Mithila

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Map of Nepal

Mithila (मिथिला) was a city in Ancient India, the capital of the Videha Kingdom. The city of Mithila has been identified as modern day Janakpur in Dhanusa district of Nepal.

Variants

  • Mithila मिथिला, बिहार, (AS, p.745)
  • Mililavi मिलिलवी = Mithila मिथिला (p.746)
  • Jagati जगती = Mithila मिथिला (p.745)
  • Mithilavana मिथिलावन = Mithila मिथिला (p.745)
  • Videhanagari विदेहनगरी = Mithila मिथिला दे. विदेह, मिथिला (AS, p.858)

Jat clans

Milki (मिलकी) - Milki gotra of Jats originated from province called Mithila (मिथिला). [1]

History

Mithila was the capital city of the Kingdom of the Videhas in Ancient India. The location of Mithila is disputed among Janakpur in present-day Nepal,[2] Balirajgadh in present-day Madhubani district, Bihar, India,[3][4] Sitamarhi in present-day Bihar, India,[5] and Mukhiyapatti of Mukhiyapatti Musharniya rural municipality of Dhanusha in present-day Nepal.[6]

Janakpur, in present-day Nepal, has been claimed to be the location of the ancient city of Mithila.[7] However, archaeological evidences have not been found to support these claims.

According to James Todd[8] Mithila — Nearly coeval in point of time with Ayodhya was Mithila, the capital of a country of the same name, founded by Mithila, the grandson of Ikshwaku. Mithila is the modern Tirhut in Bengal, including the modern districts of Darbhanga, Champaran, and Muzaffarpur.

The name of Janaka, 2 son of Mithila, eclipsed that of the founder and became the patronymic of this branch of the Solar race.

According to D.D. Kosāmbi's historical books, the 1st millennium BCE text Śatpath Brāhmana tells that the king Māthava Videgha, led by his priest Gotama Rahugana, first crossed the Sadānirā (Gandaka) river and founded a kingdom.

According to Ramayana, Rama's wife Sita is said to have been the princess of Videha, born to King Janaka who ruled in Mithila. The Rāmāyana also mentions a sage who was a descendandant of Gotama Rahugana living near Ahilya-sthāna.

Other famous kings of Mithila during ancient period were Kings Bhanumath, Satghumanya, Suchi, Urjnama, Satdhwya, Kriti, Anjan, Arisnami, Srutayu, Supasyu, Suryasu, Srinjay, Sourmabi, Anena, Bhimrath, Satyarath, Upangu, Upgupt, Swagat, Snanand, Subrachya, Supraswa, Subhasn, Suchurut, Susurath, Jay, Vijay, Critu, Suny, Vith Habya, Dwati, Bahulaswa and Kriti Tirtiya.

Indian Origin Places in Burma

Dineschandra Sircar[9] writes.... Some important old Indian names found in Burma are Aparanta, Avanti, Varanasi, Champanagara, Dvaravati, Gandhara, Kamboja, Kailasha, Kusumapura, Mithila, Pushkara, Pushkaravati, Rajagriha, etc. and the names Sankashya (Tagaung on the Upper Irawadi), Utkala (from Rangoon to Pegu) and Vaishali (modern Vethali in the Akyub district also fall in the same category.[10] The name of the well-known river Irawadi reminds us of Iravati (modern Ravi River), one of the famous tributaries of the Indus.

Genealogy in Bhagavata Purana

Nimi Ancestry in Bhagavata Purana
Ancestry of Mithila Rulers

According to Bhagavata Purana[11] The Rishis churned the body of Nimi and a son was born. He was called Janaka. As he was born, when his father was bodiless (videha) he was also called Vaideha.


The churning also gave him the name of Mithila (Manth = to churn). He built the town Mithila. (Mithila is the modern Tirhut).

NimiJanakaUdavasuNandivardhanaSuketuDevarataBrihadrathaMahaviryaSudhritiDhrishtaketuHaryasvaMaruPratipaKritarathaDevamirhaVisrutaMahadhritiKritirataMaharoman (large-haired) → Svarnaroman (gold-haired) → Hrasvaroman (short-haired)]] → Sira-Dhvaja

While ploughing the ground for sacrifice, Sira-Dhvaja got Sita at the end of the plough. Therefore Sira (plough) being his Dhvaja (flag, proclaimer of fame), he was called Sira Dhvaja. (This Sira-Dhvaja is the renowned Janaka of Ramayana.)

In the ancestry of Sira-Dhvaja were Sira-DhvajaKusa-DhvajaDharma-DhvajaKrita-Dhvaja + Mita-Dhvaja

Kesi-Dhvaja from Krita-Dhvaja was versed in Atma-vidya and Khandikya from Mita-Dhvaja was versed in Vedic Karma. Kesi Dhvaja overpowered Khandikya and he fled away.


