Narsinghgarh Damoh
Author:Laxman Burdak, IFS (R) |
Narsinghgarh is a town of historical importance in Patharia tahsil in Damoh district of Madhya Pradesh. It is site of an ancient fort built by the Gondwana Kingdom, and the town is situated by Sunar River.[1]
Variants
- Nasrathgarh (नसरथगढ़)
Location
Jat Gotras Namesake
History
It has an ancient fort built by the Gondwana Kingdom, and the town is situated by Sunar River.[2]
Birla group established a cement factory in it, which the German company Heidelberg Cement took over, and now it produces cement by the name of Mycem Cement.[3] There are many more historical places in Narsinghgarh, such as the Jankiraman temple, dedicated to Ram and Mata Sita, and an old temple of Siddha Ganesha Mandir. The main part of the ancient fort, which is built by the Godwana Kingdom, is situated beside the Ganesha temple. In Ram Bagh Temple, Lord Hanuman is worshiped. There are many stories about this temple, but the most popular belief is that the statue of Hanuman was taken out from the well situated near the temple, by a cowboy after Lord Hanuman told him in a dream. On every Makara Sankranti, the fair (mela) is organized by the near by locals. Another place, which the locals call Tullu Jhiriya, is famous for continuous flowing water from the rocks.
Twelve kilometers away from Narsingarh is a place called the "Madkole". This place is famous for the Madhkoleshwar Mahadev Mandir, which is the ancient temple of Shiva. The local people says that the temple was built by devtas in one night. The two rivers, Sunar and Kopra, can be seen in a place called the Sangam. This is the other place where the yearly Makar Sankranti fair is organized by the locals.Kalakand of sitanagar village is famous delicacy in the area
मायसेम सीमेंट
नरसिंहगढ़ एक छोटा सा गांव है जो देा नदियों कोपरा नदी एवं सोनार नदी के किनारे बसा हैं, यह दमोह से 20 कि.मी. दूर दमोह - छतरपुर राजमार्ग न0 37 पर है। इसका नाम यहाँ के प्राचीन राजा नरसिंह के नाम पर नरसिंहगढ़ पड़ा। मध्य भारत के इतिहास में नरसिंहगढ का बहुत महत्तव था क्योकि यह उत्तर भारत से मध्य भारत के बीच एक दरवाजे का कार्य करता था। मुगलों ने यहाँ आक्रमण किया और एक भयानक लड़ाई के पश्चात इस पर कब्जा कर लिया तथा इसका नाम नरसिंहगढ़ से नसरथगढ़ कर दिया। मराठों ने आक्रमण कर इसे मुगलों से हड़प लिया और पुनः इसका असली नाम फिर से नरसिंहगढ़ कर दिया। अंग्रेजों ने मराठों से इसे हासिल किया।
नरसिंहगढ में एक किला था। जिसके अवशेष आज भी मूक गवाह की तरह नरसिंगढ़ के इतिहास की गवाही लोगों को देते हैं।
यहाँ की वर्तमान जनसंख्या लगभग 7000 है और लोगो का मुख्य व्यवसाय कृषि है। यहाँ की जलवायु उष्ण है तथा यहाँ समान्य वर्षा होती है यहाँ चारो तरफ चूना पत्थर पाया जाता है। अतः यहाँ एक सीमेंट फेक्टरी है जिस पर हेदल वर्ग सीमेंट ग्रुप अधिकार है।
कम्पनी अपना व्यवसाय मध्य भारत में दमोह (म0प्र0) झांसी (यू0पी0) एंव दक्षिण में आमसनदरा (कर्नाटक) में संचालित करती है। कम्पनी ने 2013 में ब्राउन फील्ड के विस्तार एंव मध्यभारत में उपलब्ध सुविधायों के द्वारा अपनी क्षमता में प्रति वर्ष 5.4 मिलियन सो की बढ़ोतरी की है। उत्पादन की नई क्षमता ने कंपनी को मध्य भारत म0प्र0, उ0प्र0 बिहार हरियाणा एंव उत्तराखंड में अपने शेयरों को बढ़ाने के योग्य बनाया। कंपनी ने अपने ब्रान्ड के लिये नया नाम लिखा माइसेम सीमेंट दिया और उत्पादन की गुणवत्ता ओर सामुहिक विक्रय के प्रयासों से अपने उत्पादन ब्रांड की स्थिति मजबूत की।
आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए माइसेम सीमेन्ट फैक्ट्री एक वरदान है। यह लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से बड़ी संख्या में क्षेत्रीय लोगों को रोजगार प्रदान करती है। माइसेम सीमेट फैक्ट्री ने प्रबंधन के मूल सिद्धातों को ध्यान में रखते हुए अपने कर्मचारियों की सुविधा के लिए एक बेहतरीन टाउनशिप का निर्माण किया है जहाँ सभी आधुनिक सुविधाऐं जैसे- आवसीय परिसर, सहकारी भंडार, डेरी, सी.बी.एस.ई से संबधता प्राप्त इंग्लिश मीडियम स्कूल, हॉस्पिटल, केबल टीव्ही कनेक्शन, मनोरंजन क्लब इत्यादि उपलब्ध हैं। कम्पनी द्वारा नरसिंहगढ के बंजर और पथरीले भू-भाग पर परिसर के आसपास सघन वृक्षारोपण के कारण दूर से यह स्थान मरुस्थल में मरुद्यान की तरह दिखाई देता है।
माईसेम सीमेंट फैक्टरी का एक अलग प्रशासनिक भवन है जिसमे कई व्यवसायिक विभाग संचालित हेाते है। प्रशासनिक भवन अपनी अलग बनावट एवं स्थापत्य के लिए न केवल दमोह जिले में बल्कि सारे सागर संभाग में जाना जाता है। यह भारत की एकता और सांस्कृतिक का प्रतीक है। बडे-बडे ओर शानदार कमरों में आधुनिक ऑफिस कार्य आधुनिक सूचना तकनीक और आसान पंहुच समाहित है।
कंपनी ने परिसर के अंदर हनुमार मंदिर और शानदार राधा-कृष्ण मंदिर बनवाया है जहां शुभ अवसरों पर विद्वान पंडितों द्वारा व्याख्यान होते हैं। टाउनशिप परिसर के मंदिर साल भर सभी के लिए खुले रहते है तथा गांव के लोग यहां भारी संख्या में दर्शनों और पूजा पाठ के लिए आते रहते है। शहर में एक प्राचीन राम मंदिर था जो अंगे्रजो के समय से उपेक्षित और जीर्णशीर्ण अवस्था में था। कम्पनी ने उसका जीर्णोद्धार किया और आज वह क्षेत्र के सबसे सुन्दर मंदिरों में शामिल है। कंपनी ने न सिर्फ यह नरसिंहगढ़ बल्कि आस-पास के गांवों के मंदिरो के जीर्णोद्धार एवं देख रेख का काम भी करवा रही है।
स्रोत: damoh.nic.in मायसेम सीमेंट