Dodital
Dodital (डोडी ताल) is One of the popular fresh water lake in Uttarkashi district of Uttarakhand, India. A 21 km trek to Dodi Tal starts from Sangamchatti.
Variants of name
- Dhundital (ढूंडीताल)
- Dhundisar (ढूंडीसर)
- Dundisar (डूंडीसर)
- Dudisar (डूडीसर)
- Dodisar (डोडीसर)
- Dodi Tal/Dodi tal(डोडी ताल)
Location
Dodital is located at a distance of 23 kms from Uttarkashi. Dodital is situated at a height of 3,024 metres.
Dodital Lake
Dodital is a freshwater lake in uttarkashi district. Asi Ganga rises from Dodital and joins Bhagirathi. The confluence is at Gangori. To reach Dodital, From Uttarkashi, a short jeep ride of 19 kilometers will take you to Sangamchatti from where the 24 km trek to Dodital begins. This is a mostly gentle trek, with overnight halt options at the village of Agora or Bebra. At Agora, which is 6 km from Sangamchatti, one can stay at one of the private lodges or alternatively, camp at Bebra which is 8 km from Sangamchatti. From there one can start the second leg of the trek the next day which will take you to Dodital via the small summer settlement of Manjhi.[1]
Jat clan
History
Birth place of Ganesha: Dodital is believed to be the birth place of Ganesha. According to one of the popular legends Lord Ganesha chose this place as his abode. The legend of Birth of Ganesha is mentioned Kedarkhand of Skanda Purana.
There is a temple devoted to Lord Ganesha here. Another name for this lake is Dhundital meaning Ganesh ka tal or lake of Ganesha. Dhundi or Dundi is one of names of Ganesha. Ganesha is known as Dhundi Raja/Dundi Raja.
According to local tradition the lake was earlier known as Dhundisar, which changed to Dundisar to Dudisar to Dodisar and Dodi Tal.
A scientist in 1961 tried to measure the depth of the lake but could not.
Where to stay
There are a couple of forest rest houses at Dodital where one can book a stay by taking a permit at the forest office in Uttarkashi. Alternatively, one can camp by carrying tents. There's a basic canteen where one can get food and tea.
डोड़ीताल झील
आसानी से पहुँची जा सकने वाली डोड़ीताल झील उत्तरकाशी नगर के निकट ही स्थित है। इसे डोड़ीताल अथवा ड्योड़ीताल कहते हैं। सहस्त्र तालों का क्षेत्र प्रायः हिमाच्छादित रहता है, जबकि ड्योड़ीताल सघन वनों से घिरा एक मनमोहक रमणीक स्थल है। उत्तरकाशी से गंगोत्री मोटर मार्ग पर 3 किमी. दूर गंगोड़ी नामक स्थान है, जहाँ से 11 कि.मी. आगे पैदल मार्ग पर कल्डियाणी नामक स्थान है। यहाँ पर टिहरी नरेश द्वारा 1910 में स्थापित एक मत्स्य पालन केन्द्र है, यहाँ से 7 किमी. दूर अगौड़ा गाँव है, जहाँ पर वन विभाग का विश्राम गृह है। गाँव से प्रकृति को सुन्दर झरने, इठलाती बलखाती असीगंगा, घने वनों, सूर्यास्त की लालिमा आदि अनेक सुन्दर रूपों में देखा जा सकता है। यहाँ से 23 किमी. आगे चलने पर लगभग 10 हजार फीट की ऊँचाई पर ड्योड़ीताल दिखाई देता है। अगौड़ा से डोड़ीताल का मार्ग पर्यटक के लिए सम्मोहक सा कार्य करता है। भाँति-भाँति के पशु पक्षी दूर घाटी में बहती असीगंगा, घने वन बुराँस के लाल सफेद फूल कहीं-कहीं बर्फ की छोटी-छोटी चट्टानें आदि इस मार्ग की अपनी विशेषताएँ हैं।
ड्योड़ीताल में वन विभाग का एक विश्रामगृह एक लौग-कैबिन, दो टैंट व टैंट लगाने की काफी जगह उपलब्ध है। ड्योड़ीताल झील पर पहुँचकर पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाता है। मार्ग की सारी थकान जैसे एक पल में दूर हो जाती है। झील लगभग डेढ़-दो किमी. दायरे में फैली हुई है। काफी गहरी होने से झील का पानी नीला सा दिखाई देता है। झील के निचले किनारे से असीगंगा नामक नदी निकलती है। स्थाीनय लोगों में झील का काफी धार्मिक महत्व है। वे लोग झील के जल को बहुत पवित्र मानते हैं तथा झील की मछलियों का शिकार भी नहीं करते। झील की कुछ अन्य विशेषता यहाँ पाई जाने वाली एक विशेष मछली ट्राउट (गेमफिश) है, यह मछली झील में बहुत अधिक मात्रा में पायी जाती है और इसका शिकार विदेशी पर्यटकों को ड्योड़ीताल की तरफ खींच लाता है। शिकार के लिए कार्यालय वन प्रभाग उत्तरकाशी, कोटबंगला से अनुमति व लाइसेंस लेना पड़ता है। ड्योड़ीताल से पैदल मार्ग द्वारा यमुनोत्री भी जाया जा सकता है। सर्दियों में यह क्षेत्र हिमाच्छादित हो जाता है। सानिवि अब यहाँ तक पहुँचने के लिए मोटर मार्ग का निर्माण कर रहा है, जिससे आशा है कि यह क्षेत्र प्रसिद्ध व आकर्षक पर्यटक स्थल का रूप ले सकेगा।
Notable persons
References
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