Naiyasar

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Naiyasar (नैयासर) is a small village in Sardarshahar Tehsil of Churu district in Rajasthan.

Founder

  • Naya Saran - About 200 years back

Jat Gotras

History

Saran Jats migrated from village Phogabas Bharthari in Sardarshahar tahsil in Churu district, Rajasthan. Naiya Saran founded Naiyasar.

इतिहास

गांव नैयासर तहसील सरदारशहर जिला चूरू का इतिहास

नैयासर गांव सरदारशहर दिल्ली सड़क मार्ग पर सरदारशहर से लगभग 19 किलोमीटर पूर्वी दिशा में स्थित है ।

गांव की आबादी लगभग 1000 तथा कुल 195 परिवार आबाद है , जिनमे 145 परिवार जाट , 35 परिवार ब्राह्मण तथा 15 परिवार मेघवाल समाज के हैं।

जाटों में 110 परिवार चाहर, 15 परिवार सुंडा, 8 परिवार बांगड़वा , 6 परिवार भाम्बू, 4 परिवार डीढारिया तथा 2 परिवार कस्वा गोत्र के हैं।

गांव की स्थापना स्व. नैया सारण ने लगभग 200 वर्ष पहले की थी। बाद में सारण परिवारों द्वारा पलायन कर लेने के कारण इस समय गांव में एक भी सारण परिवार नहीं है।

चाहर परिवार:

सन 1875 में चौधरी पिथाराम चाहर गांव जसरासर तहसील चूरू से पलायन कर नैयासर गांव में आकर बस गये। चौधरी पिथाराम के तीन लड़के चौधरी ज्ञानाराम, चौधरी पूर्णाराम और चौधरी अमरू राम थे। चौधरी ज्ञानाराम इस क्षेत्र के बहुत दबंग व प्रभावशाली व्यक्ति थे। उनके पांच पुत्र थे जिनमें से एक चौधरी दयाराम ने विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से प्रेरित होकर अपनी 100 बीघा भूमि सार्वजनिक जोहड़ के रूप में दान कर दी ,जिसमें बाद में सरकार ने उस जोहड़ में एक पक्का तालाब भी बनाया था।

रियासत कालीन अवधि में गांव में राजपूत जागीरदार थे । आजादी के बाद उनकी स्थिति काफी कमजोर हो गई। वे गांव से पलायन कर गए तथा उनके गढ़ (रावला) को चौधरी दयाराम के पुत्र चौधरी रतनाराम चाहर ने खरीद लिया, जिसमें आज उनके वंशज अपने-अपने घर बनाकर रह रहे हैं। गांव में श्री ठाकुर जी का एक छोटा सा गोबर से लीपा हुआ कच्चा मंदिर था। सन 1981 में चौधरी रतनाराम चाहर ने गांव में श्री ठाकुर जी का एक पक्का मंदिर बनाया। मंदिर पुराना हो जाने के कारण वर्ष 2020-21 में पूरे गांव ने मिलकर उसी मंदिर की नीव पर नया व भव्य मंदिर बनाकर पुराने मंदिर का जीर्णोद्दार किया। चौधरी रतनाराम चाहर ने अपने पिता दयाराम चाहर की स्मृति में गांव के बस स्टैंड पर धर्मशाला रूपी एक मकान बनाया तथा उसी धर्मशाला के हिस्से के रूप में उनके पुत्रों ने अपनी माता श्रीमती बरजी देवी की स्मृति में भी एक कमरा बनाया जो आज भी आम जनता के उपयोग में आ जा रहे हैं।

इस समय गांव में एक उच्च प्राथमिक विद्यालय, गौशाला , उप स्वास्थ्य केंद्र , शिवमंदिर तथा गोगामेड़ी भी है। गांव में स्कूल नहीं होने के कारण गांव के कुछ छात्रों ने 3 किलोमीटर दूर स्थित नैणासर गांव में एक झोपड़ी में संचालित होने वाली स्कूल में जाना शुरू किया।

श्री रामजस चाहर गांव के दसवीं पास करने वाले प्रथम छात्र थे। सरकारी सेवा में भी सबसे पहले श्री रामजस चाहर विद्युत विभाग में चयनित हुए। बाद में स्टेट बैंक में चयनित होकर शाखा प्रबंधक के पद से सेवानिवृत हुए ।

श्री नंदराम चाहर टेलीफोन विभाग में चयनित हुए। बाद में बडौदा बैंक में चयनित होकर शाखा प्रबंधक के पद से सेवानिवृत हुए।

ढिढारियां परिवार:

