Herokia
Herokia (हेरोकिया) Hirokia (हिरोकिया तँवर )[1] Hirokiya (हिरोकिया तोमर) Herokia (हेरोकिया तोमर) Herokiya (हेरोकिया तँवर) Herukia/Herukiya (हेरुकिया) is title of Tanwar Jats found in Madhya Pradesh.
Origin
Herokia Gotra gets name from village Heruk which later was called Helak situated in Kumher tahsil of Bharatpur district in Rajasthan.
Jat Gotras Namesake
- Heroopolis was an ancient city of Egypt. Pliny has mentioned it as Heroön. [2]
- Heraclea, known in Byzantine and later times as Pontoheraclea, was an ancient city on the coast of Bithynia in Asia Minor, at the mouth of the river Lycus.[3]
History
हेरुकिया गोत्र का इतिहास
लेखक:मानवेन्द्र सिंह तोमर
हेरुकिया गोत नहीं है यह निकास ग्राम का सम्बोधन है इनका गोत्र तँवर है जिनको कुंतल और तोमर भी बोला जाता है । हेरुक ग्राम जिसको राजस्व रिकॉर्ड में हेलक भी बोला जाता है, वर्तमान में जिला भरतपुर में तंवर जाटों का उजड़ा हुआ ग्राम है । यहां से ही तंवर /तोमर/कुंतल जाट कुछ ग्रामो में बसे इनको हेरुकिया भी बोल देते है, पर यह गोत नहीं है कुछ समाजकंटक लोग जिनका विवाह नहीं होता है वो अपना गोत हेरुकिया बोल देते है ताकि शादी हो जाए ऐसे समाजकंटक लोगो का बहिष्कार पंचायत द्वारा किया जा चुका है ।
हेरुक (वर्तमान नाम हेलक) की जड़े तोमर (कुन्तल) जाटों से जुड़ी हुई है । महाराजा अनंगपाल द्वितीय (खुटेलपट्टी के आदिपुरुष) के पौत्र अजयपाल देव के वंश में सल्तनत काल मे हरपाल देव हुए यह हरपाल देव ही हेरुक देव नाम से प्रसिद्ध थे । पुश्तेनी वंशावली इतिहास रखने वाले जगाओं के अनुसार हरपालदेव के नाम से यह स्थान हेरुक कहलाता था । यह हेरुक उस समय अजयगढ़ (वर्तमान अजान) के अधीन एक जगीदारी थी । आज भी वृद्ध ग्रामीण हेलक को हेरुक ही बोलते हैं ।
तुगलक वंश के सुल्तान मोहम्मद बिन तुगलक के समय इस ग्राम की एक लड़की की सुसराल पहलवार गोत्र के जाटों में रूपबास क्षेत्र थी । एक बार हेलक से कुछ नवयुवक अपनी बुआ से मिलने जब इस क्षेत्र में आए तो उनको डाकुओं के आतंक की बात पता चली । यह नाव युवक अपने गाँव हेरुक लोट आये तब उन्होंने पूरा हाल बुजुर्गों को बताया । अंत मे यह निर्णय हुआ कि एक दल डाकुओं के उन्मूलन के लिए रूपबास क्षेत्र में जायेगा । रूपबास के निकट पहुँचकर पहलवार गोत्र के साथ मिलकर डाकुओं का समूल नाश कर दिया था ।
हेरुक से गए कुछ लोगों ने उसी जगह जटमासी नामक नया गांव बसा कर स्थाईरूप से निवास करने लगे । तोमर(तँवर) जाटों को हेरुक से आकर बसने के कारण हेरुकिया भी बोल दिया जाता है । आगे चलकर जटमासी से बहुत से ग्रामों का निकास हुआ था । स्थानीय लोगो के अनुसार खानवा के युद्ध मे जटमासी के सैकड़ो योद्धाओं ने खानवा के युद्ध मे राणा सांगा की तरफ़ से भाग लिया था । यहां से एक जाटों का दल धौलपुर होता हुआ जाट रियासत गोहद के नीरपुरा गढ़ी में आबाद हुआ ।
हेरुक में शेष रहे तोमर (तंवर) जाटों पर मुगल काल मे एक विपदा नाग के रूप में आ गई थी । उस समय हेरुक मे एक नागराज का आतंक चरम सीमा पार कर चुका था । सैकड़ो तंवर जाट नाग द्वारा काटे जाने से असमय काल के ग्रास बन चुके थे । एक सिद्ध महात्मा ने तंत्र विद्या से एक लड्डू के प्रहार नाग राज पर किया और सिद्ध महात्मा ने नाग को पत्थर का बना दिया वर्तमान में भी यह पत्थर का नाग इस गांव में मौजूद हैं । जिसकी पूजा भी की जाती है । सिद्ध महात्मा ने तोमर (तंवर) जाटों को आदेश दिया यदि अपने वंश की वृद्धि चाहते हो तो इस गाँव को छोड़कर अन्यत्र बस जाए । महात्मा के आदेश अनुसार तोमर जाट हेरुक (हेलक), चिमनी, नगला खुटेला को वीरान छोड़कर कुछ अपनी रिश्तेदारों के गांव में तो कुछ न नया गांव बसा लिया था ।
18 वी सदी में वीरान पड़े हेरुक गांव में भरतपुर रियासत ने कुछ गुर्जर जाति के परिवार को बसाया था । देश की आज़ादी के बाद कुछ शरणार्थियों को भी इस गाँव मे बसाया गया है ।
संदर्भ: पाण्डव गाथा, पृ. 126-127
Distribution in Madhya Pradesh
Villages in Rajgarh district
Villages in Ratlam district
Villages in Ratlam district with population of this gotra are:
Villages in Rajgarh district
Villages in Ratlam district
Notable persons
External links
References
- ↑ O.S.Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.64, s.n. 2586
- ↑ Natural History by Pliny Book VI/Chapter 33
- ↑ Natural History by Pliny Book VI/Chapter 1
- ↑ User:Sk56
- ↑ Jat Vaibhav Smarika Khategaon, 2010, p. 56
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