Pondri
Pondri (पोण्डरी) is a village in Hathin tahsil of Palwal district in Haryana.
Location
The Founders
History
कप्तान सिंह देशवाल लिखते हैं -
प्रायः देखा गया है कि ज्यादातर गाँव सूखा-अकाल पड़ने पर दूसरी जगह पर आबाद हुए हैं। इसी कड़ी का भाग गाँव पोण्डरी 1450 में आलदुका से आकर आबाद हुआ था। यह गाँव पलवल से नूंह रोड पर 20 किलोमीटर पर बसा हुआ है।
सुनने में आया है कि चौ. निर्मलसिंह, चौ. फत्तेसिंह, खमानी और चौ. दुन्दे देशवाल अपने कबीले के साथ चारों परिवार पशुओं को लेकर पानी और चारे की तलाश में गाँव से काफी दूर तक जंगल में आ गये। यहाँ पर पानी की बड़ी पोखर (झील) थी। यहाँ एक मन्दिर भी बना हुआ था। अनुमान लगाया जाता है कि कभी यह स्थान किसी तपस्वी साधु की जगह थी।
चारों परिवारों ने इस तालाब के किनारे पर आकर अपना पड़ाव डाल दिया। ये लोग यहाँ पर कुछ समय के लिए आये थे। लेकिन पानी और उपजाऊ जमीन देखकर इन चारों परिवारों ने यहाँ पर अपना गाँव बसाने का मन बना लिया। इसी भूमि को अपनी कर्मभूमि समझकर यहाँ पर बस गये।
विशेषताएं -
- गाँव का क्षेत्रफल 4000 पक्का बीघा जमीन है।
- गाँव आबाद होने से पहले यहाँ पर एक सुन्दर तालाब था जिसमें कमल के फूल खिलते थे। यहाँ पर एक प्राचीन मन्दिर भी पहले से बना हुआ था।
- पोण्डरी संस्कृत का शब्द है। संस्कृत भाषा में कमल को पुण्डरीक कहते हैं। पुण्डरीक का भाषा परिवर्तन होते-होते गाँव का नाम पोण्डरी पड़ गया।[1]
Jat Gotras
Notable Persons
Population
External links
References
- ↑ कप्तान सिंह देशवाल : देशवाल गोत्र का इतिहास (भाग 2) (पृष्ठ 105-106)
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