Jaglan

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Jaglan (जगलान)/Jaglan (जागलान)/(जागलाण)[1] [2] [3]Jaglana (जगलाना)[4] Jagla (जगला) Jangal (जांगल) Jaglen (जगलेन) Jaglain (जगलैन) Jaglaranya (जगलारण्य) [5] Juglan (जुगलान) Juglaan (जुगलान) Jaglen (जागलेन)[6] [7]Jaglain (जागलैन)[8] is gotra of Jats. They are found in Rajasthan, Haryana, Uttar Pradesh and Punjab. Jangal (जंगल) is also a Gujar clan found in Amritsar.[9]. Jaglan in Afghanistan are known as warrior Hazara Jat.[10]. They are known for their patriotism, fighting strategies against USSR in 1990.[11] They were supporters of Chauhan Confederacy.

Origin

  • They are said to have originated from Jangala (जाङ्गल) people of the Mahabharata period. Other sources tell that Jaglan gotra started after place called Jagayadra (जगयाद्र). Their ancestor was named Jagga which gave the name to this gotra. [12]
  • Jaglan Gotra is said to have gained fame after King named Jagal (1435 AD). [13]

Jat Gotras Namesake

History

Bhim Singh Dahiya writes that this clan is named as Jāngala in the Vayu Purana, alongwith Bodhas and Bhadhrakars. [14] Matsya Purana says that the river Indus flowed through the country of Jāngalas. Mahabharata also mentions them. [15]

Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 10 Describes geography and provinces of Bharatavarsha. It mentions Jangalas in shloka 37 along with Madras, Shalvas etc. [16]


Kalika Ranjan Qanungo [17] mentions about the village Naultha and the Jaglan clan:

"A similar phenomenon of a tribal feud in which even aliens range themselves under one faction or another has not altogether disappeared in the Rohtak and Delhi [P.12] districts, where the country-side is divided into two factions - Dahiya and Ahulanas: "the Gujars and Tagas of the tract, the Jaglan Jats of thapa Naultha, and the Latmar Jats of Rohtak joining the Dahiyas, and the Huda Jats of Rohtak . . . joining the Ahulanas." [P.13]

H.A. Rose[18] writes that Jaglan (जगलान), a tribe of Jats, found in Karnal. They are descended from Jagla, a Jat of Jaipur, whose shrine at Israna is worshipped by the whole thapa or group of 12 Jaglan villages which forms the barah of Naultha. Their ancestor is also worshipped at the village shrine called deh, which is always surrounded by kaim trees, and if a woman who has married into a Jaglan family, passes a kaimn tree (Stephegyne parvifolia), she always veils her face as if it were her older relative of her husband. In Jind the Jaglan are described as descendants of Jaga, founder of Jaglan in Hissar.


Ram Sarup Joon[19] writes that...about 70 Jat Gotras joined the Gujar force and started calling themselves Gujars. Jaglain is one of them.


Local tradition says that there was a Rajasthani Jat with 'Chauhan' surname. He migrated to southern Haryana region few hundred years ago. He had two sons - Bhaina and Jugaa. Off springs of Bhaina came to be known as 'Bhayan' and Off springs of Jugga came to be known as 'Jaglan'. Given their same roots, Hindu Jats of Jaglan, Bhayan do not intermarry.

जागलाण गोत्र का इतिहास

जागलान गोत्र के संबंध में निम्न जानकारी प्रमोद जागलान (मो:9650753684) द्वारा उपलब्ध कराई गई है: जागलान जाट पहले अफगानिस्तान के हजारा जाट के आसपास रहते थे. यह प्रमाणित नहीं है कि वह भारत से गए अथवा अफगानिस्तान से यहां आए परंतु हजाराजाट के पास अभी भी कुछ जागलान हैं. इनका एक समय बठिंडा के पास निवास रहा है. बठिंडा के पास मनासा जिले में इनके 8 से 10 गांव हैं. एक गांव का नाम जुगलान है. बठिंडा के कुछ जागलान जाटों ने हिसार में आकर 1232 ई. के आसपास जुगलान नामक गांव बसाया और वहीं से समय-समय पर हरियाणा में और उत्तर प्रदेश के शामली में फैल गए. जागलान गोत्र का चौहान जाट से भाईचारा है. चौहान जाट भी हैं चौहान जाट ही कुछ राजपूत संघ में शामिल हो कर जाट से राजपूत हुए. मगर कुछ चौहान जाट जाटसंघ में ही रहे जो आज भी जम्मू, हरियाणा तथा पंजाब और उत्तर प्रदेश में बसते हैं जुगलान नाम के दो ही गांव हैं और दोनों ही जगह ये जाटों के गाँव हैं:- एक हिसार में और एक पंजाब के मानसा जिले में है.


