Ghalyan

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Ghalyan

(Gahlan, Galiyan, Goliyan, Golyan, Ghalan, Gahlyan, Gallan, Galan, Gala)

Location  : Haryana

Country  : India

Languages : Haryanvi

Religion  : Hinduism

Ghalyan (घाल्याण) Gahlan (गहलान), Galiyan (गलियान), Ghalan (घालान)[1] , Golyan (Goliyan) (गोलियान)[2] [3] Ghalan (घालाण) [4] Gahlyan Gallan (गाल्लान)[5] Galan (गाल्लान)[6] [7]Gallan (ग़ल्लान)[8] Gala (गाला) is gotra of Jats found in Distt Panipat in Haryana and Distt Muzaffarnagar and Bijnor of Uttar Pradesh

Origin

History

According to Bhim Singh Dahiya, They are mentioned in the Markandeya Purana as Galava (गालव). The original name is Gall and the suffix ‘an’ or ‘va’ is added to it. The Gauls of Europe are their brothers. [9]

The Gauls, the old name of the French is the same as the Gallan of India, the suffix 'an', added to clan name under Panini's rule.[10]

गाहल्याण गोत्र का इतिहास

भलेराम बेनीवाल[11] के अनुसार यह अति प्राचीन गोत्र है. इस गोत्र का भाई चारा खटकड़, सूरासिन्धू लोगों से रहा होगा. इस गोत्र का प्रमाण रामायण और महाभारत में मिलता है. इस समय इस गोत्र के जाटों को युद्ध में गालया गया था. लेखक भगवती चरण नें फ़ारस घाटी की लड़ाई में इसका वर्णन किया है. कसं कर गालणों के कारण इस गोत्र की उत्पती हुई. ई.पू.जाटों के जो ६ गोत्र हरिवर्ष (यूरोप) गये थे उनमें यह गालण गोत्र के जाट भी थे. जब हरिवर्ष में जाकर सभी गोत्र फ़ैल गये तो गालण लोगों ने अपना मुंह फ़्रांस की तरफ़ किया. वहां पर इन्होने सत्ता स्थापित की और शक्तिशाली प्रशासन दिया. गालण के नाम पर ही वहां का नाम गाल देश पड़ा. समयानुसार ये लोग पुनः आर्यावृत को लोटे. सिन्ध तथा राजस्थान को पार कर ये हरयाणा में पानीपत तथा उत्तर प्रदेश के मुज्जफरनगर और बिजनौर में कुछ गांवों में आबाद हुये.

Distribution in Haryana

Villages in Panipat district

Atta, Chhajju Garhi, Dahar Panipat, Dikadla, Jurasi Khalsa, Jurasi Saraf Khas, Kewal Garhi, Pawati,

Villages in Karnal district

Sheikhpura Khalsa

Distribution in Uttar Pradesh

Villages in Muzaffarnagar district

Behda assa (बेहडा आस्सा), Mandaur (मंदौड), Dhansani (धनसाणी)