Kesi-DhvajaBhanumatSata-dyumnaSuchiSanadvajaUrja-ketuPurujitArishta nemiSrutayuSuparsvaChitrarathaKshemadhiSamarathaSatyarathaUpa-guruUpa-gupta (incarnation of Agni)]] → VasvanantaYuyudhaSubhashanaSrutaJayaVijayaRitaSunakaVitahavyaDhritiBahulasvaKriti

विदेह

विजयेन्द्र कुमार माथुर[12] ने लेख किया है ..... 1. विदेह (AS, p. 857): उत्तरी बिहार का प्राचीन जनपद था, जिसकी राजधानी मिथिला में थी। स्थूल रूप से इसकी स्थिति वर्तमान तिरहुत के क्षेत्र में मानी जा सकती है। कोसल और विदेह की सीमा पर सदानीरा नदी बहती थी। ब्राह्मण ग्रंथों में विदेहराज जनक को सम्राट कहा गया है, जिससे उत्तर वैदिक काल में विदेह राज्य का महत्व सूचित होता है। 'शतपथ ब्राह्मण' में विदेघ या 'विदेह' के राजा माठव का उल्लेख है, जो मूलरूप से सरस्वती नदी के तटवर्ती प्रदेश में रहते थे और पीछे विदेह में जाकर बस गए थे। इन्होंने ही पूर्वी भारत में आर्य सभ्यता का प्रचार किया था। शांखायन श्रौतसूत्र 16,29,5 में जलजातु

[p.858]: कर्ण्य नामक विदेह, काशी और कोसल के पुरोहित का उल्लेख है। वाल्मीकि रामायण में सीता के पिता मिथिलाधिप जनक को 'वैदेह' कहा गया है- ‘ऐव मुक्त्वा मुनिश्रेष्ठ वैदेहो मिथिलाधिपः।' वाल्मीकि रामायण, बालकाण्ड, 65,39. सीता इसी कारण 'वैदेही' कहलाती थीं। महाभारत में भी विदेह देश पर भीम की विजय का उल्लेख है तथा जनक को यहां का राजा बताया गया है, जो निश्चिय पूर्व ही विदेह नरेशों का कुलनाम था- 'शर्मकान् वर्मकांश्चैव व्यजयत् सान्त्वपूर्वकम्, वैदेहकं राजानं जनकं जगतीपपतिम्।' महाभारत, सभापर्व, 30,13.

भास ने 'स्वप्नवासवदत्ता' अंक 6 में सहस्रानीक के वैदेहीपुत्र नामक पुत्र का उल्लेख किया है, जिससे ऐसा जान पड़ता है कि उसकी माता विदेही की राजकुमारी थी। वायुपुराण 88,7-8 में निमि को विदेह नरेश बताया गया है। विष्णुपुराण 4,13, 107 में विदेह नगरी (मिथिला) का उल्लेख है- 'वर्षत्रयान्ते च वभ्रू ग्रसेन प्रभृतिभिर्यादवैर्न तद्रत्नं कृष्णोनापहृतमिति कृतावगतिभिर्विदेहनगरी गत्वा बलदेवस्सम्प्रत्याय्य्द्वारकामानीत।

बौद्ध काल में संभवतः बिहार के वृज्जि तथा लिच्छवी जनपदों की भांति ही विदेह भी गणराज्य बन गया था। जैन तीर्थंकर महावीर की माता 'त्रिशला' को जैन साहित्य में 'विदेहदत्ता' कहा गया है। इस समय वैशाली की स्थिति विदेह राज्य में मानी जाती थी, जैसा की 'आचरांगसूत्र' (आयरंग सुत्त) 2,15,17 सूचित होता है, यद्यपि बुद्ध और महावीर के समय में वैशाली लिच्छवी गणराज्य की भी राजधानी थी। तथ्य यह जान पड़ता है कि इस काल में विदेह नाम संभवतः स्थूल रूप से उत्तरी बिहार के संपूर्ण क्षेत्र के लिए प्रयुक्त होने लगा था। यह तथ्य 'दिग्घनिकाय' में अजातशत्रु (जो वैशाली के लिच्छवी वंश की राजकुमारी छलना का पुत्र था।) के वैदेहीपुत्र नाम से उल्लिखित होने से भी सिद्ध होता है। (दे. मिथिला)

2. विदेह (AS, p. 858): स्याम या थाईलैंड: प्राचीन गंधार अथवा युन्नान का एक भाग. मिथिला यहां की राजधानी थी. इस उपनिवेश को बसाने वाले भारतीयों का विहार-स्थित विदेह से अवश्य ही संबंध रहा होगा.[13]

3. विदेह (AS, p. 858): बुद्धचरित 21,10 के अनुसार अंगदेश के निकट एक पर्वत जहां बुद्ध ने पंचशीख, असुर और देवों को धर्म प्रवचन सुनाया था.[14]