पंडित अमीचन्द्र शर्मा[20]ने जागलाण गोत्र का इतिहास और वंशावली निम्नानुसार दी है: जागलाण गोत्र: जींद रियासत में जींद नगर से 2 कोस दूरी पर जलालपुरा जिसका दूसरा नाम बड़ी छान है, जागलाण गोत्र के जाटों का एक ग्राम है जिसमें चौधरी इंद्राज नामके वृद्ध जाट रहते हैं उनको अपनी सारी वंशावली स्मरण है। जागलाण गोत्र के जाटों के ओर भी गाँव हैं। जिला करनाल (वर्तमान पानीपत) में नौलथा नाम का गाँव भी जागलाण जाटों का है। बड़ी छान के जाटों का गोत्र जागलाण है। इनका बड़ा प्रख्यात जागल नामी हुआ है। उसके नाम पर उसकी संतान जागलाण कहलाई। चौधरी इंदराज जागल से 19 पीढ़ी पीछे हैं। चौधरी इंद्राज की वंशावली निम्नानुसार है:

1. चाह, 2. चंद, 3. विजयराव, 4. थावर, 5. भीम, 6. जागल, 7. सहजू, 8. बैरछी, 9. रोम्मा, 10. कौरा, 11. दुनिअर, 12. खोखरा, 13. दफ़र, 14. रनमल, 15. वीरखान, 16. देसू, 17. गोकुल, 18. दिलावर, 19. नैन, 20. श्रीचंद, 21. मलूक, 22. सौंदा, 23. मसानिया, 24. इंद्राज

नोट - एक पीढ़ी का काल 25 वर्ष मानते हुये जागल का काल 1910 ई. - (19x25=475) = 1435 ई. बनता है।


एक अन्य सूत्र के अनुसार भयाण एवं जागलान जाट चौहान जाटों के वंशज हैं। वत्स गोत्र के जाट वीरों का राज्य महाभारत काल में था और महाभारत युद्ध के बाद इनका राज्य भटिण्डा (पंजाब) क्षेत्र पर रहा, जिनका राजा उदयन था। इसी वत्स जाट गोत्र की शाखा चौहान जाट हैं। सातवीं शताब्दी में राजपूत संघ स्थापित होने पर जो चौहान जाट उसमें मिल गये वे चौहान राजपूत कहलाने लगे और जो उस संघ में न मिले वे चौहान जाट ही कहलाते रहे जो आज भी कई प्रांतों में विद्यमान हैं। इसी चौहान जाट गोत्र के दो प्रसिद्ध वीर भैया व जग्गा नामक हुए। उनकी प्रसिद्धि के कारण चौहान जाटों का एक संघ, भैया से भयाण तथा दूसरा संघ जग्गा से जागलान शाखा गोत्र प्रचलित हुए।

Thakur Deshraj writes

इन दोनों भयाण एवं जागलान जाट गोत्रों के विषय में इनके भाट की पोथी में इनको चौहान राजपूतों का वंशज लिखा है जो कि असत्य, प्रमाणशून्य तथा बेबुनियाद बात है। ये गोत्र वत्स जाट गोत्र की शाखा चौहान जाटों के वंशज हैं। वत्स गोत्र के जाट वीरों का राज्य महाभारत काल में था और महाभारत युद्ध के बाद इनका राज्य भटिण्डा (पंजाब) क्षेत्र पर रहा, जिनका राजा उदयन था। इसी वत्स जाट गोत्र की शाखा चौहान जाट हैं। सातवीं शताब्दी में राजपूत संघ स्थापित होने पर जो चौहान जाट उसमें मिल गये वे चौहान राजपूत कहलाने लगे और जो उस संघ में न मिले वे चौहान जाट ही कहलाते रहे जो आज भी कई प्रांतों में विद्यमान हैं।

इसी चौहान जाट गोत्र के दो प्रसिद्ध वीर भैयाजग्गा नामक हुए। उनकी प्रसिद्धि के कारण चौहान जाटों का एक संघ, भैया से भयाण तथा दूसरा संघ जग्गा से जागलान शाखा गोत्र प्रचलित हुए। ये भयाण एवं जागलान जाट गोत्र राजपूत संघ बनने से बहुत पहले प्रचलित हो गये थे। इन जाट गोत्रों के लोग पंजाब-राजस्थान क्षेत्र से आकर हरयाणा प्रांत में आबाद हो गए, जिनके गांव निम्नलिखित हैं।

भयाण जाट गोत्र के गांव - जिला हिसार में जेवरा, बछपड़ी, सरसौद, बाड़ा आदि गांव हैं।

