Nohata

From Jatland Wiki
(Redirected from Nohta Damoh)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Author (Laxman Burdak) and family at Nohaleshwar Shiva Temple Nohata on 15.02.1991
Map of Damoh District‎
Chanderi - Sanchi - Bhimbetka - Jabalpur - Damoh - Satna -Panna- Khajuraho
Sagar-Garhakota-Gourjhamar-Damoh-Nohta

Nohata (नोहटा) is a Village in Jabera Tehsil in Damoh District of Madhya Pradesh State, India. It belongs to Sagar Division.

Variants

Location

It is located 40 KM towards East from District head quarters Damoh. 277 KM from State capital Bhopal. Nohata Pin code is 470663 and postal head office is Nohata. [1]

It is located about 13 miles southeast of Damoh, the district headquarters, on the NH34.[2]

Origin

Nohata gets name from princess Nohladevi, queen of the best known Kalachuri ruler of Jabalpur region Yuvarajdeva I (r.915 to 945). The princess Nohla Devi is probably of Nohla Jat clan. Nohla Devi constructed the Nohleshwar Shiva Temple at Nohata in Damoh district of Madhya Pradesh.

Visit by Author

Author (Laxman Burdak) visited Nohata many times on 26.07.1990, 16.10.1990, 15.02.1991, 23.04.1991. We visited Nohata Shiva Temple on 15.02.1991 with family. We had a wonderful experience on 24.07.1991 while returning from Jabalpur. We had started our journey from Jabalpur at 6 am on 24.07.1991 and supposed to reach Damoh by 10 am. When we reached Nohata we found that there was Overflow in the Byarma River so we were held up at Nohata. Waited entire day for water level to come down but there was no chance. There was no hotel or restaurant here so at last in the evening we went to local Forest Guard Tiwari’s Quarter and stayed there for some time. My Daughter Sunita caught Malaria fever in the evening but there were no medical facilities. At last Water level came down at about 23 hrs when moved from Nohata (23.00) to Damoh (24.00) distance 28 km.

Jat Gotras Namesake

History

Remains of several Hindu and Jain temples have been found in Nohta. Among these, the Nohleshwar Temple is the only temple still standing.[3]

The Jabalpur region was ruled by Bamraj Dev of the Kalachuri dynasty from Karanbel from 675 to 800. The best known Kalachuri ruler was Yuvraj Dev I (reigned 915 to 945), who married Nohla Devi (a princess of the Chalukya dynasty). The princess Nohla Devi is probably of Nohal clan. Nohla Devi constructed the Nohleshwar Shiva Temple at Nohata in Damoh district of Madhya Pradesh.

Nohleshwar Temple

Nohleshwar Mahadeva Temple, Nohta Madhya Pradesh

Nohleshwar Temple is a temple located in Nohta in the Damoh district of Mahdya Pradesh in India.[4][5] It is protected as a monument of national importance.

History: The temple photographed by Henry Cousens, c. 1893 The temple was built by Yuvarajadeva I of the Kalachuri dynasty, under the influence of his queen Nohala.[6]

The British archaeologist Henry Cousens surveyed the area in 1893, and found the temple in a dilapidated condition, with the outer walls, roof of the gallery, and shikhara having all fallen down and lying in ruins. The temple was restored by the Archaeological Survey of India.[7]

Description: The temple is built in the Nagara style with a mukhamandapa (porch), a sabhamandapa (hall), an antarala (ante-chamber) and a garbhagriya (sanctum).

Sanctum: The sanctum contains the idol of the principal deity, Shiva. The sanctum is surmounted by a shikhara.

नोहलेश्वर शिव मंदिर - नोहटा

नोहलेश्वर शिव मंदिर - नोहटा

Source - नोहलेश्वर शिव मंदिर में है कल्चुरी कालीन शिवलिंग, आस्था और शिल्प कला का होता है अद्भुत संगम, अमर उजाला, अंकिता विश्वकर्मा, 17 Jul 2023

दमोह जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर नोहटा में ऐतिहासिक नोहलेश्वर शिव मंदिर है, जो पुरातत्व विभाग के अधीन है। मंदिर का निर्माण कल्चुरी नरेश युवराज प्रथम ने अपनी प्रिय रानी नोहला के नाम पर कराया था। युवराज धर्मावलंबी थे, उन्होंने अपने शासन काल 915 से 945 ई. के बीच इस अद्वितीय मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर की खासियत यह है कि यह मुस्लिम आक्रांताओं के हमलों से यह सुरक्षित रहा।

100 फीट लंबे चौड़े चबूतरे पर बना है मंदिर: यह मंदिर दमोह जबलपुर स्टेट हाईवे पर मुख्य सड़क के किनारे स्थित है। मंदिर का निर्माण 100 फीट लंबाई चौड़ाई वाले छह फीट ऊंचे चबूतरे पर किया गया है। मंदिर का प्रवेश द्वार पांच शाखाओं में विभक्त है । मंदिर के चार मुख्य स्तंभ हैं । इस मंदिर के गर्भगृह का शिखर अत्यंत अलंकृत है, जिसमें शिवलिंग स्थापित है। मंदिर का शिल्प बहुत कुछ खजुराहो के मंदिरों जैसा है।

इसका बारीक नक्काशियों वाला मूर्ति शिल्प अनुपम है। दायीं ओर नर्मदा और बायीं ओर यमुना की मूर्तियां हैं। चबूतरे के निचले भाग पर सामने दोनों ओर चारों तरफ लक्ष्मी के आठ रूपों की मूर्तियां हैं। गजलक्ष्मी की मूर्ति अत्यंत मनोहारी है। मंदिर के अलंकरण में मातृका मूर्तियों का ज्यादा उपयोग किया है। मुख्य द्वार पर शीर्ष भाग में नवग्रह की मूर्तियां हैं ।

