15 जाट के हवलदार क्लार्क सुभास चंद्र, 15 मैकेनाइज्ड इन्फैन्ट्री के सिपाही सैजल सिंह तथा सिपाही ए. के. पांडे, 19 जे. अँड के. राइफल्स के हवलदार जयकुमार तथा सिग्नलमेन मंगल सिंह भी शहीद हुये।


शहीद का पार्थिव शरीर 11 मार्च को गाँव लाया गया तथा सैन्य सम्मान के साथ शहीद को अंतिम बिदाई दी गई।


"अमर शहीद चिता पर तेरी, लगता रहेगा मेला, तूने अपने खून से लिखा इतिहास अलबैला" शत् शत् नमन्

गैलरी

संदर्भ


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