मिथिला

विजयेन्द्र कुमार माथुर[15] ने लेख किया है ....1. मिथिला, बिहार (AS, p.745): बिहार-नेपाल सीमा पर विदेह (तिरहुत) का प्रदेश जो कोसी और गंडकी नदियों के बीच में स्थित है। इस प्रदेश की प्राचीन राजधानी जनकपुर में थी। रामायण-काल में यह जनपद बहुत प्रसिद्ध था तथा सीता के पिता जनक का राज्य इसी प्रदेश में था। मिथिला जनकपुर को भी कहते थे। (दे. वाल्मीकि रामायण बालकाण्ड 48-49 ’तत: परमसत्कारं सुमते प्राप्य राघवौ, उप्यतत्र निश:मेकां जग्मतु: मिथिला तत: । तां द्दष्टवा मुनय: सर्वे जनकस्य पुरीं शुभाम् साधुसाध्वतिशंसन्तो मिथिलां संपूजयन्। मिथिल पवने तत्र आश्रमं द्दश्य राघव:, पुराण निजने रम्यं प्रयच्छ मुनिपुंगवम्’)

अहिल्याश्रम मिथिला के सन्निकट स्थित था। वाल्मीकि रामायण 1,71,3 के अनुसार मिथिला के राज्यवंश का संस्थापक निमि था। मिथि इसके पुत्र थे और मिथि के पुत्र जनक। इन्हीं के नाम राशि वंशज सीता के पिता जनक थे।

वायु पुराण 88,7-8 और विष्णु पुराण 4, 5, 1 में निमि को विदेह का राजा कहा है तथा उसे इक्ष्वाकु वंशी माना है। (दे. विदेह). मिथिला राजा मिथि के नाम पर प्रसिद्ध हुए। विष्णु पुराण 4, 13, 93 में मिथिलावन का उल्लेख -- ’सा च बडवाशतयोजन प्रमाणमागमतीता पुनरपि वाह्यमाना मिथिलावनोद्देशे प्राणानुत्ससर्ज’, विष्णु पुराण 4,13,107 में मिथिला को विदेह नगरी कहा गया है। मज्झिमनिकाय 2, 74, 83 और निमिजातक में मिथिला का सर्वप्रथम राजा मखादेव बताया गया है। जातक सं. 539 में मिथिला के महाजनक नामक राजा का उल्लेख है।

महाभारत शांतिपर्व 219 दक्षिणात्य पाठ में मिथिला के जनक की निम्न दार्शनिक उक्तियों का उल्लेख है--'मिथिलायां प्रदीप्तयां नमे दह्यति किंच’. वास्तव में जनक नाम के राजाओं का वंश मिथिला का सर्वप्रसिद्ध राज्य वंश था। महाभारत सभापर्व 30, 13 में भीम सेन द्वारा विदेहराज जनक की पराजय का वर्णन है। महाभारत शांति पर्व 218 में मिथिलाधिप जनक का उल्लेख है-- केनवृत्तेन वृतज्ञ जनको मिथिलाधिप:’ शांतिपर्व 218, 1

जैन ग्रंथ विविधकल्प सूत्र में इस नगरी का जैन तीर्थ के रूप में वर्णन है। इस ग्रंथ से निम्न सूचना मिलती है, इसका एक अन्य नाम जगती भी था। इसके निकट ही कनकपुर नामक नगर स्थित था। मल्लिनाथ और नेमिनाथ दोनों ही तीर्थंकरों ने जैन धर्म में यहीं दीक्षा ली थी और यहीं उन्हें 'कैवल्य ज्ञान' की [p746]:प्राप्ति हुई थी। यहीं अकंपित का जन्म हुआ था। मिथिला में गंगा और गंडकी का संगम है। महावीर ने यहाँ निवास किया था तथा अपने परिभ्रमण में वहाँ आते-जाते थे। जिस स्थान पर राम और सीता का विवाह हुआ था वह शाकल्य कुण्ड कहलाता था। जैन सूत्र-प्रज्ञापणा में मिथिला को मिलिलवी कहा है।

2. मिथिला, बर्मा (AS, p.746): बर्मा (ब्रह्मदेश) का प्राचीन भारतीय औपनिवेशिक नगर जिसका नाम प्राचीन बिहार की प्रसिद्ध नगरी तथा जनपद मिथिला के नाम पर था. संभवत: इसको बसाने वाले भारतीयों का संबंध मूल मिथिला से था या उन्होंने अपने मातृदेश भारत के प्रमुख जनपदों के नाम पर विदेशी उपनिवेशों के नाम रखने की प्रचलित प्रथा के अनुसार ही इस स्थान का नामकरण किया होगा.

मिलिलवी

References