जागलान जाट गोत्र के गांव जिला हिसार में डाटा, कुम्भाखेड़ा, जाण्डली कलां, जुगलान आदि गांव हैं।

जिला जींद में इंटलछात गांव हैं। जिला भिवानी, जिला कुरुक्षेत्र और जिला करनाल में भी कई गांव जागलान जाटों के हैं।

भयाण और जागलान जाट गोत्रों के आपस में रिश्ते-नाते नहीं होते हैं क्योंकि ये दोनों रक्त-भाई हैं।[21]

Sub divisions of Chauhan

Bhim Singh Dahiya[22] provides us list of Jat clans who were supporters of the Chauhan when they gained political ascendancy. The Jaglan clan supported the ascendant clan Chauhan and become part of a political confederacy.[23]

Distribution in Rajasthan

Villages in Jaipur district

Jangal (जांगल) Jats live in villages: Chakwada Chauru (1),

Villages in Hanumangarh district

Juglaan (जुगलान) Jats live in villages: Hanumangarh,

Villages in Churu district

Seuwa,

Distribution in Haryana

They are found in Distt Bhiwani, Panipat, Jind ,Kaithal and Hisar districts in Haryana.

Villages in Bhiwani district

Bhiwani,

Villages in Panipat district

Naultha, Jondhan Kalan, Karad, Israna, Brahman Majra (also known as Baman Majra), Kurana, Pardhana

Villages in Kaithal district

Rehra/Rohera, Ballu, Patti Afgan, Raheriawala

Villages in Jind district

Intal Kalan (इंतल कलां), Jalalpur Kalan, Ponkar Kheri, Rajana Khurd,

Villages in Hisar district

Data, Jmilakpur-1, Juglan, Kharkari,

Villages in Karnal district

Karnal,

Villages in Fatehabad district

Jandli Kalan,

Distribution in Uttar Pradesh

Villages in Muzaffarnagar District

Banti Khera (near Shamli),

Villages in Meerut District

Kina Nagar (near Meerut),

Villages in Ghaziabad District

Patala Ghaziabad,

Distribution in Punjab

Villages in Hoshiarpur district

In Hoshiarpur district the Jangal population is 2,175. [24]

Villages in Mansa district

Juglan Mansa, Budhlada, Mansa

Books on History of Jaglan Gotra

For further details Please contact :

Hon Mahendra Singh Jaglan , Jind, Haryana (9255443803) Saurabh Jaglan , Delhi (9971569769)

