Lowa Kalan
Lowa Kalan is a village near Bahadurgarh in Jhajjar district in Haryana.
Founder
Jat Gotras
History
Ram Sarup Joon[3] writes about The Mann Chiefs Of Mughul Chak: Chaudhary Ladha Mann of this dynasty, came from Sidipur Lowa in Rohtak district and settled down in Gujaranwala. He founded a small village named Maina. Thereafter, he became the Chaudhary of 22 villages. Sardar Mahatab Singh of this dynasty occupied 82 villages due to the weakness of the Mughal Emperor. He was a member of the Bhangi Misal.
Jharoda Kalan gets name after young lady named Jhado of Lowa Kalan.
इतिहास
Dalip Singh Ahlawat writes - मान हिन्दू जाटों के हरयाणा में गांव ये हैं - जिला हिसार में मुण्ढाल, जिला करनाल में बला, घोगड़ीपुर, जिला रोहतक में इशरहेड़ी, लोवा कलां जो कि कालू मान ने बसाया।
जाट इतिहास पृ० 74 पर ले० रामसरूप जून ने लिखा है कि “मुगल चक (जि० गुजरांवाला) जागीर की स्थापना करने वाला लधा मान जि० रोहतक के लोवा कलां गांव से वहां गया था। लोवा कलां गांव में उसके नाम से लधा पट्टी तथा लधा जोहड़ अब भी कहलाते हैं।”[4]
इतिहासकार स्वामी ओमानन्द सरस्वती लिखते हैं
- यौधेयों की पांचवें प्रकार की मुद्रायें जो कि यौधेय गण की अन्तिम मुद्रायें मानी जाती हैं, और प्रायः जिसे गण राज्यों अथवा उनकी मुद्राओं का स्वल्प ज्ञान रखने वाले व्यक्ति भी जानते हैं, उन पर ब्राह्मी लिपि तथा संस्कृत भाषा में "यौधेय गणस्य जय" लिखा है । मध्य में कार्त्तिकेय अपनी शक्ति लिये खड़ा है । उसके एक पग के पास मयूर (मोर) का चित्र चित्रित है । इस मुद्रा पर कार्त्तिकेय की शक्ति (भाला) और उसके शिर के बीच ब्राह्मी में "द्वि" लिखा है । इस मुद्रा पर दूसरी ओर चलती हुई देवी का चित्र है । देवी का बायां हाथ कटि पर स्थित है तथा दायां हाथ ऊपर उठा रखा है । हाथ में कंगन भी प्रतीत होते हैं । देवी के दायें हाथ के नीचे पुष्पों से परिपूरित पात्र (कलसा) भी विद्यमान है । देवी के बायें ओर इस प्रकार का चिह्न है । देखिये, द्वितीय फलक पर ५ संख्या (नम्बर) वाली मुद्रा । वर्तुलाकार इस में मुद्रा पर देवी के चारों ओर बनी मणियों की माला यह द्योतित करती है कि यह अमूल्य रत्नों तथा धन-धान्य से परिपूरित बहुधान्यक अर्थात् हरयाणा की मुद्रा है । यह यौधेयों की विजय की सूचना देने वाली मुद्रा है । सभी इतिहासज्ञों का यह विचार है कि कुषाणों को पराजित कर उखाड़ फेंक देने के पश्चात् यौधेय गण ने अपनी इस मुद्रा को ढाला (बनाया) था । यह मुद्रा प्रायः सम्पूर्ण हरयाणे में मिलती है । मेरठ, हापुड़, सुनेत, करौंथा, अटायल, आंवली, मोहनबाड़ी, हाँसी, हिसार, भिवानी, नौरंगाबाद, दादरी, मल्हाणा, सीदीपुर लोवा आदि स्थानों से यह मुद्रा हमें प्राप्त हुई है । महम, सोनीपत, जयजयवन्ती, सहारनपुर आदि अनेक स्थानों पर भी यह लोगों को पर्याप्त संख्या में मिली है ।[5]
Notable persons
- Ch. Uday Singh Mann - MLC, Freedom fighter and educationist, fought for creating of Haryana State. Born on 14 January 1911.
- Dalbir Maan - Businessman and owner of Royal Green
References
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III, Page 303
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III (Page 302)
- ↑ History of the Jats/Chapter XI,p. 192
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III (Page 302)
- ↑ Veerbhoomi Haryana/यौधेय गण की मुद्रायें (पृष्ठ 140-142)
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