Matloda
For village in Safidon tahsil (Jind), please see Madlauda
Matloda or Madloda (मतलोडा/ मडलोडा) is a village in Hisar tehsil and district of Haryana.
Location
Origin
History
Jat Gotras
मतलोडा के पूनिया की वंशावली
मतलोडा, हिसार, हरयाणा के पूनिया की वंशावली इस प्रकार है: रामकुवर ने 1781 विक्रम संवत में गांव मतलोडा बसाय. रामकुंवर के पुत्र हुए - १. किरपा २. बिलेंद्र और ३. ज्यूणा उर्फ़ जीवन सिंह.
जीवन सिंह के पुत्र हुए - १. पीरा २. रामचंद्र ३. भागमल ४. रूपराम ५. जोतराम
पीरा के पुत्र हुए - १. भोपत २. गुरदयाल ३. मत्ता
मत्ता के पुत्र हुए - १. हरजस २. मोहर सिंह
हरजस के पुत्र हुए १. कान्हा २. सुल्तान सिंह
सुल्तान सिंह के पुत्र हुए - १. धर्म सिंह २. श्रीचंद ३. शोभाचंद
श्रीचंद के पुत्र हुए - १. चंद्रमुखी (पुत्री:मुख्याध्यापिका) २. प्रताप सिंह (साहित्यकार) ३. चंद्रहास (प्रधानाचार्य) ४. यशपाल (प्रोफेसर) ५. महिपाल आर्य (इतिहासकार)
महिपाल आर्य के हुए - १. सोनिया (पुत्री) २. रीना रानी (पुत्री) ३. मोनिका (पुत्री) और आदित्य (पुत्र)
Population
Population - around 7000.
Notable Persons
- Shri Chand Arya - प्रतिमा महाशय श्रीचंद आर्य भजन उपदेशक (जन्म 14 अगस्त 1910 - 9 अक्टूबर 1982) का संक्षिप्त जीवन परिचय इस प्रकार है. महान समाज सुधारक, राष्ट्रभक्त दूरदर्शी आर्य समाज के प्रसिद्ध भजन उपदेशक महाशय श्री चंद्र आर्य का जन्म 14 अगस्त 1910 को चौधरी सुल्तान सिंह पूनिया के घर गांव मतलोड़ा जिला हिसार में हुआ. हरियाणा प्रांत का यह गौरवशाली गांव उनके वंशधर वीरसेनानी राम कुमार पूनिया ने संवत 1781 अर्थात 1724 ई. आश्विन मास में बसाया था. वे वैदिक पथ के पथिक स्वामी दयानंद सरस्वती के सच्चे अनुयाई थे. सुरीली आवाज के धनी, उन्होंने आर्य समाज द्वारा संचालित तत्कालीन देशहित आंदोलनों को सफलीभूत करने में, गुरुकुलों की स्थापना व अनेक शिक्षण संस्थाओं के संचालन के लिए विपुल धन एकत्रित करने में अविस्मरणीय योगदान दिया. ज्ञान से आप्लावित भजनों, कथाओं, व उपदेशों द्वारा उन्होंने दलित उत्पीड़न, अंधविश्वास तथा सामाजिक कुरीतियों का घोर विरोध किया. उनके भजनों से प्रभावित होकर रहबरे आजम दीनबंधु सर छोटूराम ने उन्हें एक हारमोनियम उपहार स्वरूप भेंट किया. आजीवन समाज सेवा करते हुए पक्षाघात व मधुमेह रोग के कारण उनका 9 अक्टूबर 1982 को देहांत हो गया.
- माता धुंधा देवी (जन्म 2 जनवरी 1915 - प्रयाण 22 अप्रैल 1979) का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है. माता धुंधा देवी सुपुत्री चौधरी गुरदयाल सिंह घणघस गांव सुलेहड़ा का विवाह महाशय श्रीचंद के साथ हुआ. इनका जन्म 2 जनवरी 1915 को हुआ. यद्यपि महाशय जी वेदों के अनुगामी, ईमानदार, त्यागी तथा महान व्यक्तित्व से ओतप्रोत कर्मयोगी थे. लेकिन उनके जीवन वृत की सफलता का श्रेय सौम्या की निधि, कर्तव्य परायणा, परिश्रमी उनकी धर्मपत्नी धुंधा देवी को जाता है, जो 'स्वर्ग नहीं कर्म क्षेत्र दीजिए' की पालनहार थी. अपनी संतति को संस्कारित व सुशिक्षित करने में सहयोगी इस महिता नारी का 22 अप्रैल 1979 को स्वर्गवास हो गया.
- Pratap Singh Shastri (Punia) - Journalist and Historian
- Mahipal Arya (Punia) - Author and Historian
Gallery
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मतलोडा के पूनिया की वंशावली
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माता धुंधा देवी (जन्म 2 जनवरी 1915 - प्रयाण 22 अप्रैल 1979)
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महाशय श्रीचंद आर्य भजनोपदेशक (जन्म 14 अगस्त 1910 - 9 अक्टूबर 1982)
External Links
References
- ↑ Jat History Dalip Singh Ahlawat/Chapter III (Page 221)
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