Villages in Bijnor district

Palda,

Notable persons

  • Professor Ranbir Singh - Vice-Chancellor of the National Law University, Delhi.
  • Jasbir Singh Numberdar - District President Haryana Numberdar Association.
  • Acharya Devvrat (Subash Ghalyan) - Arya Samajist and Governor.
  • Advocate Kanwar Pal Galiyan - Practising at Muzaffarnagar district court belongs to Mandor
  • Chaudhary Babloo Galiyan - Ex-Navy person presently working at State bank of India, Muzaffarnagar belongs to Behra Assa.
  • लेखक चौधरी कृष्ण सिंह गाहल्याण - लेखक चौधरी कृष्ण सिंह गाहल्याण 🙏 कि कलम से जाट वीरो व जाट विरांगनाओ बागपत अर्थात व्यागप्रस्त तोमर जाट वीरों के देश मे तोमर जाट वीरों के प्रसिद्ध गांव 1 बडौत नगर पालिका तोमर जाट वीरों के देश कि राजधानी 2 बावली एशिया का जाट वीरों का सबसे बड़ा गांव 3 बिजरौल 1857 के महान क्रांतिकारी जाट राजा बाबा शाहमल तोमर जाट वीर का गांव 4 किसनपुर बराल तोमर जाट वीरों का प्राचीन गांव 5 मलकपुर पहलवानो का गांव 6 जोहड़ी निशाने बाज जाट वीरों का गांव 7 बामनोली प्राचीन नाग मंदिर 8 सिरसली 1857 ई0 की क्रांति का तोमर जाट वीरों का गांव 9 शिकोहपुर कवि जाट वीरों का गांव 10 सूप लठैत जाट वीरों का गांव 1 श्रीपत सिही अर्थात इन्द्रप्रस्थ आज का दिल्ली कहीं कहीं श्रीपत और कहीं कहीं इन्द्रप्रस्थ का उल्लेख मिलता है मौजूदा समय में दक्षिण दिल्ली के इस इलाके का वर्णन महाभारत नामक ग्रंथ में इन्द्रप्रस्थ के रूप में है पांडवों और कौरवों के बीच जब संबंध खराब हुए तो धृतराष्ट्र ने यमुना के किनारे खांडव प्रस्थ क्षेत्र को पांडवों को देकर अलग कर दिया था यह क्षेत्र उजाड़ और दुर्गम रहा था परन्तु पांडवों ने मयासुर और कडी मेहनत से इसे आबाद कर दिया इसी खांडव क्षेत्र को आबाद कर पांडवों ने मयासुर से यहां एक किला और उसमें महल बनवाया इस क्षेत्र का नाम इन्होंने इन्द्रप्रस्थ रखा 2 व्याघ्रप्रस्थ आज का बागपत इसे महाभारत काल में व्याघ्रप्रस्थ कहा जाता व्याघ्रप्रस्थ यानी बाघों के रहने की जगह यहां सैकड़ों वर्ष पहले से बाघ पाए जाते रहे हैं मुगल काल से इसको बागपत के नाम से जाना जाने लगा यह उत्तर प्रदेश का एक जिला है बागपत ही वह जगह है वारनाव्रत आज का बरनावा जहा कौरवों ने लाक्षागृह बनवा कर उसमें पांडवों को जलाने की कोशिश कि है 3 स्वर्णप्रस्थ आज का सोनीपत को पहले स्वर्णप्रस्थ कहा जाता बाद में यह सोनप्रस्थ होकर सोनीपत हो गया स्वर्णप्रस्थ अर्थात सोने का शहर यहा पर सोने का काम हुआ करता था 4 पांडुप्रस्थ आज का पानीपत को पांडुप्रस्थ कहा जाता था क्योंकि पांडु सबसे ज्यादा यही पर आते रहते थे जाट इतिहास में यह जगह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां पर 3 बड़ी लड़ाइयां भी लड़ी गईं हैं इसी पानीपत के पास थानेसर आज का कुरुक्षेत्र है जहां कौरव पांडवों के बीच लड़ाई हुई है पानीपत राजधानी नई दिल्ली से 90 किमी उत्तर में है इसे सिटी ऑफ वीबर अर्थात बुनकरों का शहर भी कहा जाता है यही पानीपत के गांवों में पांडव वंशी गाहल्याण जाट वीरों के सात गांव है जिनमें एक गांव पावटी है इस पावटी कि पावन धरा पर गवर्नर अर्थात राज्यपाल आचार्य देवव्रत गाहल्याण 🙏 उर्फ सुभाष गाहल्याण 🙏 व लेखक चौधरी कृष्ण सिंह गाहल्याण 🙏 अध्यक्ष जाट संगठन चंद्रवंश कि एक शाखा पांडवश में 67वी पीढ़ी में कुन्ती पुत्र धनुर्धारी अर्जुन का जन्म हस्तिनापुर में हुआ है इसी पांडव वंश में चंद्रवंश कि 308वी पीढ़ी में और कुन्ती पुत्र अर्जुन से आगे चलकर 241वी पीढ़ी में पावटी गांव कि स्थापना से 18वी पीढी में लेखक चौधरी कृष्ण सिंह गाहल्याण 🙏 का जन्म पांडुप्रस्थ आज का पानीपत के एक गांव पावटी कि पावन धरा पर हुआ है 5 तिलप्रस्थ अर्थात तिलपत को पहले तिलप्रस्थ कहा जाता यह हरयाणा के फरीदाबाद जिले का एक कस्बा है जय जाट विजय जाट लेखक चौधरी कृष्ण सिंह गाहल्याण 🙏 अध्यक्ष जाट संगठन. ऐसे और पोस्ट देखने के लिए और JAT Sangathan से जुड़ने के लिए क्लिक करें - https://kutumbapp.page.link/8oNdxebk4at175Nz8?ref=OG0UM

References


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