Pariyatra

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(Redirected from Pariyatra Parvata)
Author:Laxman Burdak, IFS (R)

Pariyatra (पारियात्र) is a range of mountains mentioned in the epic Mahabharata, Ramayana and the Puranas. Pariyatra (पारियात्र) is also name of a Nagavanshi king mentioned in Mahabharata. Bhagawata Purana mentions king Pariyatra in the Ancestry of Kusha, son of Rama.

Variants

Location

While the Geography of The Puranas identifies it with "the Bad-i-Baba and Band-i-Turkestan ranges or the Paropamisus of northern Afghanistan" [1], the Puranic Encyclopedia locates it with reference to the Vana Parva 188, 115 of the Mahabharata at "the western side of Mahameru" [2]. It is otherwise identified to the north western part of what is now called as Vindhya mountain ranges. In ancient times only southern parts of Vindhya mountain ranges, which are having higher elevation, were considered as Vindhya mountains, while the other part of this mountain range with less height is named as Pariyatra (north western part) and Riksha (north eastern part).

In Bhagawata Purana

Bhagawata Purana mentions them in the Ancestry of Kusha, son of Rama.

KushaAtithiNishadhaNabhaPundarikaKshema DhanvanDevanikaAnihaPariyatraBalasthalaVajra Nabha (Incarnation of Surya) → SaganaVidhritiHiranya NabhaPushpaDhruva SandhiSudarshanaAgni VarnaMaruPrasusrutaSandhiAmarshanaMahasvatVisvabahuPrasenajitTakshakaBrihadbala (killed at the battle of Kurukshetra by Abhimanyu)

History

Mahabharata 2.10.31 calls it "Paripatra" 3.85.69 ff. "Prayaga" (according to 3.85.75 also called "Jaghana", the according to 3.87.18 f. holy area between Ganges and Yamuna), Harivamsa Purana 2.74.13 ff. "Pariyatra". According to Harivamsa Purana 2.74.15 Sri Krishna changed the name of the Pariyatra mountain to the name "Sanapada".

In Mahabharata

Pariyatra (पारियात्र) (Mountain) is mentioned in Mahabharata (I.52.10), (VI.10.10),

Adi Parva, Mahabharata/Book I Chapter 52 mentions the names of Nagas who fell into the fire of the snake-sacrifice. Pariyatra (पारियात्र) Naga King is mentioned in Mahabharata (I.52.10). [3]....And Paravata, Pariyatra, Pandara, Harina, Krisha, Vihanga, Sharabha, Moda, Pramoda, Sanhatangada --these born in the race of Airavata fell into the fire.


Bhisma Parva, Mahabharata/Book VI Chapter 10 describes geography and provinces of Bharatavarsha. Pariyatra (पारियात्र) (Mountain) is mentioned in Mahabharata (VI.10.10). [4]....Mahendra, Malaya, Sahya, Shuktimana, Rikshavan, Vindhya, and Pariyatra,--these seven are the Kula-mountains(of Bharatvarsha).

In Ramayana

Kishkindha Kanda Sarga 42 mentions that Sugreeva sends troops to west side to search for Sita under the leadership of Sushena. Describing the various provinces like Surashtra, Balhika and Chandrachitra (Mathura), Western Ocean, River Sindhu and magnificent mountains that are situated at the northwest of India, cities like Murachi, Jatapura, Avanti and Angalepa and also the ocean down south to it, namely the present Arabian Sea and almost up to Persian provinces, he orders monkey troops to return within one month's time. .....Pariyatra Mountain is mentioned in Ramayana (IV.42.20). [5]...."On your seagoing there, oh, vanaras, you will see the golden peak of a waterlogged mountain called Pariyatra Mountain (पारियात्र), which peak will be hundred yojana-s in height, and which is difficult to see as it will be blindingly glittering. (4.42.19b, 20a)


Yuddha Kanda/Sarga 26 mentions that ....Hearing the submission of Sarana, Ravana climbs up the roof of his palace and sees the entire army of Vanaras from there. Ravana enquires about the various monkey leaders and Sarana shows him Nila, Angada, Nala, Sweta, Kumuda, Rambha, Sarabha, Panasa, Vinata and Krathana the army-generals along with their distinguishing characterestics. .....Pariyatra Mountain is mentioned in Ramayana (VI.26.40).[6]Panasa (पनस), a Vanara army-general, who is always invincible in battle, dwells in Pariyatra, a mountain that is exceeded by none in height." (6-26-40)

पारयात्र

विजयेन्द्र कुमार माथुर[7] ने लेख किया है ...पारयात्र (AS, p.549): चीनी यात्री युवानच्वांग ने इस नगर का वर्णन करते हुए इसके राजा को वैश्य-जातीय बताया है. पारयात्र का अभिज्ञान वर्तमान बैराट (जिला जयपुर) से किया गया है जिसे महाभारत कालीन विराट (मत्स्यदेश की राजधानी) माना जाता है. यह नगर अवश्य ही पारियात्र पर्वत की श्रेणियों के सन्निकट बसा होने से ही पारियात्रा या पारयात्र कहलाता था.