कल्चुरी काल का श्रेष्ठ मंदिर: नोहलेश्वर मंदिर में सरस्वती, विष्णु, अग्नि, कंकाली देवी, उमा-महेश्वर, शिव-पार्वती, लक्ष्मी नारायण के भी दर्शन होते हैं । पशु, पक्षियों को उनके ब्याल के रूप में उत्कीर्ण किया गया है। यह कल्चुरि काल की स्थापत्य कला के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक है, जिसे मध्यप्रदेश राज्य द्वारा संरक्षित घोषित किया गया है।

आस्था व शिल्प कला का अद्भुत संगम: ग्राम नोहटा में बने नवमीं शताब्दी (950-60) का कल्चुरी कालीन प्राचीन शिव मंदिर की सुदंरता देखते ही बनती है। यह मंदिर आस्था व शिल्प कला का अदभुत संगम हैं।

अति प्राचीन शिवलिंग है विराजमान: वैसे तो वर्ष भर यहां लोगों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन सावन माह में लोगों की भारी भीड़ लगती है और पूरे प्रदेश से श्रद्धालु इस पुरातत्व महत्व के मंदिर को देखने आते हैं।

नोहटा का नोहलेश्वर मढ़ा मंदिर

कल्चुरी कला का प्रतीक है नोहटा का नोहलेश्वर मढ़ा मंदिर

कल्चुरी कला का प्रतीक नोहलेश्वरमंदिर अपनी अद्भुत कला व नक्काशी के लिए देश भर में प्रसिद्ध है। पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार यह मंदिर 13वीं सदी में कल्चुरी राजाओं द्वारा बनाया गया है। यह मंदिर कलचुरी नरेश युधराज देव प्रथम के शासन काल में इनकी धर्म पत्नी नोहला देवी द्वारा इसका निर्माण कराया गया था। बताया गया है कि कलचुरी शासन काल में इस तरह के करीब नौ मंदिर एवं नौ हाट हुआ करते थे, जिससे गांव का नोहटा का नाम पड़ा। नौ मंदिरों में से सिर्फ एक ही मंदिर शेष है बाकी मंदिरों के अवशेष गांव के मकानों एवं जहां-तहां बिखरे मिले हैं। लोग अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए नोहलेश्वर मंदिर की आराधना करते है। यह मंदिर जिले भर के लोगों के लिए आस्था का प्रतीक है। गोरैयाव्यारमा नदी के संगम तट पर स्थित नोहलेश्वर मंदिर में भगवान शिव विराजमान हैं। जिनके दर्शनों के लिए यहां पर रोजाना दूर-दूर से लोगों का आना-जाना लगा रहता है। रविवार को यहां पर लोगों की अधिक भीड़ रहती है। [8]


जबलपुर-दमोह मार्ग पर स्थित है नोहटा का प्राचीन नोहलेश्वर मंदिर. ग्राम नोहटा में नवमी शताब्दी (950-60) का कल्चुरी कालीन प्राचीन शिव मंदिर है। जिसकी सुंदरता देखते ही बनती है। यह मंदिर आस्था व शिल्प कला का अदभुत संगम हैं। दमोह जबलपुर हाईवे पर नोहटा के समीप पड़ने वाले इस मंदिर पर जिसकी भी नजर पड़ती है वह मंदिर की सुंदरता निहारता रह जाता है। मंदिर के अंदर अति प्राचीन शिवलिंग विराजमान हैं। मंदिर की दीवारों पर चारों ओर से उकेरी गई पुरातन कालीन सैकड़ों प्रतिमाएं हैं जिनकी नक्काशी देखते ही बनती है। नोहलेश्वर मंदिर में शिवलिंग से सटी हुईं 109 प्रतिमाएं रखी हुईं हैं। जिसमें नो हटा मंदिर का 14 प्रतिमाएं हैं तो 95 प्रतिमाएं फुटेरा जलाशय सहित अन्य स्थानों की है। सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रप्रताप सिंह ठाकुर का कहना है प्राचीन मंदिर की सुरक्षा को लेकर पुरातत्व विभाग की ओर से कठोर कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. [9]

External links

References

  1. http://www.onefivenine.com/india/villages/Damoh/Jabera/Nohata
  2. Cousens, Henry (1897). Lists of Antiquarian Remains in the Central Provinces and Berar (PDF). Calcutta: Superintendent Government Printing. p. 32.
  3. Cousens, Henry (1897). Lists of Antiquarian Remains in the Central Provinces and Berar (PDF). Calcutta: Superintendent Government Printing. p. 32.
  4. Annual Report of the Archaeological Survey of India, Eastern Circle, for 1912-13. pp. 44-45
  5. नोहलेश्वर शिव मंदिर में है कल्चुरी कालीन शिवलिंग, आस्था और शिल्प कला का होता है अद्भुत संगम, अमर उजाला, अंकिता विश्वकर्मा, 17 Jul 2023
  6. Madhya Pradesh District Gazetteers: Damoh. 1974. p. 30.
  7. Cousens, Henry (1897). Lists of Antiquarian Remains in the Central Provinces and Berar (PDF). Calcutta: Superintendent Government Printing. p. 32.
  8. https://www.bhaskar.com/news/MP-OTH-MAT-latest-hata-news-024004-3162804-NOR.html
  9. Bhaskar, 7.4.2019