Naresar

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Naresar Temples

Naresar (नरेसर) is an archaeological site in tahsil and district Morena of Madhya Pradesh, which has temples dating from the 8th to the 12th centuries.

Variants

Location

Location of villages around Gwalior

Naresar is located 25 kms north-east from Gwalior Fort. One has to drive north from Gwalior crossing Malanpur. Some 20 km from Gwalior is the village of Baretha, which is the turn off for Naresar. It is on the left of the road just beyond this village. From that point it is a 3 km drive on a dirt track and then a 1.5 km walk across rough terrain to reach the temples.[1]

History

Naresar (ancient Nalesvara), situated 18 km northeast of Gwalior has a large group of temples dating from the 8th to the 12th centuries, of which nine pertain to the Gopadri sub-style of the early 8th century. While one of these has an exceptional plan with a Valabhi sikhara, the remaining eight shrines uniformly consist of square sanctum preceded by a short kapili projection which accommodates a doorway of three to four ornate sakshas. The sikhara is three storeyed and crowned by a large amalasaraka and is adorned by a gabled sukanasa front with a gavaksha dormer, harbouring an image of Lakulisa on Siva temples and Durga on the Sakta temples. The doorway has four sakhas carved with scrolls, serpent, pilaster, and beveled band of scrolls with river-goddess panels at the base and a garuda figure holding tail-ends of the serpents on the lalata. The Siva temples usually harbour bold relief's of Ganesa, Karttikeya, and Uma engaged in penance on the bhadras. The Valabhi temple, dedicated to Durga, is a small triratha shrine with a rectangular sanctum and a superstructure of mixedtype with a Valabhi sikhara over a single storey Nagara base. The shrine displays the earliest Valabhi-sikhara in Central India anticipating the grand on the Teli-Ka-mandir at Gwalior.[2]

नलेसर - नरेसर

विजयेन्द्र कुमार माथुर[3] ने लेख किया है ...नलेसर (AS, p.482): नरेसर अथवा 'नलेसर' ग्वालियर, मध्य प्रदेश का एक ऐतिहासिक ग्राम था। ग्वालियर के दुर्ग से प्राय: 10 मील की दूरी पर उत्तर-पूर्व वनप्रांत के अंतर्गत नरेसर ग्राम के खंडहर उपस्थित हैं। 11वीं-12वीं शतियों के मंदिरों तथा मूर्तियों के ध्वंसावशेष भी यहाँ से प्राप्त हुए हैं, जिनमें से अधिकांश शैव मत से संबंध रखते हैं। (दे. नरराष्ट्र)

नरराष्ट्र

विजयेन्द्र कुमार माथुर[4] ने लेख किया है ...नरराष्ट्र (AS, p.478): महाभारत, सभापर्व के अनुसार पांडव सहदेव ने अपनी दिग्विजय यात्रा में नरेसर को जीता था- 'नरराष्ट्रं च निर्जित्य कुंतिभोजमुपाद्रवत्, प्रीतिपूर्व च तरयासो प्रतिजग्राह शासनम्' (महाभारत, सभापर्व, 31, 6.) अर्थात् "सहदेव ने अपनी दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में नरराष्ट्र को जीतकर कुंतिभोज पर चढ़ाई की।" इससे नरराष्ट्र की स्थिति कुंतिभोज (=कोटवार, जिला ग्वालियर, मध्य प्रदेश) के निकट प्रमाणित होती है. हमारे मत में ग्वालियर के दुर्ग से प्राय: 10 मील उत्तर-पूर्व वन-प्रांत [p.479]: के अंतर्गत बसे हुए नरेसर नामक ग्राम का अभिज्ञान नरराष्ट्र से किया जा सकता है। नरेसर को नालेश्वर का अपभ्रंश कहा जाता है. नरराष्ट्र और नरेसर नामों में ध्वनिसाम्य तो है ही, इसके अतिरिक्त नरेसर बहुत प्राचीन भी है, क्योंकि यहाँ से अनेक पूर्व मध्यकालीन मंदिरों तथा मूर्तियों के ध्वंसावशेष भी मिले हैं। नरेसर के खंडहर विस्तीर्ण भू-भाग में फैले हुए हैं, और संभव है कि यहाँ से उत्खनन में और अधिक प्राचीन अवशेष प्राप्त हों।

नरराष्ट्र, नलराष्ट्र का भी रूपांतरण हो सकता है. उस दशा में इसका संबंध राजा नल से जोड़ना संभव होगा. क्योंकि राजा नल की कथा की घटनास्थली नरवर (प्राचीन नलपुर) निकट ही स्थित है. महाभारत की कई प्रतियों में नरराष्ट्र को नवराष्ट्र लिखा है जो अशुद्ध जान पड़ता है.

External links

References