Kathotiya
Kathotiya (कठोतिया) or Kathotia is a village in Udaipura tahsil in Raisen district in Madhya Pradesh.
Origin
Kath people may be the founders of the village.
Jat Gotras Namesake
- Kath (कठ) (Jat clan) → Kathotiya (कठोतिया) is a village in Udaipura tahsil in Raisen district in Madhya Pradesh.
- Kath (कठ) (Jat clan) → Kathotiya (कठोतिया) is a village in Tamia tahsil in Chhindwara district of Madhya Pradesh.
Location
Kathotiya is a small tribal village situated about 25 km from Bhopal. The village is situated in a beautiful green valley, surrounded by precipitous hill faces, verdant forests, and ancient rock shelters and paintings.
Population
Kathotiya is mainly inhabited by the legendary Bhil and Bhilala Tribes, who find mention in many ancient Indian scriptures. These colourful tribes were traditionally Hunter, Gatherers, but have now taken up settled agriculture, although their meagre earnings are still significantly supplemented by forest produce collected from the abundant forest around.
History
कठौतिया के शैल चित्रों को देखने स्पेन से आए पुरातत्वविद
कोलार रोड स्थित कठौतिया के शैल चित्र स्पैन तक मशहूर हो गए हैं। हाल ही में स्पेन के पुरातत्वविदों की एक टीम ने कठौतिया का विजिट किया। यहां उन्होंने ललित कला एकेडमी दिल्ली के प्रतिनिधि डॉ. रोहास मोहंती व पुरातत्वविद् डॉ. नारायण व्यास के साथ शैल चित्रों का अवलोकन किया और उनको वल्र्ड क्लास बताया।
इस चार सदस्यीय स्पेनिश दल में एमएस एम्पारो, मिस्टर फेरर, मिस्टर एनरीक्यू, जोसे लियॉस शामिल थे। ये स्पेन की रॉक आर्ट सोसायटी सेंटर डे स्टूडियो के सदस्य हैं। उन्हें शैल चित्र काफी पसंद आए। इस दौरान उन्होंने कहा कि इन शैल चित्रों का विस्तृत अध्ययन करने की जरूरत है। विस्तृत अध्ययन से उस काल के मानव और उनके रहन-सहन की कई अहम जानकारियां सामने आ सकती हैं।
क्या है खासियत: कठौतिया कोलार थाने से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित है। डॉ. नारायण व्यास ने बताया कि कठौतिया एस बेल्ट के अंतर्गत आता है। एस बेल्ट की खोज 1975 में प्रोफेसर शंकर तिवारी ने की थी। कठौतिया में 75 से ज्यादा शैलाश्रय हैं। इन शैलाश्रयों पर हजारों शैल चित्र बने हैं। इनमें प्रमुख रूप से शिकार के दृश्य, पशु-पक्षियों का चित्रण, नृत्य करती हुईं आकृतियां बनी हैं। इन चित्रों को गेरू के समान लाल रंग से बनाया गया है। इन चित्रों में सर्वाधिक चित्र मध्यास्म एवं ताम्रास्म युग के हैं, जो कि आज से करीब दस हजार वर्ष पहले रहा था। वर्तमान में कठौतिया पर्यटन का केंद्र है। ईको पर्यटन विभाग इसकी देखरेख करता है। उसके द्वारा यहां गाइड भी तैनात किए गए हैं। [1]
Notable persons
External links
References
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