Notable persons

  • Jagal (1435 AD) - Jaglan Gotra is said to have originated from a King named Jagal (1435 AD) in Jaglan History.[25]
  • Prof. Vimlesh Choudhary Juglaan - Professor Higher Education, Date of Birth : 11-June-1959, Home District : Hanumangarh, Permanent Address : 12/32, Chopasni Housing Board, Jodhpur, Present Address : C-22, Vrindawan Marg, Shyam Nagar, Jaipur, TEL.NO.-0141- 5142051, Phone: 0141-2296836, Mob: +91- 9414035599
  • Parul Jaglan - Social & Security Compliance Auditor , New Delhi. Basically from Naultha, Panipat.
  • Saurabh Jaglan - Assistant Manager - Projects Planning , Delhi Integrated Multimodal transit systems Limited. Previously :IT Operations,Presales,Business Analysis ; Education Sector :- Member of International Advisory comittee -GB Gvt University ,Social Sector : RTI Activist, Social worker,Member of Different NGO's and Societies ,Managing Jaglan Contacts World wide. Basically from : Naultha, Panipat,Haryana. Permanent Address:B-40,Nanda Road,Sarai Ext,Adarsh nagar,Delhi-33 Gmail : jaglan.saurabh ymail: jaglan , Skype: jaglan.saurabh ,Phone: +91-9971569769
  • Sh Rajkumar Jaglan -Retd SDO ,Ex Vice-president Diploma Engineers association, Haryana. Basically from Naultha, Panipat. Phone: +91-9896054513
  • Sh Ram Sarup Jaglan [1915 - 2014 ]-Retd Army Personaal & Freedom fighter ,He is entitled as title of "Eyes of Second world war". Fought-II world war,1948 Indo Pak-Kashmir war. Address: VPO - Naultha, Panipat.
  • Sh Balbeer Singh Jaglan - S/o Sh Ram Sarup Jaglan, Retd AGM, Indian Posts, Indraprastha Head Office, Delhi. Also Advisor,JVP- Delhi. Basically from VPO - Naultha, Panipat. Address : B-40, Nanda Road, Sarai ext, Adarsh Nagar, Delhi-33 Mob : +91 9971569769
  • Prof Ram Singh Jaglan - Professor Delhi University and Economist cum Advisor - indian Economy Board. Basically from Brahman Majra, VPO - Naultha, Panipat. Address : Economics Deptt, Delhi University.
  • Dr Anirudh Jaglan - MD Physician ,LSMU, Ukraine. Ex-Resident doctor Dr. RML Hospital,New Delhi. Basically from Naultha, Panipat.
  • Dr M.S Jaglan - Geography Professor ,Kurukshetra University. Basically from Kaithal.
  • Dr. R S Jaglan - VC, Hisar University. Basically from Naultha, Panipat. Address : Registrar, Hisar University, Haryana
  • Smt Ramrati Jaglan - Politician(Haryana), Address: Israna, Panipat.
  • Dr Sandeep Jaglan -(NRI) MD,Specialist Doctor - Nephrology ,USA, Address:8905 West Lincoln Avenue Suite 501 Milwaukee, WI 53227,USA Phone: (414) 978-2229 Basically from Address: Naultha, Panipat.
  • Dr Amarjeet Jaglan -(NRI) MD,Specialist Doctor - Gynecologist ,USA, Address:8905 West Lincoln Avenue Suite 501 Milwaukee, NC (USA) Ph :(414) 978-2229 Basically from Address: Naultha, Panipat.
  • Hon. Mr RAM SINGH JAGLAN -(NRI) ,Retd S.H.O-Chanyankya puri PS(1970's) X-Head,Jat Organisation-America Address :KALAMAZOO ,MI(USA), Ph : (269) 388-5363 Basically from Village Naultha, Rajan Panna, Panipat
  • Major Sayid Muhammad Jaglan - A Muslim jat(Hazara jat tribe) army officer of Afghanistan army 1990 , famous for his bravery actions , planning and strategies against USSR. [ Ref Book : Islam and Resistance in Afghanistan][Ref : http://www.hazara.co.uk/hazara.php]
  • Shubham Jaglan - is an Indian amateur golfer who is the winner of the Junior World Golf Championships in 2015. Jaglan is also World Record holder, 9 under in Classic Junior Open, 2012 and is recipient of the "NDTV – Emerging Player" and "Margdarshan" awards. Shubham has won over 100 domestic and international tournaments.
  • Pramod Jaglan - Mob: 9650753684, Residing at Delhi, is from village Intal Kalan, Jind, Haryana. He is M.Sc. M.Phil. (Biochemistry). Serving as Regional Manager in scientific line company. His wife is from Jhajharia family of Hanumangarh, Rajasthan. She is also M.Sc. (Biotechnology), B.Ed. His great-grandfather Ch Maan Singh was one of five members who collected contribution from villages for Jind Jat Education Society in 1939. His grandfather Ch Jiwan Singh took part in [[World War II] and is winner of 2 War medals. His wife's grandfather also took part in World War II.

See also

References

  1. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. ज-4
  2. Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.38, sn-803.
  3. Ompal Singh Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.39,s.n. 891
  4. Dr Pema Ram:‎Rajasthan Ke Jaton Ka Itihas, p.301
  5. Dr Ompal Singh Tugania: Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu, p.38, sn-803.
  6. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Parishisht-I, s.n. 64
  7. Ompal Singh Tugania:Jat Samuday ke Pramukh Adhar Bindu,p.39,s.n. 891
  8. B S Dahiya:Jats the Ancient Rulers (A clan study), p.239, s.n.93
  9. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/J,p.353
  10. www.hazara.co.uk/hazara
  11. Islam and Resistance in Afghanistan By Olivier Roy
  12. Mahendra Singh Arya et al: Adhunik Jat Itihas, p.245
  13. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, pp.16-17
  14. XLV, 109, 110
  15. Bhim Singh Dahiya, Jats the Ancient Rulers ( A clan study), p. 282
  16. अत ऊर्ध्वं जनपथान निबॊध गथतॊ मम । तत्रेमे कुरुपाञ्चालाः शाल्व माद्रेय जाङ्गलाः ।। Mahabharata (6.10.37)
  17. History of the Jats:Dr Kanungo/Origin and Early History,p.12-13
  18. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/J,p.339
  19. Ram Sarup Joon: History of the Jats/Chapter VI,p.116
  20. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, pp.16-17
  21. Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter XI (Page 1031)
  22. Jats the Ancient Rulers (A clan study)/Appendices/Appendix I,p.316-17
  23. A glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North-West Frontier Province By H.A. Rose Vol II/J,p.375-76
  24. History and study of the Jats. B.S Dhillon. p.127
  25. Jat Varna Mimansa (1910), Author: Pandit Amichandra Sharma, Published by Lala Devidayaluji Khajanchi, pp.16-17

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