ढिढारियां परिवार ने 2005 में नैयासर में रहना शुरू किया इनमें से एक इंद्र राज सहकारी सेवा में 1979 से रहते हुए 2019 में सहकारी सेवा में व्यवस्थापक पैक्स मैनेजर पद से सेवानिवृत हुए। एक ओम प्रकाश वर्तमान में थल सेना में सेवा दे रहे हैं। इंद्र राज ढिढारिया ने सहकारी सेवा में रहते हुए जाट समाज सरदारशहर तहसील क्षेत्र का कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी 2002 से 2007 तक निभाई। इंद्र राज ने अपने दो लड़कों को स्वयं का मकान बनाकर सरदार शहर में व चूरू में निवास बना दिया है, नैया सर गांव में शिक्षा के क्षेत्र में प्रथम महिला कमला पुत्री श्री इंद्र राज ढिढारियां ने बीए बीएड कर अध्यापिका की नौकरी ग्रहण की। रा उ मां वि बीरमसर स्कूल में अध्यापिका है।

ढिढारियां परिवार 225 वर्ष लगभग पहले गांव भीमसर तहसील सुजानगढ़ से आकर के सरदारशहर तहसील में मेलूसरजोरावरपुरा में बस गए. इनमें से कुछ परिवार मलखेड़ा तहसील भादरा जाकर के बस गए. मलखेड़ा से श्री रामलाल ढिढारियां ने 70 वर्ष पूर्व में मलखेड़ा से वापस जोरावरपुरा आकर के रहने लग गए 2005 में जोरावरपुरा से ढिढारियां परिवार ने नैयासर में रहना शुरू किया।

गाँव के उल्लेखनीय लोग:

शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति करते हुए गांव के अनेक छात्र सरकारी सेवा में कार्यरत है। श्री दुर्गाराम पारीक का चयन ग्राम सेवक के पद पर हुआ । बाद में वे विकास अधिकारी के पद से सेवानिवृत हुए। वर्तमान समय में गांव के डॉ.मनीष चाहर एम्स नई दिल्ली से एमडीएस करने के बाद जिला अस्पताल चुरु में अपनी सेवा दे रहे हैं । एक छात्र भानू प्रकाश चाहर एमबीबीएस कर रहा है। श्री भागीरथ चाहर जीएसटी विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर (RAS) के पद पर नियुक्त हैं । गांव के डॉ. धर्मेंद्र चाहर (प्राचार्य) व डॉ.ओम प्रकाश चाहर (HOD) पीएचडी धारक हैँ जो अपने दादा चौ. रतनाराम चाहर की स्मृति में बनाए गए CRC कॉलेज, हरियासर, सरदारशहर का संचालन कर रहे हैं ।इसी प्रकार श्री दिलीप चाहर सरदार शहर में सरदार भगत सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय का संचालन कर रहे हैं। श्री रामनिवास चाहर यूको बैंक में शाखा प्रबंधक है।सुंडा परिवार का एक छात्र आईआईटी रुड़की (IIT) में अध्यनरत है। बांगड़वा परिवार का एक छात्र NIT भी किया हुआ है। गांव के लगभग 40 सरकारी कर्मचारियों सहित अनेक छात्र निजी व व्यवसायिक क्षेत्र में भी अच्छी सेवाए दे रहे हैं।

Source - Mukanda Ram Nehra

मेघसर के चाहर गोत्र का इतिहास

चाहरों की वंश वृक्षावली एवं पलायन: संवत 2001 (सन 1944) की बीकानेर स्टेट की मिसल बंदोबस्त में दर्ज़ चाहर गोत्र की वंश वृक्षावली के अनुसार गाँव के संस्थापक श्री मेघा चाहर के कई पीढ़ियों के बाद के वंशज तेजा चाहर (संवत 2001 में ) के दो बेटे थे, जिनके नाम खेता और नानग थे। नानग के पांच पुत्रों के नाम थे: बुद्धर, मुकना, लिखमा, डूंगर एवं लाला। डूंगर के दो पुत्र चेतन व पन्ना थे जो बाद में बीकानेर जाकर बस गए। चाहर गोत्र के बहुत से परिवार इस गाँव में आबाद थे, जिनमें से कुछ परिवार कालांतर में यह गाँव छोड़कर नैयासर (सरदारशहर), महरी (सरदारशहर), कांगड़ (रतनगढ़), छाजूसर (चूरू), निराधना/निराधनू आदि गाँवों में जाकर बस गए। वर्तमान में सिर्फ स्व. लालाराम के पुत्र स्व. आशाराम चाहर के बेटे-पोते इस गाँव में आबाद हैं। स्व. आशाराम चाहर की औलाद को छोड़कर बाकी सभी चाहर अन्यत्र जाकर बस गए। (देखें: मेघसर- अतीत और वर्तमान)

स्रोत: प्रो. एचआर ईसराण

Population

According to Census-2011 information: With total 158 families residing, Naiyasar village has the population of 946 (of which 487 are males while 459 are females).[1]

Jat Monuments

Notable persons

External Links

References


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