Jhajhar Jhunjhunu

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Location of Jhajhar in Jhunjhunu district

Jhajhar (झाझड़) is a large village in Nawalgarh tahsil in Jhunjhunu district of Rajasthan.

Founders

Jhajharia Jats

History

As per local people of Jhajharia gotras, they originated from a village called "Jhajhar" which is near Nawalgarh in Jhunjhunu district.

Population

As per Census-2011 statistics, Jhajhar village has the total population of 7364 (of which 3667 are males while 3697 are females).[1]

Jat Gotras

Jhajharia,

भौमियों द्वारा झाझड गाँव में लूट

प्रथम आम चुनाव 1952 में उदयपुरवाटी और नवलगढ़ से दो सामंतों (देवी सिंह और भीम सिंह) के विधायक बनने से भौमियों का हौसला बढ़ गया था. वे प्रचार करते कि हमारी जागीर अब भी कायम है और आगे भी रहेगी. उन्हें वोट द्वारा भी समर्थन मिल चुका था. यह भारतीय लोकतंत्र की विडम्बना थी. इससे किसानों की सामत आ गयी. कानून के अनुसार किसान उपज का 1/6 भाग लगान के रूप में देना चाहते थे. किन्तु ठिकानेदार 1/4 से कम पर बिलकुल तैयार नहीं थे. झुंझुनू के कलेक्टर ने करणी राम को तैयार किया कि वे किसानों और भौमियों में समझौता करावें. आजादी मिले पांच साल हो चुके थे परन्तु जागीरदार अब भी धौंस पट्टी से लगान वसूल करने में लगे थे. (राजेन्द्र कसवा, p. 215)

16 अप्रेल 1952 को भौमियों ने एक राय होकर झाझड गाँव की सरहद में फैली हुई ढाणियों के खलिहान लूटने की योजना बनाई. यहाँ अधिकांश माली किसान थे. जब उनको भौमियों के षड्यंत्र का पता लगा तो वे भी मुकाबले के लिए तैयार हो गए. लड़ाई हुई और दोनों और से काफी लोग घायल हो गए. झाझड गाँव के एक ठाकुर का हाथ कट गया. भयभीत भौमियों ने भागने में ही सलामत समझी. आम किसान में इस आत्म विश्वास को जगाने का जिम्मेवार भौमियों ने करणी राम को ही माना. (राजेन्द्र कसवा, p. 215)

करणी राम समझौता कराने को प्रयत्नशील थे लेकिन ठाकुर लोग उनसे क्रुद्ध थे. इस घटना के बाद उदयपुरवाटी में आतंक बढ़ गया. ठाकुरों ने सन्देश पहुंचा दिया कि करणी राम उदयपुरवाटी क्षेत्र में न आयें. करणी राम उसी दौरान जयपुर भी गए. वहां कुम्भा राम आर्य ने उन्हें सलाह दी कि वे उदयपुरवाटी न जाएँ. लेकिन करणी राम गरीब किसानों को बेसहारा नहीं छोड़ सकते थे. यह उनके स्वभाव के प्रतिकूल था. इसी कारण 11 मई 1952 को उदयपुर वाटी में करणी राम ने बड़ी आम सभा बुलाई. भौमियों ने भी उसी दिन अलग से अपनी बैठक रखी. इसमें करणी राम को भी आमंत्रित किया. करणी राम भौमियों की इस बैठक में पहुंचे. कहा जाता है कि इस बैठक में जागीरदारों ने करणी राम का सम्मान किया और यह आश्वासन भी दिया कि जो समझौता करणी राम कराएँगे, उसे वे मानेंगे. इसके लिए दो दिन बाद 13 मई को चंवरा में एक आम सभा करने की घोषणा जागीरदारों ने की. यह मना जाता है कि 11 मई को जागीरदारों ने करणी राम को इसलिए बुलाया कि भाड़े के कातिल उनकी पहचान करलें. कुछ शुभ चिंतकों ने करणी राम को सलाह दी की 13 मई को वे चंवरा की सभा में न जाएँ. करणी रामने अनसुना कर दिया. (राजेन्द्र कसवा, p. 216)

झाझड़ गांव का संघर्ष

रामेश्वरसिंह[2] ने लेख किया है.... आम चुनावों के बाद 16-4-52 को झाझड़ गांव में रात के वक्त भौमियों एवं काश्तकारों की मुठभेड़ से जागीरदार-काश्तकार संघर्ष के एक नए अध्याय का सूत्रपात हुआ। लगान बन्दी आन्दोलन ने एक नया निश्चित मोड़ लिया। चुनावों के प्रचार ने एवं करणीराम जी के व्यक्तिव एवं उनके सम्मोहक भाषणों ने काश्तकारों के दुर्बल ह्रदय में एक नई वीरता एवं कुछ कर गुरजने की भावना जाग्रत कर दी थी। करणीराम जी ने मिट्टी के माधो को पहलवान बना दिया था। काश्तकार अपनी दुर्बलता,हीन भावना एवं मरीयलपन को छोड़कर अपने अधिकारों की प्राप्ति एवं स्थापना के लिए संघर्ष के लुए उठ खड़े हुए थे। झाझड़ गांव में काफी संख्या में जागीरदार और उनके डावड़े एवं दरोगे इकठ्ठे हो गए थे। माली काश्तकार भी काफी संख्या में एकत्रित हुए। दोनों और से जोरदार भिड़न्त हुई और काश्तकारों ने जागीरदारों के दांत खट्टे कर दिए। वे मैदान छोड़कर भाग गए। एक राजपूत शलम सिंह का हाथ भी तोड़ दिया था और जागीरदारों के कई लोग घायल हो गए थे।

यह पहला मौका था जब काश्तकारों ने जागीरदारों का प्रतिरोध कर संगीन मुकाबला किया और उन्हें शिकस्त दी। किसान की ताकत का यह एक तगड़ा विस्फोट था। अब तक काश्तकार गरीब मैमने की तरह जागीरदारों का शिकार


शेखावाटी के गांधी अमरशहीद करणीराम, पृष्ठांत-84

ही हुआ करता था। इस मौके पर उस गरीब मैमने ने शेर का रूप धारण किया।

यह संघर्ष जागीरदारों के लिए आँख खोलने वाला था। जागीरदार यह सोच ही नहीं सकते थे कि माली काश्तकार भी उनका मुकाबला कर उन्हें पराजित कर सकते है। अब उनके मन में पक्की जंच गई कि किसान की ताकत का मूल आधार करणीराम जी व रामदेवसिंह जी है। उन्होंने इस मूल आधार को ही समाप्त करने का निश्चय किया। उन्होंने सोचा कि करणीराम जी को खत्म करने पर ही काश्तकारों को दबोच कर रखा जा सकता है। लोगों का कहना है कि इस झाझड़ कांड के बाद जागीरदारों ने गुप्त मंत्रणा कर उदयपुरवाटी में करणीराम जी को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। आगे घटित होने वाले तथ्यों एवं परिस्थितियों से उनकी इस योजना का संकेत एवं अनुमान मिलता है।

Notable persons

External links

References



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