पारियात्र

विजयेन्द्र कुमार माथुर[8] ने लेख किया है ...1. पारियात्र (AS, p.552): पश्चिमोत्तरी विंध्य शैलमालाओं का एक नाम जिनमें संभवत: अर्वली की श्रेणियां भी सम्मिलित थीं (देखें: पार्टीजर - जर्नल आफ द रॉयल एशियाटिक सोसायटी 1994, पृ. 258). रघुवंश 18,16 के अनुसार कुश के वंशज राजा अहिनगु के पुत्र पारियात्र और पारियात्र पर्वत को जीता था. पर्वत का नाम संभवत: इसी प्रतापी नरेश के नाम पर हुआ था, 'तस्मिन् प्रयाते परलोकयात्रां जेतर्यरीणां तनयं तदीयम्, उच्चै: शिरस्त्वाज्जित पारियात्रं लक्ष्मी: सिषेवे किल पारियात्रम्' अर्थात अहिनगु के परलोक सिधारने पर शत्रुजेता पारियात्र ने उच्च शिखर वाले पारियात्र को जीतकर राज्यश्री को प्राप्त किया. महाभारत शांति पर्व 129,4 में पारियात्र का उल्लेख है-- 'पारियात्रं गिरिं प्राप्य गौतमस्याश्रमो महान्'. यहां इस पर्वत पर गौतम ऋषि के आश्रम की स्थिति बताई गई है. विष्णु पुराण 2,3,3 मैं पारियात्र की गणना भारत के कुलपर्वतों में की गई है-- [p.553] महेंद्रो मलय: सह्य: शुक्तिमानऋक्षपर्वत:, विंध्यश्च पारियात्रश्च सप्तैते कुलपर्वता:' श्रीमद्भागवत 5,19,16 में पारियात्र का उल्लेख ऋक्षगिरि के पश्चात है-- 'विंध्य: शुक्तिमान्ऋक्षगिरि: पारियात्रो द्रोणश्चित्रकूटो गोवर्धनो रैवतक...' दशपुर मंदसौर से प्राप्त 532-553 ई. के कूपशिलालेख में राज्यमंत्री अभयदत्त को पारियात्र और (पश्चिम) समुद्र के बीच के प्रदेश के राज्य का मंत्री बनाया गया है. इस समय मंदसौर में यशोवर्मन का राज्य था. श्री चि. वी. वैद्य ने पारियात्र का अभियान वर्तमान सुलेमान पर्वत से किया है क्योंकि उनके मत में रामायण में पारियात्र को सिंधु के पार बताया गया है. संभवत: पारियात्र सुलेमान और विंध्य की पश्चिमोत्तर श्रेणी दोनों ही पर्वतमालाओं का नाम था. नदियों, पर्वतों तथा नगर आदि के द्विनाम भारतीय साहित्य में अनेक हैं. (देखें विंध्य)

2. पारियात्र (AS, p.553)= Parayatra (पारयात्र): पारियात्र पर्वत का प्रदेश (हर्षचरित, उच्छवास 6). युवान्च्वांग ने यहां वैश्य राजा का शासन बताया है.

पारयात्र

विजयेन्द्र कुमार माथुर[9] ने लेख किया है ...पारयात्र (AS, p.549): चीनी यात्री युवानच्वांग ने इस नगर का वर्णन करते हुए इसके राजा को वैश्य-जातीय बताया है. पारयात्र का अभिज्ञान वर्तमान बैराट (जिला जयपुर) से किया गया है जिसे महाभारत कालीन विराट (मत्स्यदेश की राजधानी) माना जाता है. यह नगर अवश्य ही पारियात्र पर्वत की श्रेणियों के सन्निकट बसा होने से ही पारियात्रा या पारयात्र कहलाता था.

कुलपर्वत

विजयेन्द्र कुमार माथुर[10] ने लेख किया है ... कुलपर्वत (AS, p.208) विष्णु पुराण 2,3,3 के अनुसार भारत के सात मुख्य पर्वत -- 'महेन्द्रो, मलय: सह्य: शुक्तिमान-ऋक्षपर्वत:, विंध्यश्च पारियात्रश्च सप्तैते कुलपर्वता:.' अर्थात महेन्द्र, मलय, सह्य, शुक्तिमान, ऋक्षपर्वत, विंध्य, पारियात्र ये सात कुलपर्वत हैं.

External links

References

  1. S.M. Ali, F.N.I.: The Geography Of The Puranas, New Delhi 1966, page 92 f.
  2. Vettam Mani: Puranic Encyclopedia, 9th Reprint Delhi 2010 ISBN 978-81-208-0597-2, page 574
  3. पारावतः पारियात्रः पाण्डरॊ हरिणः कृशः, विहंगः शरभॊ मॊदः प्रमॊदः संहताङ्गदः (I.52.10)
  4. महेन्द्रो मलयः सह्यः शुक्तिमान ऋक्षवान अपि, विन्ध्यश च पारियात्रश च सप्तैते कुलपर्वताः (VI.10.10)
  5. कोटिम् तत्र समुद्रे तु कांचनीम् शत योजनम् ॥४-४२-१९॥, दुर्दर्शाम् पारियात्रस्य गता द्रक्ष्यथ वानराः ।
  6. एष पर्वतम् अध्यास्ते पारियात्रम् अनुत्तमम् ॥६-२६-४०॥, युद्धे दुष्प्रसहो नित्यम् पनसो नाम यूथपः ।
  7. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.549
  8. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.552
  9. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.549
  10. Aitihasik Sthanavali by Vijayendra Kumar Mathur, p.208